रांची : न रुकेंगे हम और न थकेंगे हम के मंत्र के साथ झारखंड की सखी मंडल की महिलाएं (गांवों में दीदी पुकारते हैं) विषम हालात में चक्रवात की परवाह किये बिना लाचार लोगों को खाना परोस रही हैं. करीब 55 दिनों से लगातार असहाय, लाचार एवं मजदूरों को मुख्यमंत्री दीदी किचेन के माध्यम से हर जरूरतमंदों को खाना मिले इस लक्ष्य को पूरा कर रही है. दीदियों के इस समपर्णभाव को देख मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीएम दीदी किचन को पूरे राज्य में 31 मई तक सुचारु रूप से चलाने की बात कही है, ताकि सुदूर गांव के हर जरूरतमंदों तक दो वक्त का भोजन उपलब्ध हो सके. अब तक 2.10 करोड़ थाली परोस चुकी हैं सखी मंडली की दीदियां. पढ़ें समीर रंजन की यह रिपोर्ट.
झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) संपोषित सखी मंडल की दीदियां गांव- पंचायत की असली कोरोना योद्धा हैं. कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लॉकडाउन के कारण जरूरतमंद खासकर सुदूर गांवों के ग्रामीणों को दो वक्त भोजन मिले, इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर मुख्यमंत्री दीदी किचन की शुरुआत हुई. 3 अप्रैल, 2020 से शुरू हुई मुख्यमंत्री दीदी किचन के माध्यम से दीदियां आज सुदूर गांवों के ग्रामीणों को भरपेट भोजन उपलब्ध करा रही है. झारखंड के 2.46 लाख सखी मंडल से करीब 32 लाख ग्रामीण महिलाएं इससे जुड़ी हैं.
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शुरुआत में सीएम दीदी किचन की संख्या करीब ढाई हजार थी. इसके तहत करीब 65 हजार जरूरतमंदों तक दीदियां दो वक्त का भोजन उपलब्ध करा रही थी. धीरे-धीरे सीएम दीदी किचन की संख्या और गरीबों तक पहुंच में भी इजाफा हुआ. चरणबद्ध तरीके से गांव- पंचायत तक सीएम दीदी किचन की पहुुंच होने लगी. पहले चरण में सीएम दीदी किचन की संख्या 4,286 पहुंची, तो दूसरे चरण में इसकी संख्या 6,103 तक पहुंच गयी. वर्तमान में राज्य की सभी पंचायतों में 7,000 मुख्यमंत्री दीदी किचन संचालित है. इससे करीब 30 हजार दीदियां राज्य के करीब 6 लाख जरूरतमंदों को रोजाना खाना खिला रही हैं. ये दीदियां अब तक करीब 2.10 करोड़ लोगों को गर्म भोजन की थाली परोस चुकी हैं. इस दौरान हमेशा हाथ धोने, स्वच्छता अपनाने और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन भी करा रही हैं.
मुख्मंत्री ने की सराहना
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दीदियों के बेहतर प्रयास की सराहना भी कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि सीएम दीदी किचन के माध्यम से जरूरतमंदों तक पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो रहा है. इसलिए सरकार ने आगामी 31 मई, 2020 तक इस योजना को संलाचित करने का निर्णय लिया है, ताकि सभी जरूरतमंदों को दो वक्त का भोजन मिल सके.
अब दोपहर में मिलता है खाना
3 अप्रैल, 2020 से शुरु हुई मुख्यमंत्री दीदी किचन के माध्यम से गरीबों को दो वक्त (दोपहर और शाम) गरमा-गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था. यह लॉकडाउन 1.0 और लॉकडाउन 2.0 तक जारी रहा. इसके बाद दोपहर में जरूरतमंदों की उपस्थिति तो अच्छी रहती थी, लेकिन शाम में संख्या में कमी आने लगी. इसको देखते हुए लॉकडाउन 3.0 से इसे एक वक्त यानी दोपहर में गरीबों को भोजन उपलब्ध कराये जाने लगा, जो अब भी जारी है.
भूख से जंग जीतने में निभायी रही महत्वपूर्ण भूमिका
चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ के कारण झारखंड के कई जिलों में तेज बारिश हुई. इस बारिश में भी इन दीदियों ने अपनी सेवा बंद नहीं की और गरीबों को भोजन उपलब्ध कराती रहीं. पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत तांतनगर क्षेत्र की दीदियां बारिश में भींग कर भी अपनी सेवा बरकरार रखी, जो मानव सेवा की बेहतर मिसाल है.
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संकट की घड़ी में हर मोर्चे पर निभा रही जिम्मेदारी
सखी मंडल की दीदियां संकट की इस घड़ी में हर मोर्चे पर अपनी बखूबी जिम्मेदारी निभा रही हैं. ना सिर्फ सीएम दीदी किचन योजना के माध्यम से जरूरतमंदों तक भोजन उपलब्ध कराना, बल्कि बैंकिंग कोरेस्पोंडेंट बन कर भी सुदूर गांवों तक ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करा रही है. आजीविका मिशन के तहत 1,463 बैंकिंग सखी दीदियां करीब 7 लाख ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करायी है. लॉकडाउन के दौरान बैंकिंग कोरेस्पोंडेंट दीदियां 107 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया. 300 सखी मंडल की 1200 दीदियां मास्क, सेनिटाइजर, पीपीसी कीट, फेस वाइजर जैसी आवश्यक वस्तुओं के निर्माण में लगी हैं. इसके अलावा आजीविका फार्म फ्रेश से ऑनलाइन सब्जियों की बिक्री समेत कार्य इस लॉकडाउन में दीदियां कर रही हैं.
प्रवासी मजदूरों के वापस आने पर दीदियों की जिम्मेदारी बढ़ी : मंत्री
झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने प्रभात खबर डाट कॉम से बातचीत करते हुए कहा कि सखी मंडल की महिलाएं बेहतर कार्य कर रही हैं. करीब- करीब हर क्षेत्र में इन महिलाओं की उपस्थिति दिखती है. भले ही ये ग्रामीण महिलाएं हैं, लेकिन इनमें जज्बा और आत्मनिर्भरता देखते ही बनती है. प्रवासी मजदूरों के वापस आने के बाद इनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. आशा है कि इस जिम्मेदारी को भी वो बखूबी निभायेंगी.