झारखंड में मरीजों से लूट : भर्ती मरीज को हर बार देखने का विजिटिंग चार्ज लेते हैं डॉक्टर, बनता है हजारों का बिल
झारखंड के निजी और कॉरपोरेट अस्पतालों में विजिटिंग चार्ज के नाम पर मरीजों की जेब खाली की जा रही है. ये मरीजों से लूट का तरीका है. इलाज के बिल आकलन से पता चलता है कि भर्ती मरीज का हाल जानने आ रहे जिस डॉक्टर ने रोजाना केवल दो से पांच मिनट दिये, उसके लिए परिजन को हजारों रुपये भरने पड़ गये.
रांची, राजीव पांडेय : राज्य के निजी और कॉरपोरेट अस्पताल (जो सुपरस्पेशियलिटी का तमगा लगाये हुए हैं) मरीजों की जेब खाली कराने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं. इसमें मरीज से डॉक्टर के विजिटिंग चार्ज के नाम पर वसूली जानेवाली मोटी रकम भी शामिल है. शुरुआत में मरीज के परिजन को इस मद में वसूली गयी रकम की हवा तक नहीं लगती. जब वे बारीकी से इलाज के बिल आकलन करते हैं, तो पता चलता है कि भर्ती मरीज का हाल जानने आ रहे जिस डॉक्टर ने रोजाना केवल दो से पांच मिनट दिये, उसके लिए परिजन को हजारों रुपये भरने पड़ गये. मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसके बिल में हर छोटी से छोटी सेवा के लिए पैसा जोड़ा जाता है. डॉक्टर का विजिटिंग चार्ज भी इसी सेवा में शामिल है. विजिटिंग चार्ज की रकम डॉक्टर के पद और वार्ड के हिसाब से तय की जाती है. अगर मरीज आइसीयू में हैं, तो एक विजिट का 1,400 से 1,500 रुपये लिये जाते हैं. वहीं, सामान्य वार्ड में 1,000 से 1,200 रुपये लिये जाते हैं. यह फीस सीनियर डॉक्टर की है. वहीं, ड्यूटी डॉक्टर का विजिटिंग चार्ज 400 से 500 रुपये निर्धारित है.
एक दिन के विजिटिंग पर 2,800 से 3,000 रुपये का चार्ज
सूत्रों के अनसुार, एक दिन में एक सीनियर डॉक्टर दो बार भर्ती मरीज को देखने जाते हैं. यानी सीनियर डॉक्टर के आइसीयू में एक दिन के विजिटिंग पर 2,800 से 3,000 रुपये अस्पताल चार्ज कर लेते हैं. वहीं, सामान्य वार्ड में परामर्श देने पर 2,000 से 2,400 रुपये लिये जाते हैं. इधर, ड्यूटी डॉक्टर के नाम पर भी अस्पताल दो बार विजिटिंग चार्ज का पैसा जोड़ते हैं. एक दिन में ड्यूटी डॉक्टर का 800 से 1,000 रुपये लिये जाते हैं. यानी आइसीयू में भर्ती मरीज से विजिटिंग चार्ज के नाम पर एक दिन में 3,600 से 4,000 रुपये लिये जाते हैं. वहीं, सामान्य वार्ड में भर्ती मरीज से विजिटिंग चार्ज के लिए 2,800 से 3,000 रुपये लिये जाते हैं. यानी अगर मरीज एक सप्ताह अस्पताल के आइसीयू में भर्ती रहा, तो विजिटिंग चार्ज के नाम पर ही उसे 25,000 से 28,000 रुपये तक देने पड़ते हैं. सामान्य वार्ड में भर्ती मरीजों को इस मद में 19,600 से 23,800 रुपये का बिल थमाया जाता है.
डॉक्टर को मिलता है विजिटिंग का 80 फीसदी राशि
झारखंड के अस्पतालों में विजिटिंग चार्ज का पूरा पैसा डॉक्टर साहब को नहीं मिलता है. हर विजिट का 20 फीसदी अस्पताल खुद रखता है. यानी आइसीयू में देखने से मिली 2,800 से 3,000 रुपये की राशि में से 560 से लेकर 600 रुपये अस्पताल को मिलते हैं. वहीं, सामान्य वार्ड में एक सीनियर डॉक्टर की विजिटिंग से प्रतिदिन 400 से 480 रुपये अस्पताल को मिलते हैं. ड्यूटी डॉक्टर से भी अस्पताल को 20 फीसदी पैसा बच जाता है.
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मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसके बिल में हर छोटी से छोटी सेवा के लिए जोड़ा जाता है पैसा
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डॉक्टर के पद और वार्ड के हिसाब से तय है विजिटिंग चार्ज, दिन में दो बार विजिट करते हैं सीनियर डॉक्टर
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ड्यूटी डॉक्टर जितनी बार मरीज को देखने जाते हैं, उतनी बार के लिए मरीज से विजिटिंग चार्ज लिया जाता है
डॉक्टर के ओपीडी शुल्क से ज्यादा विजिटिंग चार्ज वसूलते हैं अस्पताल
अस्पताल में एक ही डॉक्टर का विजिटिंग चार्ज उसके ओपीडी चार्ज अलग-अलग होता है. मरीज को डॉक्टर साहब से ओपीडी में दिखाने पर 800 से 1,000 रुपये लिये जाते हैं. अगर वही डॉक्टर आइसीयू और वार्ड में मरीज को देखने जाते हैं, तो उनका चार्ज बढ़ जाता है. यानी ओपीडी में डॉक्टर से दिखाना सस्ता है. हालांकि, कुछ अस्पताल के ओपीडी में डॉक्टर की फीस विजिटिंग चार्ज से ज्यादा है.
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