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लोबिन हेम्ब्रम ने राजमहल संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान, बोले- मैं नहीं झामुमो हुआ बागी

झामुमो के वरीय नेता लोबिन हेम्ब्रम ने राजमहल सीट से निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. साथ ही उन्होंने झामुमो पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं.

By Mithilesh Jha | April 10, 2024 5:31 PM

रांची, राजलक्ष्मी : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय नेता लोबिन हेम्ब्रम ने राजमहल संसदीय सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का ऐलान कर दिया है. साथ ही कहा है कि वह बागी नहीं हुए हैं, बागी झामुमो हुआ है.

सिद्धांत से भटक गया झामुमो, पूरे नहीं किए वादे : लोबिन हेम्ब्रम

बोरियो विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक ने साफ कर दिया है कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राजमहल लोकसभा सीट से आम चुनाव 2024 लड़ेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोबिन ने इसकी घोषणा की. लोबिन ने कहा कि झामुमो ने वर्ष 2019 में जिन सिद्धांतों पर विधानसभा का चुनाव जीता था, उन सिद्धांतों पर वह टिक न सका. कहा कि पार्टी ने न तो लोगों को रोजगार दिया, न ही स्थानीय नीति का कानून लागू किया.

राजमहल लोकसभा क्षेत्र के लोग विजय हांसदा के पक्ष में नहीं

लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि राजमहल लोकसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा इकलौते सांसद हैं. लेकिन, इस बार जनता विजय हांसदा के पक्ष में नहीं है. किसी से भी जाकर पूछ लीजिए, हर कोई विजय हांसदा का विरोध करता है. कई विरोध पत्र, शिकायत और वहां के लोग झारखंड मुक्ति मोर्चा के ऑफिस तक आकर विजय हांसदा की शिकायत करते रहे हैं. सब चीजों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने एक बार फिर से विजय हांसदा पर ही भरोसा किया है.

कल्पना सोरेन कौन होतीं हैं कि मैं उनसे कोई शिकायत करूं

लोबिन हेम्ब्रम आगे कहते हैं कि जब मैंने विजय हांसदा की शिकायत पार्टी से की, तो बसंत सोरेन ने भी इसका समर्थन किया. कई लोगों ने मुझसे कहा कि उसकी शिकायत मैंने कल्पना सोरेन से क्यों नहीं की. इस पर उन्होंने कहा- मैं कहना चाहता हूं कि कल्पना सोरेन कौन होती है, जिससे मैं इसकी शिकायत करूं. मैंने मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से बात की थी. बसंत सोरेन होते, तो मैं उनसे बात करता.

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घर की बहू बाहर क्यों चली गई, किसी ने नहीं सोचा : लोबिन हेम्ब्रम

लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि दुर्गा सोरेन के निधन के बाद जिस तरह यह गद्दी हेमंत सोरेन को मिली, उसी तरह हेमंत सोरेन के सत्ता छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी बसंत सोरेन को मिलनी चाहिए थी. अगर नियम यही कहता है, तो दुर्गा सोरेन के निधन के बाद पार्टी की कुर्सी सीता सोरेन को मिलनी चाहिए थी. आज घर की बहू बाहर क्यों चली गई. इस पर किसी ने विचार नहीं किया. लोबिन हेम्ब्रम ने यह भी कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे. झामुमो में रहते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. वह पार्टी की लाज बचाने के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

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