Lok Sabha Election 2024 : लोहरदगा से एकमात्र महिला सांसद रहीं सुमति, तीन बार जीती थीं चुनाव

लोहरदगा संसदीय सीट से कई क्षेत्रीय पार्टियां महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार चुकी हैं. कुछ निर्दलीय महिलाएं उम्मीदवार चुनाव लड़ चुकी हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2024 7:37 AM

लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के इतिहास में पहली महिला सांसद बनने का गौरव सुमति उरांव को प्राप्त है. वह भी एक बार नहीं, तीन-तीन बार सांसद बनीं. सुमति उरांव कांग्रेस के टिकट पर 1982, 1984 व 1989 में चुनाव लड़ीं और जीती थीं. लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में सुमति उरांव का नाम क्षेत्र की पहली महिला सांसद के रूप में भी लिया जाता है. विडंबना है कि इस सीट से तीन बार सांसद रहीं सुमति उरांव के बाद कांग्रेस या किसी राष्ट्रीय पार्टी ने यहां से किसी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया.सुमति उरांव उस समय चुनाव में आयी, जब कांग्रेस को उनकी जरूरत थी. क्योंकि आठ दिसंबर 1981 को हृदय गति रुकने से छोटानागपुर के काला हीरा के नाम से प्रसिद्ध कार्तिक उरांव का निधन हो गया था. कार्तिक उरांव अपने जमाने में कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे. उनके निधन के बाद लोहरदगा संसदीय सीट से कोई ऐसा नेता नजर नहीं आ रहा था, जिसे चुनाव में खड़ा किया जा सके. ऐसे में कांग्रेस ने स्व कार्तिक उरांव की पत्नी सुमति उरांव को 1982 के चुनाव में उतारा और सुमति उरांव चुनाव जीती.

वर्ष 1984 में कांग्रेस ने बीजेपी को हराया था

इसके बाद 1984 में फिर चुनाव मैदान में उतारा, जिसका परिणाम अच्छा मिला. 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुमति उरांव ने भाजपा के ललित उरांव को हराया था. उस चुनाव में सुमति को 1,57,284 वोट मिले थे, जबकि प्रतिद्वंद्वी ललित उरांव को 55,217 वोट मिले थे. पहली बार कांग्रेस ने किसी महिला उम्मीदवार को लोकसभा चुनाव में लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से टिकट दिया था. इसका असर था सुमति उरांव भारी मतों से चुनाव जीती थी. उनकी जीत का अंतर एक लाख, दो हजार, 67 वोट था. वहीं 1989 के चुनाव में भी कांग्रेस ने सुमति उरांव को मैदान में उतारा. इस चुनाव में भी सुमति उरांव भारी मतों से विजयी होकर तीसरी बार लोहरदगा संसदीय सीट से महिला सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. 1989 के चुनाव में सुमति ने भाजपा के ललित उरांव को हराया था. सुमति को 1,48,320 वोट मिले थे, जबकि प्रतिद्वंद्वी ललित उरांव को 1,09,248 वोट मिला था. हालांकि 1989 का चुनाव पूरा टर्म पूरा नहीं कर सकी.

1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को हराया

दो साल बाद 1991 में चुनाव हुआ. इसमें भी कांग्रेस ने सुमति उरांव को मैदान में उतारा. लेकिन इस बार सुमति उरांव हार गयीं. सुमति उरांव को भाजपा के ललित उरांव ने हराया. ललित उरांव को 1,39,611 वोट मिले थे, जबकि सुमति उरांव को 85,095 वोट मिले थे. सुमति उरांव के बाद से लोहरदगा संसदीय सीट से एक भी महिला सांसद नहीं बनी है. कांग्रेस ने किसी महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा और न ही भाजपा ने कभी महिला उम्मीदवार पर भरोसा जताया है. इसलिए लोहरदगा संसदीय सीट से सुमति उरांव के नाम तीन बार महिला सांसद बनने का नाम दर्ज है. हालांकि लोहरदगा संसदीय सीट से कई क्षेत्रीय पार्टियां महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार चुकी हैं. कुछ निर्दलीय महिलाएं उम्मीदवार चुनाव लड़ चुकी हैं. लेकिन जनता ने सुमति उरांव के बाद से किसी भी महिला को काम करने का अवसर नहीं दिया है. सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का इतिहास रहा है. 1957 से लेकर 2024 तक के चुनाव में किसी भी महिला उम्मीदवार पर भरोसा नहीं जताया. हर समय भाजपा पुरुषों को मैदान में उतारती रही है. लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में जिस प्रकार की राजनीति होती रही है. झारखंड बनने के बाद से लोहरदगा संसदीय सीट से महिला उम्मीदवारों को सांसद बनने का मौका नहीं मिला है.

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