झारखंड में मदरसा से आलिम (स्नातक) फाजिल (एमए) पास करनेवाले विद्यार्थियों की डिग्री को झारखंड से बाहर मान्यता नहीं मिलती है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालय से लेकर नौकरी तक की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए विद्यार्थी आवेदन जमा नहीं कर पाते हैं. इस कारण मदरसा से आलिम व फाजिल की पढ़ाई करनेवालों की संख्या कम हो रही है. आलिम व फाजिल की पढ़ाई विश्वविद्यालय स्तर की है.
इस कारण इसकी परीक्षा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित होनी चाहिए. झारखंड में इसकी परीक्षा जैक द्वारा ली जाती है. जैक विद्यालय स्तर तक की परीक्षा लेने के लिए ही अधिकृत है. ऐसे में आलिम, फाजिल की परीक्षा की डिग्री को मान्यता नहीं मिलती है. जैक ने वर्ष 2017 में ही परीक्षा नहीं लेने के संबंध में शिक्षा विभाग को पत्र भेजा था. इसके बाद जैक ने दोनों परीक्षा के लिए पंजीयन फॉर्म जमा नहीं लेने का निर्णय लिया.
इसके बाद सरकार ने जैक से परीक्षा लेने को कहा. इस दौरान सरकार के स्तर से आलिम व फाजिल की परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर से लेने की तैयारी शुरू की गयी. इसके लिए कमेटी भी गठित की गयी. विश्वविद्यालय स्तर से परीक्षा कैसे होगी, मदरसा की मान्यता, सिलेबस जैसे मामलों पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका. इसके बाद से जैक ही परीक्षा ले रही है.
आलिम, फाजिल की डिग्री की मान्यता का मामला विधानसभा में उठा था. सरकार ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था. राज्य में 180 मान्यता प्राप्त मदरसा हैं. इन मदरसों को एकीकृत बिहार के समय ही मान्यता मिली थी.
आलिम, फाजिल में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है. वर्ष 2013 में आलिम (बीए) में 2199 आलिम (बीए ऑनर्स) में 2199 व फाजिल (एमए) में 892 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. वर्ष 2022 में इनकी संख्या घट कर आलिम (बीए) में 562 आलिम (बीए ऑनर्स) में 41, फाजिल (एमए) में 248 हो गयी है.