लोकसभा चुनाव 2024: गीता कोड़ा के फैसले पर टिकी राजनीति, तैयार हो सकता है नया प्लॉट
गीता कोड़ा भाजपा में जा सकती हैं. ऐसा हुआ, तो फिर चुनाव का मिजाज बदलेगा, समीकरण बदलेंगे. हालांकि, सांसद गीता कोड़ा ने अब तक इस पर चुप्पी साध रखी है. भाजपा के अंदरखाने में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के चुनाव लड़ने की भी चर्चा है. पार्टी नेताओं का कहना है कि अर्जुन मुंडा नई जमीन तलाश सकते हैं.
रांची, आनंद मोहन : लोकसभा चुनाव में कोल्हान की धरती पर राजनीति नये रास्ते पर चल सकती है. सिंहभूम लोकसभा सीट पर उलटफेर का प्लॉट तैयार हो रहा है. इस सीट से वर्तमान कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के फैसले चुनावी राजनीति को नया रंग देंगे. चर्चा है कि गीता कोड़ा भाजपा में जा सकती है. ऐसा हुआ, तो फिर चुनाव का मिजाज बदलेगा. समीकरण बदलेंगे. हालांकि, सांसद गीता कोड़ा ने अब तक इस पर चुप्पी साध रखी है. कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा लगातार पार्टी के कार्यक्रम में भी सक्रिय हैं. उनके पति व कभी निर्दलीय मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा भी कांग्रेस की डोर पकड़ कर आगे बढ़ रहे हैं. कोड़ा दंपती की इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ है. दोनों हो जनजाति के मजबूत नेता माने जाते हैं. खुद पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा इस सीट पर निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की भी नजर गीता कोड़ा पर है. भाजपा ने यदि गीता कोड़ा को अपने पाले में कर लिया, तो चुनावी जंग साध सकते हैं.
अर्जुन मुंडा के चुनाव लड़ने की भी चर्चा
बीजेपी के अंदरखाने में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के चुनाव लड़ने की भी चर्चा है. पार्टी नेताओं का कहना है कि अर्जुन मुंडा नयी जमीन तलाश सकते हैं. केंद्रीय मंत्री इन अटकलों पर सटीक जवाब देते हैं कि पार्टी को निर्णय लेना है. जो उचित समझेगी करेगी, किसने सोचा था कि हम खूंटी से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन पार्टी ने निर्णय लिया, तो चुनाव लड़े. इस सीट से भाजपा तीन बार चुनाव जीत चुकी है. 1996 के लोकसभा चुनाव में चित्रसेन सिंकू ने पहली बार भाजपा को जीत दिलायी थी. झारखंड पार्टी, कांग्रेस और झामुमो के दबदबा वाले क्षेत्र में भाजपा की पहली सेंधमारी थी. इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मण गिलुआ दो बार सांसद रहे. इस सीट पर पूर्व आइएएस जेबी तुबिद भी अपनी दावेदारी करते हैं, वहीं बड़कुंवर गगरई उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल है, लेकिन सिंहभूम सीट पर सारे समीकरण गीता कोड़ा के आसपास हैं. वह भाजपा में गयीं, तो मामला कुछ और होगा.
सिंहभूम लोकसभा सीट में पड़नेवाले छह विधानसभा में पांच पर झामुमो के विधायक हैं
चर्चा है कि वर्तमान कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा भाजपा में जा सकती है, पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है.
भाजपा के अंदरखाने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के चुनाव लड़ने की भी चर्चा है.
झामुमो नेता व चक्रधरपुर से विधायक सुखराम उरांव इस सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
इधर इंडिया गठबंधन में इस बार झामुमो की दावेदारी फलक पर आयी है. कोल्हान में झामुमो की मजबूत पकड़ है. सिंहभूम लोकसभा सीट में पड़ने वाले छह विधानसभा में पांच विधानसभा झामुमो के पास हैं. गीता कोड़ा ने कोई बड़ा राजनीति फैसला लिया, तो झामुमो का ही रास्ता साफ होगा, क्योंकि कांग्रेस के पास फिर उम्मीदवार का टोटा होगा. वहीं झामुमो अपने को एनडीए के खिलाफ लड़ाई में आगे कर लेगा. झामुमो के पास उम्मीदवार की लंबी फेहरिस्त है. झामुमो नेता व चक्रधरपुर से विधायक सुखराम उरांव इस सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. पार्टी के अंदर सरायकेला से विधायक व मंत्री चंपई सोरेन का भी बड़ा कद है. पार्टी के अंदर चंपई भी मजबूत दावेदार माने जाते हैं. वहीं दीपक बिरुआ जैसे तेज-तर्रार व आंदोलनकारी पृष्ठभूमि वाले नेता झामुमो के पास हैं. ऐसे हालात में सिंहभूम सीट पर झामुमो की दावेदारी कांग्रेस पर भारी पड़ेगी.
सिंहभूम की पांच सीटों पर झामुमो का कब्जा, भाजपा का सूपड़ा साफ
सिंहभूम लोकसभा सीट में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. एक सरायकेला और पांच पश्चिमी सिंहभूम में पड़ते हैं. झामुमो के पास विधानसभा के पांच सीट हैं, वहीं कांग्रेस महज एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है. पूरे विधानसभा से भाजपा का सूपड़ा साफ रहा है. भाजपा के लिए यह क्षेत्र चुनौती भरा है. सरायकेला से चंपई सोरेन, चाईबासा से दीपक बिरुआ, मझगांव से निरल पूरती, मनोहरपुर से जोबा मांझी और चक्रधरपुर से सुखदेव उरांव विधायक हैं. जगरनाथपुर से कांग्रेस के सोना राम सिंकू विधायक हैं.
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