Jharkhand news, Ranchi news : रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में झारखंड के गुमला की ग्रामीण महिलाओं के द्वारा आजीविका सशक्तीकरण के लिए किये जा रहे लेमन ग्रास की खेती की जमकर तारीफ की. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि कैसे स्थानीय स्तर पर छोटे उत्पादों के जरिये ग्रामीण महिलाएं सफलता के नये आयाम गढ़ रही हैं. इस कड़ी में गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के करीब 30 समूहों द्वारा किये जाने वाले लेमन ग्रास की खेती से महिलाओं के आत्मनिर्भर होने के सफर की चर्चा की. झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के जरिये आजीविका मिशन एवं जोहार परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को लेमन ग्रास की खेती से जोड़ा गया है.
गुमला के बिशुनपुर में ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिये सखी मंडल की महिलाओं को औषधीय पौधों की खेती से जोड़ा गया है, जिसमें लेमन ग्रास की खेती प्रमुख है. करीब 500 सखी मंडल की बहनों को लेमन ग्रास की खेती के जरिये अच्छी आमदनी हो रही है. ग्रामीण महिलाएं हर साल लाखों की कमाई लेमन ग्रास की खेती के जरिये कर रही हैं.
महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना एवं जोहार परियोजना के तहत राज्य के 16 जिलों के 31 प्रखंड में 16,500 से ज्यादा किसानों को लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. किसानों को तकनीकी सहयोग और सुझाव देने के लिए 11,50 वनोपज मित्र को प्रशिक्षित किया गया है, जो मास्टर ट्रेनर के रूप में किसानों के प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन के लिए ग्राम स्तर पर अपनी सेवाएं देते हैं. लेमन ग्रास अथवा नींबू घास का महत्व उसकी सुगंधित पत्तियों के कारण है. पत्तियों के वाष्प आसवन के द्वारा तेल प्राप्त होता है, जिसका उपयोग कॉस्मेटिक, सौदर्य प्रसाधन, कीटनाशक, दवाओं में होता है. एंटीऑक्सिडेंट के रूप में भी लेमन ग्रास का उपयोग प्रभावी है.
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लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन में भी आसानी से की जा सकती है. एक बार पौधा लगाने के बाद 5 वर्षों तक प्रति वर्ष 4 से 5 बार इसकी पत्तियों (स्लिप) की कटाई एवं बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है. इस पहल से ग्रामीण महिलाओं के आत्मविश्वास में काफी इजाफा हुआ है. लेमन ग्रास से आमदनी कर परिवार का पालन-पोषण अच्छी तरह करने में सक्षम है. यह महिलाएं अब ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिये अपने उपज का मूल्यवर्धन कर बड़े बाजारों में बिक्री कर अच्छा मुनाफा कमा रही है. लेमन ग्रास का तेल निकालने, पैकिंग करने के अलावा अन्य औषधीय पौधों जैसे तुलसी, हर्रा, बेहेरा की खेती और मूल्यवर्धन कर बिक्री कर रही है.
बिशुनपुर के रहकूबा टोली की सुमाती देवी समूह से ऋण लेकर अपने 60 डिसमिल जमीन में लेमन ग्रास की खेती शुरू की. सुमाती देवी बताती हैं कि कभी लेमन ग्रास का नाम तक नहीं सुना था, मगर अब इससे होने वाले फायदे को जानने के बाद हम दूसरों को भी लेमन ग्रास की खेती करने की सलाह देते हैं. कहती हैं कि बंजर भूमि पर सोने की तरह कमायी करता है लेमन ग्रास. आत्मविश्वास से लबरेज सुमाती बताती हैं कि आजीविका मिशन के ग्रामीण सेवा केंद्र के जरिये प्रशिक्षण मिला. सुमाती जनवरी, 2020 में ही लेमन ग्रास खेती की शुरूआत की थी और लॉकडाउन के बावजूद अब तक करीब 1 लाख 10 हजार की कमाई कर चुकी है, जबकि खेती पर खर्च सिर्फ 20 हजार रुपये हुए हैं.
नवागढ़ सीरका गांव की रूपमूर्ति देवी भी अपने 50 डिसमिल जमीन में लेमन ग्रास की खेती कर करीब 1 लाख 45 हजार की आमदनी की है. रूपमूर्ति बताती हैं कि पिछले 2 साल से लेमनग्रास की खेती से उनकी आर्थिक हालात में सुधार आया है. वहीं, सिरका गांव की एक और महिला किसान बसंती देवी बताती हैं कि सखी मंडल से जुड़ने के बाद हमलोगों को लेमन ग्रास की खेती के फायदे के बारे में बताया गया. इस खेती को टाड़ एवं बंजर दोनों जगहों पर होने और उसके फायदे के बारे में बताया गया. महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना की ग्रामीण सेवा केंद्र से प्रशिक्षण मिला और अब लेमनग्रास की बिक्री कर अच्छी कमायी हो रही है.
बेंती गांव की हरियाली देखते ही बनती है. महिला किसान सुशांती बताती हैं कि साल 2018 से 10 एकड़ में खेती शुरू की और वर्तमान में करीब 25 लाख के लेमन ग्रास स्लिप (पत्तियां) है, जो बिक्री को तैयार है या फिर आसवन के जरिये भी कमाई की जा सकती है. कहती हैं कि मुझे खुशी है कि खाली पड़े बंजर जमीन पर हमलोग अब कमायी कर पा रहे हैं.
Posted By : Samir ranjan.