बेंगाबाद पंचायत ओझाडीह में पिछले 102 वर्षों से मां बूढ़ेश्वरी की पूजा की जा रही है. संतान प्राप्ति की कामना को लेकर आयोजित होने वाली इस पूजा में शामिल होने में झारखंड, बिहार और बंगाल के विभिन्न स्थानों से काफी संख्या में श्रद्धालुओं यहां पहुंचते हैं. इस बार यह पूजा शुक्रवार को होगी. इसकी सफलता के लिए पूजा समिति जोर-शोर से लगी हुई है.
खोशाल सिंह ने की थी पूजा अर्चना की शुरुआत
मां बूढ़ेश्वरी (Maa Budheshwari) की पूजा सबसे पहले गांव के ही खोशाल सिंह ने की थी. बताते हैं कि खोशाल सिंह पूजा के लिए देवघर जिले के बुढ़ई बूढ़ेश्वरीधाम गये थे. वहां पर उनकी आराधना से मां बूढ़ेश्वरी प्रसन्न हुई थी. स्वप्न आवे पर उन्होंने अपने गांव में लाकर मंदिर में मां को स्थापित किया. फाल्गुन माह के त्रयोदशी तिथि को यहां पूजा शुरू की गयी. त्रयोदशी तिथि सोम, बुध और शुक्र नहीं पड़ने पर फेरबदल किया जाता है. इस मंदिर में बलि की प्रथा है.
संतान प्राप्ति को लेकर बनी है ख्याति
इस मंदिर संतान प्राप्ति की कामना करने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती है. यही कारण है कि प्रत्येक साल यहां पर मां के दरबार में भक्त मनोकामना को लेकर आते हैं और पूरी होने पर अगले वर्ष में बकरे की बलि चढ़ाने आते हैं. खोशाल सिंह ने झोपड़ी में पूजा की शुरुआत की थी. यहां अब भव्य मंदिर है. भीड़ को देखते हुए दो मंदिर बनाया गया है. पूजा की जिम्मेदारी सिंह परिवार आज भी निभा रहा है. यहां गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, दुमका, पाकुड़, देवघर , बंगाल के आसनसोल, बिहार के जमुई जिले के कई प्रखंडो के हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. बलि की संख्या को देख दो मंदिर का निर्माण कराया गया है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए यहां बेंगाबाद पुलिस के अलावा स्थानीय पूजा समिति के सदस्य मेला में सुरक्षा व्यवस्था में लगे रहते हैं. सफल बनाने में समिति के फाल्गुनी सिंह, घनश्याम सिंह, वीरेंद्र सिंह, मुखिया वासुदेव नारायण सिंह, डिली नारायण सिंह, बालेश्वर प्रसाद सिंह, बूंदलाल सिंह, मुरलीधर सिंह, फोदार सिंह, पवन सिंह, सुनील सिंह, उदित नारायण सिंह, प्रकाश सिंह, बलदेव नारायण सिंह आदि सक्रिय हैं.