झारखंड की राजधानी रांची में स्कूली बच्चों को स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बारे में बताया गया. उन्हें जागरूक किया गया. स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का कितना उपयोग बहुत अधिक उपयोग माना जा सकता है, इसके बारे में बच्चों को विस्तार से बताया गया. साथ ही उन्हें साइबर बुलिंग की भी जानकारी दी गयी. बच्चों को बताया गया कि साइबर बुलिंग सोशल मीडिया यूजर्स के लिए एक खतरा के रूप में उभर रहा है. इस कार्यक्रम में एक्सपर्ट्स ने बताया कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले किशोरों की निगरानी बेहद जरूरी है.
रांची के कांके स्थित कैंब्रियन स्कूल में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम का विषय था- ‘लॉग-इन या लॉक-इन : स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की डिजिटल दुनिया में? केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (सीआईपी) ने सेंटर फॉर एडिक्शन साइकियैट्री और ड्रग डी-एडिक्शन प्रोग्राम (डीडीएपी) की ओर से आयोजित कार्यक्रम को एक्सपर्ट्स ने संबोधित किया.
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कैंब्रियन पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल डॉ नीता पांडेय ने स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग को वर्तमान युग में उभरती समस्या करार दिया और इसमें हस्तक्षेप की जरूरत बतायी. डीडीएपी के नोडल ऑफिसर डॉ एसके मुंडा ने सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में जानकारी दी.
सीआईपी रांची स्थित एडिक्टिव बिहेवियर क्लिनिक के प्रभारी डॉ सौरव खानरा ने क्लिनिक में उपलब्ध सेवाओं के बारे में बताया. साथ ही बच्चों को सही इलाज के बारे में जागरूक किया. सीआईपी के निदेशक और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ बासुदेव दास ने स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की लत से संबंधित हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल दिया.
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डीडीएपी की सुश्री पारुल और कामेंद्र ने ‘शिक्षा में सोशल मीडिया : छात्रों की भूमिका और चुनौती’ विषय पर बच्चों के साथ बात की. सुश्री सोनिका, डॉ अभिजीत ने बताया कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का कितना इस्तेमाल बहुत ज्यादा माना जाता है. प्रतिक्रिया और प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन प्रिया, पुष्पा, बिपाशा और पंकज ने किया. कार्यक्रम में आठवीं, नौवीं और 10वीं के 120 छात्रों ने भाग लिया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ अभिजीत ने किया.