रांची: लोहरा अनुसूचित जनजाति की खतियानी जमीन की खरीद-बिक्री लोहार के नाम पर धड़ल्ले से होती रही है. ऐसा लिपिकीय त्रुटि के कारण होता रहा है. अधिकतर लोहरा अनुसूचित जनजाति के खतियान में जाति लोहार दर्ज है. जनजातीय कल्याण शोध संस्थान ने अपने अध्ययन में इस तथ्य को पाया था. इस कारण जमीन की प्रकृति पिछड़ी जाति का बता कर उसकी रजिस्ट्री होती रही है.
यह मामला काफी अरसे से उठता रहा है. अब रांची जिला के अपर समाहर्ता ने ऐसी प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने और 2008 से लेकर अब तक हुई रजिस्ट्री को रद्द करने के लिए जांच का निर्देश दिया है. अपर समाहर्ता के पत्र के आलोक में यह जांच होगी कि ऐसी जमीन, जिनके खतियान में जाति लोहार दर्ज है और यह संदेह है कि वह अनुसूचित जनजाति का है, तो उनकी जांच होगी. यह देखा जायेगा कि कहीं उक्त व्यक्ति अनुसूचित जनजाति का तो नहीं है.
यह मामला पूर्व विधायक देवकुमार धान ने उठाया था. इसके बाद जनजातीय कल्याण शोध संस्थान (टीआरआइ) ने लोहरा और लोहार जाति में अंतर दर्शाते हुए अपना प्रतिवेदन सौंपा था. इस पर कल्याण विभाग ने भी सहमति जतायी थी. इसमें स्पष्ट है कि लोहार पिछड़ी जाति के एनेक्चर टू के सदस्य हैं. वहीं, लोहरा जाति की उत्पति असुर जनजाति से हुई है और इनका आगमन मध्य प्रदेश के सरगुजा जिला से हुआ था. इनके 1930-32 के अधिकांश खतियान में जाति या कौम लोहार दर्ज है. इस मामले से 2006 को तत्कालीन कार्मिक सचिव ने सभी उपायुक्त को पत्र लिख कर अवगत कराया था.
पूर्व विधायक देव कुमार धान ने जनवरी 2022 में मुख्य सचिव से इस तरह की जमीन की रजिस्ट्री रोकने और पूर्व में हुई रजिस्ट्री को अवैध घोषित करने का आग्रह किया था. उन्होंने लिखा कि लोहरा अनुसूचित जनजाति के 1932-35 के खतियान में लिपिकीय त्रुटि के कारण लोहार दर्ज है, जिसका स्पष्टीकरण टीआरआइ के प्रतिवेदन से हुआ था.
कार्मिक ने इसके आलोक में 2006 में आदेश भी दिया था. आदेश के आलोक में रांची के तत्कालीन डीसी ने लोहरा अनुसूचित जनजाति के खतियान में दर्ज लोहार जमीन की खरीद-बिक्री में सीएनटी की धारा-46 के तहत खरीद-बिक्री सुनिश्चित करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मार्गदर्शन मांगा था.
इसके बाद राजस्व, भूमि सुधार विभाग ने वर्ष 2008 को रांची डीसी को पत्र लिख कर कहा कि लोहरा अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आता है और लोहरा जाति के लोगों को सीएनटी के तहत अनुसूचित जनजाति संबंधी सभी सुविधाएं अनुमान्य हैं.
डीसी के पत्र के आलोक में अपर समाहर्ता ने 2014 में लोहरा अनुसूचित जनजाति की खतियानी लोहार जमीन की खरीद-बिक्री को सीएनटी एक्ट के तहत करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया था. विधायक ने लिखा कि उक्त आदेश के बाद भी भू-माफिया और कर्मियों की मिलीभगत से आदेश को शिथिल कर अनुपालन नहीं किया जा रहा है. विधायक ने लिखा है कि रांची, लोहरदगा, गुमला सिमडेगा, खूंटी जिले में लोहार जाति के लोग निवास नहीं करते हैं, जो खतियान में दर्ज है. वे मूल रूप से लोहरा अनुसूचित जनजाति के रैयत हैं. उन्होंने इस पर मुख्य सचिव से कार्रवाई करने का आग्रह किया.
Posted By: Sameer Oraon