Daughter’s Day: महालया और बेटी दिवस आज

आज बेटी दिवस (Daughter's Day) है और महालया भी. महालया नवरात्रि और दुर्गा पूजा के शुरुआत का दिन है. महालया के दिन ही पितरों को विदाई दी जाती है और आदि शक्ति का धरती पर स्वागत किया जाता है. इसलिए नारी शक्ति का प्रतीक यह दिन बेहद खास है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 25, 2022 11:24 AM
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Daughter’s Day: आज घर की खुशियों और शान का दिन है. क्योंकि आज बेटी दिवस (Daughter’s Day) है और महालया भी. महालया नवरात्रि और दुर्गा पूजा के शुरुआत का दिन है. महालया के दिन ही पितरों को विदाई दी जाती है और आदि शक्ति का धरती पर स्वागत किया जाता है, इसलिए नारी शक्ति का प्रतीक यह दिन बेहद खास है. आज लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. हर क्षेत्र में पहचान बना रही हैं. फिर भी समाज में कई ऐसी जगहों हैं, जहां उन्हें कमतर आंका जाता है. इसी कमतर आंकने की सोच को बदलने का दिन है आज.

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण

हरमू निवासी अंजना दास झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड में डीजीएम (इलेक्ट्रिकल इंजीनियर) हैं. वह रेवेन्यू रूल्स रेगुलेशन, बिजली की सप्लाइ, डिस्ट्रिब्यूशन के अलावा कई तकनीकी काम देखती हैं. दिन हो या रात अपने काम में पूरी तन्मयता से लगी हुई हैं. अंजना दास कहती हैं कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिलाओं के लिए काम करना बहुत चुनौती भरा होता है. आज भी इस क्षेत्र में महिलाओं की संख्या कम है.

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कोरोना काल में घर से शुरू किया अपना स्टार्टअप

अपर बाजार निवासी प्रीति पांड्या का बिजनेस पूरे देश में फैल चुका है. कोराेना काल में उन्होंने अपने ससुराल कोडरमा से स्टार्टअप शुरू किया. पहले ऑनलाइन ब्यूटी कोर्स किया़ फिर घर में ब्यूटी केयर के प्रोडक्ट तैयार करने लगी. इनके ब्यूटी प्रोडक्ट्स की खासियत है कि यह पूरी तरह से हर्बल है, जो स्किन और हेयर के लिए बेहतर है. अब हर माह लाखों रुपये का बिजनेस कर रही हैं. प्रीति कहती हैं कि महिलाएं कोर्स कर घर बैठे कमा सकती हैं.

महिलाओं में काफी शक्ति, सिर्फ आगे बढ़ना का जज्बा जरूरी है

नामकुम निवासी सुहासिनी महली प्रतिभाअाें से भरी हैं. साहित्यकार होने के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत गायिका भी हैं. समाज सेवा से भी जुड़ी हुई हैं. बचपन से ही अपनी लिखी कविताअों का संग्रह तैयार किया है, जो जल्द ही प्रकाशित होने वाला है. साथ ही झारखंड के विभिन्न क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाली वीरांगनाओं और फिल्मों की नायिकाओं का भी संग्रह तैयार किया है. वर्तमान में लाेवाडीह के गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रही हैं. सुहासिनी कहती हैं : हम महिलाओं में बहुत शक्ति होती है. बस आगे बढ़ने का जज्बा होना चाहिए.

यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट अलब्रुस पर फहरा चुकी हैं तिरंगा

कोकर निवासी डॉ शिप्ति पेशे से चिकित्सक हैं. क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ शिप्ति वर्तमान में नयी दिल्ली में एक निजी अस्पताल में अपनी सेवा दे रही हैं. पिछले वर्ष 17 अगस्त को यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट अलब्रुस पर भारतीय तिरंगा फहरा चुकी हैं. यह कामयाबी मित्र कष्णेंदू दत्त के साथ हासिल की है़ इस पर्वत की ऊंचाई 18,510 फीट है. अब किलिमंजारो को फतह करने की तैयारी में हैं. डॉ शिप्ति मुंडा समुदाय से हैं. उन्होंने यह उपलब्धि हासिल कर साबित कर दिया कि बेटियां हर कुछ कर सकती हैं. डॉ शिप्ति बताती हैं कि तीनों बहनें डॉक्टर हैं.

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कोरोना काल में किया था सम्मानित

इटकी निवासी आरती तिर्की भुवनेश्वर एयरपोर्ट में वीआइपी अटेंडेंट हैं. इसके पहले वह बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर कार्यरत थीं. इस दौरान उन्हें देश-विदेश के कई गणमान्य लोगों को सेवा देने का अवसर मिला. उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हो चुकी है. कोराना काल में भी अपने कार्य पर अडिग रहीं. कोराेना काल में अच्छे प्रदर्शन के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा सम्मानित हो चुकी हैं. उन्हें हेल्पिंग हैंड राइजिंग स्टार रांची का भी खिताब मिल चुका है. आरती कहती हैं : अपने समुदाय के लिए इस पेशे में आना जरूरी था, ताकि आदिवासी बेटियां आगे बढ़ सके.

