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प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर शराब-बीयर बेच कर हर माह नौ करोड़ तक वसूल रहे दुकानदार

उत्पाद सचिव ने सभी दुकानों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश दिया था. सचिव के निर्देश देने के लगभग छह माह बाद भी अधिकतर दुकानों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे.

सुनील कुमार झा, रांची :

उत्पाद विभाग के प्रयास व कार्रवाई के बाद भी राज्य भर के खुदरा दुकानों में खुलेआम प्रिंट रेट से अधिक दर में शराब-बीयर बेची जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक प्रतिमाह लगभग नौ करोड़ रुपये से अधिक की वसूली खुदरा दुकानदारों द्वारा की जा रही है. प्रिंट रेट से प्रति बोतल 10 से लेकर 30 रुपये तक अधिक वसूले जा रहे हैं. झारखंड में प्रिंट रेट से अधिक दर पर शराब बेचे जाने की शिकायत के बाद उत्पाद आयुक्त ने सभी शराब दुकान के बाहर कीमत को लेकर डिस्प्ले बोर्ड लगाने का निर्देश दिया था. हालांकि अधिकतर दुकानों ने डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगाया. जिन दुकानों में बोर्ड लगाया गया, वहां भी खानापूर्ति की गयी.

उत्पाद सचिव ने सभी दुकानों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश दिया थासचिव के निर्देश देने के लगभग छह माह बाद भी अधिकतर दुकानों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे. इसके अलावा शराब बिक्री में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया था. इसका भी अनुपालन नहीं हो सका. दुकानदार ऑनलाइन भी अधिक पैसा लेते है. ग्राहक के विरोध करने पर सैल्समैन का कहना होता है कि जो पैसा मांगा जा रहा है, वह देना ही होगा.

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प्रिंट रेट से अधिक में शराब बेचने में कमाई का खेल

राज्य में प्रतिदिन लगभग आठ हजार पेटी शराब की बिक्री होती है. एक पेटी में छोटी शराब की 48, हाफ 24 व बड़ी 12 बोतल शराब रहती है. ऐसे में अगर प्रत्येक पेटी को बड़ी बोतल में बदल दिया जाये, तो एक दिन में लगभग 96 हजार बोतल शराब की बिक्री होती है. एक छोटी बोतल पर 10, हाफ पर 20 व बड़ी बोतल पर 30 रुपये तक अधिक लिये जाते है. राज्य में प्रति दिन 96 हजार बाेतल पर अगर औसतन 20 रुपये भी अधिक लिये जाते हैं, तो प्रतिदिन लगभग 19.20 लाख रुपये अधिक की वसूली होती है. इस राशि के अनुरूप प्रति माह लगभग 5.76 करोड़ रुपये अधिक लिये जा रहे है.

शराब के अलावा राज्य में प्रतिदिन 10 हजार पेटी बीयर की भी बिक्री होती है. एक पेटी में 12 बोतल रहता है. ऐसे में एक दिन में 1.20 लाख बोतल की बिक्री होती है. बीयर के एक बोतल पर 10 रुपये अधिक लिये जाते हैं. ऐसे में बीयर से प्रतिदिन लगभग 12 लाख रुपये अधिक की वसूली की जाती है. प्रति माह लगभग 3.60 करोड़ अधिक राशि ली जा रही है. एक अनुमान के अनुसार, शराब से प्रतिमाह 5.76 करोड़ व बीयर की बिक्री से 3.60 करोड़ रुपये अधिक की वसूली की जा रही है. ऐसे में प्रति माह शराब बेचकर लगभग 9.36 करोड़ रुपये अधिक की वसूली ग्राहकों से की जा रही है.

ऐसे बिकती है राज्य में शराब

राज्य में खुदरा शराब की बिक्री की जिम्मेदारी प्लेसमेंट एजेंसी को दी गयी है. जेएसबीसीएल द्वारा प्लेसमेंट एजेंसी को थोक में शराब उपलब्ध करायी जाती है. प्लेसमेंट एजेंसी अपने सेल्समैन के माध्यम से खुदरा शराब बेचती है. राज्य में वर्तमान में आधा दर्जन से अधिक प्लेसमेंट एजेंसी खुदरा शराब बेच रही है.

एमआरपी से अधिक दर पर शराब बेचने पर प्लेसमेंट एजेंसी होगी जिम्मेदार : आयुक्त

एमआरपी से अधिक दर पर शराब बिक्री की शिकायत मिलने पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. अब तक 50 से अधिक सेल्समैन को हटाया गया है. जिलों को इस संबंध में दिशा-निर्देश भी दिया जा रहा है. एमआरपी से अधिक दर पर शराब बेचने पर अब प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए अब प्लेसमेंट एजेंसी जिम्मेदार होगी. सभी प्लेसमेंट एजेंसी को निर्देश दिया गया है कि वे तय दर पर ही शराब की बिक्री हो यह सुनिश्चित करायें.

फैज अक अहमद मुमताज, उत्पाद आयुक्त.

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