जानें, कैसे कोरोना मुक्त हुआ रांची का करांजी गांव, COVID-19 के खिलाफ जंग में बन सकता है मिसाल, पढ़ें खास रिपोर्ट
रांची जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित करांजी गांव (Karajni Vilage) अब कोरोना (Corona Free Village) मुक्त हो गया है. गांव के किसान अब सब्जियों को लेकर गांव से बाहर बेचने के लिए बेड़ो बाजार जा रहे हैं. दुग्ध उत्पादक किसान भी अपने दूध को गांव से बाहर भेज रहे हैं. कुल मिलाकर कहें तो अब गांव की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. गांव से चार कोरोना संक्रमित (Corona Infected) मरीज मिले थे जो अब ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. करांजी गांव करांजी पंचायत में पड़ता है.
रांची जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित करांजी गांव अब कोरोना मुक्त हो गया है. गांव के किसान अब सब्जियों को लेकर गांव से बाहर बेचने के लिए बेड़ो बाजार जा रहे हैं. दुग्ध उत्पादक किसान भी अपने दूध को गांव से बाहर भेज रहे हैं. कुल मिलाकर कहें तो अब गांव की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. गांव से चार कोरोना संक्रमित मरीज मिले थे जो अब ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. करांजी गांव करांजी पंचायत में पड़ता है. पंचायत के मुखिया से बातचीत के आधार पर पढ़िये पवन कुमार की रिपोर्ट
तबलीगी जमात से जुड़ा था पहला मामला
कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. फिर भी करांजी गांव मे सबकुछ लगभग सामान्य चल रहा था पर 19 अप्रैल को करांजी गांव से पहला कोरोना संक्रमित मरीज सामने आया जो तबलीगी जमात में शामिल होकर घर लौटा था. इस बात की जानकारी मिलने के साथ ही ग्रामीण दहशत में आ गये. इसके बाद गांव में हालात यह थे लोग एक दूसरे से बात तक करने के लिए डरते थे. संक्रमित के घर के आस-पास के लोगों की स्क्रीनिंग की गई. उसके संपर्कों की जांच की गयी. इसके बाद 28 अप्रैल को फिर गांव में तीन और कोरोना पॉजिटिव केस मिले. ग्रामीणों में इससे और डर फैल गया. इसके बात तो ग्रामीणों ने अपने घर से निकलना भी बंद कर दिया था.
बनाये गये कोरोना वोलेंटियर
गांव में कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद गांव को पूरी तरह से सील कर दिया गया. गांव में इसके बाद भी कुछ लोग खास कर युवा और किशोर नियमों को नहीं मान रहे थे. इसकी देख-रेख के लिए गांव में कोरोना वोलेंटियर्स बनाया गया. वोलेंटियर्स को संक्रमण से बचाव के लिए कीट दिये गये थे. इसमें सभी धर्म जाति के लोगों को शामिल किया गया. एक वार्ड सदस्य, अंजुमन के सदर(अध्यक्ष) और सचिव को भी इसमें शामिल किया गया. 20 कोरोना वोलेंटियर्स के जरिये ग्रामीण अपनी बात मुखिया तक पहुंचाने लगे. क्योंकि मुखिया का गांव दूसरी जगह है इसलिए उन्हें भी करांजी के अंदर प्रवेश करने से मना कर दिया गया. वोलेटियर्स के जरिये ही ग्रामीण अपनी समस्या मुखिया तक पहुंचाते थे.
ग्रामीणों तक पहुंचायी गयी खाद्य सामग्री
गांव में कई ऐसे परिवार हैं जो रोज कमाने खाने वाले हैं. गांव सील होने के बाद उनके पास खाने पीने की समस्या हो गयी. कार्डधारियों को राशन मिला. इसके बाद मुखिया की ओर से जरूरतमंदो के बीच 10 क्विंटल चावल का वितरण किया गया. गांव की सब्जी खेत में खराब हो रही थी इसके कारण मुखिया ने वोलेंटियर्स के माध्यम से सब सब्जियों को खरीद कर गांव में लोगों को बीच बंटवा दिया. रोजेदारों के लिए 30 किलो चना भी दी गयी. मुखिया सजर तिर्की बताते है कि वोलेंटियर्स से बहुत बेहतर कार्य किया. उनके माध्यम से गांव मे जरूरतमंद लोगों तक दवा, खाद्य सामग्री और पशु का चारा पहुंचाया जा सका.
पूरे गांव को किया गया सेनेटाइज
कोरोना संक्रमित मिलने के बाद पूरे गांव को सेनेटाइज किया गया. गांव मे जिस जगह गंदगी थी या जलजमाव था उन जगहों पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया. गांव के छह लड़कों ने मिलकर पूरे गांव को सेनेटाइज किया. गांव के ही पंचायत भवन में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया था इसलिए उसे समय-समय पर सेनेटाइज करने के आदेश दिये गये थे. गांव में लोगों को बीच 5000 मास्क और 1440 सेनेटाइजर का वितरण किया गया. इसके अलावा 1500 ग्लवस भी बांटे गये.
रंग लाया ग्रामीणों को धैर्य
ठीक होने के बाद चारो मरीज अपने गांव लौट गये. गांव में सभी मरीजों को फूल माला और गुलदस्ता के भव्य स्वागत किया गया. जो आदिवासी समाज के मरीज थे, गांव पहुंचने पर आदिवासी रीति-रिवाज से उनका स्वागत किया गया. उनका स्वागत करने के लिए पूरे गांव के लोग एकजुट हुए थे. अब गांव में जिंदगी सामान्य रही है.
कोरोना वोलेंटियर्स ने बेहतर कार्य किया: सजर तिर्की मुखिया
मुखिया सजर तिर्की ने बताया कि गांव में आये इंस संकट को खत्म करने के लिए युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. कोरोना वोलेंटियर्स बनकर सभी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभायी. जब गांव में दूसरी बार 3 कोरोना संक्रमित मिले तब कुछ वोलेंटियर्स भी काम करने के लिए तैयार नहीं थे. पर समझा बुझा कर उन्हें लाया गया. आज हम कोरोना से जंग जीत चुके हैं. करांजी कोरोना मुक्त गांव बन चुका है.