सुबह हो या रात बाइक से दूर-दराज के इलाकों में दूध पहुंचाती हैं रिंकी

बूटी रोड निवासी रिंकी कुमारी बेटियों ही नहीं, बेटों के लिए भी मिसाल हैं. सुबह हो या रात अपने दो पहिया वाहन से शहरों के अलावा दूर-दराज इलाकों में दूध पहुंचाती हैं. बहन और जीजा की एक घटना में मृत्यु हो गयी. उनके तीन बच्चाें की खातिर बिहार से रांची चली आयीं. एक मां की तरह बच्चों की परवरिश कर रही हैं. खुद ही खटाल संभालती हैं. रिंकी का यह हौसला कभी कम नहीं हुआ. वह कहती हैं कि भले ही मैं पढ़ नहीं पायी, लेकिन बच्चों को पढ़ाना जरूरी था.

कैटरीना कैफ के लिए कर रहीं ड्रेस डिजाइन

रांची की बेटी सृष्टि सिंह कैटरीना कैफ की ब्यूटी कंपनी से जुड़ी हुई हैं. कैटरीना के दो ऐड शूट में काम कर चुकी हैं. फिल्मों में भी काम करने का अवसर मिला है़ सृष्टि की डिजाइन ड्रेस के साथ कैटरीना कैफ का ऐड शूट लांच हो चुका है. वह कहती हैं : कैटरीना मैम के लिए ड्रेस डिजाइन करना किसी बड़े अवसर से कम नहीं है. लेकिन बड़ी चुनौती भी है. साथ ही बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा की हल्दी की रस्म के लिए भी ड्रेस तैयार की हैं, जिसे काफी पसंद किया गया. अनाया मल्होत्रा और शमिता शेट्टी के लिए भी ड्रेस डिजाइन कर चुकी हैं. कांके रोड निवासी सृष्टि ने 2016 में एनआइएफडी कोलकाता से फैशन डिजाइनिंग का काेर्स पूरा किया है.

देश की सुरक्षा के लिए हर समय सजग

रातू रोड निवासी लीजा झारखंड रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं. बीबीए इन सिक्यूरिटी मैनेजमेंट का कोर्स कर रही हैं. डिफेंस, साइबर सिक्यूरिटी, परेड आदि की प्रशिक्षण ले रही हैं. सशस्त्र सेना बल में अपना योगदान देने के उद्देश्य से उन्होंने इस कोर्स में दाखिला लिया है. लीजा फायर फाइटिंग में माहिर हैं. कहती हैं कि देश की सुरक्षा में अगर जान भी देनी पड़े, तो हंसते-हंसते जान दे देंगी.

ये कानून बेटियों का हौसला बढ़ाते हैं 

  • दहेज निषेध अधिनियम

  • मातृत्व लाभ अधिनियम

  • गर्भावस्था अधिनियम

  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम

  • लिंग परीक्षक रोकथाम अधिनियम

  • बाल विवाह रोकथाम अधिनियम

  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम

  • भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम

ये योजनाएं भविष्य की राह बना रही हैं

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ : इसके तहत मुफ्त शिक्षा, साइकिल, पोशाक व पुस्तकें उपलब्ध करायी जाती हैं.

  • किशोरी शक्ति योजना-किशोरियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया जाता है.

  • राजीव गांधी योजना : साल में 300 दिन पूरक पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है.

  • मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना 72,000 आय वर्ग के परिवार की बालिकाओं का भविष्य सुरक्षित करने के लिए वित्तीय सहायता पहुंचायी जाती है.

  • मुख्यमंत्री कन्यादान योजना विवाह के अवसर पर 30,000 रुपये की आर्थिक मदद की जाती है.

  • तेजस्विनी योजना : रोजगार के दृष्टिकोण से बेटियों को प्रशिक्षित किया जाता है.

  • प्री, पोस्ट मैट्रिक व मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति : इसके तहत शिक्षा के लिए बेटियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है.

चुनौतियां भी…स्कूल छोड़ रहीं हैं बच्चियां

झारखंड में बेटियां पढ़ाई के बीच में ही स्कूल छोड़ रही हैं. कक्षा बढ़ने के साथ छात्राओं का ड्राॅपआउट बढ़ता जा रहा है. पहली से पांचवीं कक्षा तक छात्राओं का ड्राॅपआउट छात्रों से कम है, लेकिन हाइस्कूल में यह आंकड़ा पूरी तरह बदल जाता है. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पहली से पांचवीं तक लड़के और लड़कियों का औसत ड्रॉपआउट रेट 3.5 फीसदी, कक्षा छठी से आठवीं में 5.2 फीसदी और कक्षा नौवीं व 10वीं में यह दर 13.4 फीसदी है.

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