मकर संक्रांति, पोंगल और बिहू 15 जनवरी को, बाजार में रौनक, नए कार्य और शादी-विवाह की होगी शुरुआत
इस साल मकर संक्रांति, पोंगल और बिहू 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. त्योहारों के लेकर बाजार में रौनक है. विभिन्न जगहों पर मेला सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा. लोग पूजा-अर्चना कर मंगल कामना करेंगे. इसी के साथ नए कार्य और शादी-विवाह की शुरुआत होगी.
मकर संक्रांति, पोंगल, रोंगाली बिहू और खिचड़ी पर्व 15 जनवरी को है. इसे लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है. 15 जनवरी को भगवान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में दिन के 9.13 बजे प्रवेश करेंगे. इसके बाद से संक्रांति का पुण्य काल शुरू हो जायेगा. जिसके बाद लोग स्नान-ध्यान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना कर मकर संक्रांति का त्योहार मनायेंगे. इस दिन कई भक्त गंगा सहित अन्य सहायक नदियों में डुबकी लगायेंगे और दान पुण्य कर त्योहार मनायेंगे. इसी दिन खरमास की समाप्ति हो जायेगी. जिसके बाद से वैवाहिक कार्य शुरू हो जायेंगे. इसी दिन लोग खिचड़ी बनाकर उसका दान कर सेवन करते हैं. इस कारण से इसे खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है.
तमिल समाज मनायेगा पोंगल
तमिल समाज के लोगों का प्रमुख त्योहार पोंगल भी 15 जनवरी को मनाया जायेगा. इस त्योहार के दिन से ही तमिल समाज के लोगों का नया साल भी शुरू हो जाता है. चार दिनों के इस पर्व के पहले दिन 14 जनवरी को भोगी मनाया जायेगा. इस दिन घरों से निकाले गये सभी कचड़ों को घरों से दूर कर उसमें आग लगा दी जायेगी. ऐसा माना जाता है कि इससे घरों में लगी बुरी नजर दूर हो जाती है. इसके अगले दिन सूर्य पोंगल मनाया जाता है. इस त्योहार के आखिरी दिन लोग घूमने के लिए निकलते है. इसे कानन पोंगल के नाम से जाना जाता है.इसी दिन इस त्योहार का समापन हो जाता है.
हरियाणा-दिल्ली में संक्रांत का त्योहार
हरियाणा और दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रांत का त्योहार मनाया जाता है.जिसमें लोग खीर, चूरमा, हलवा, तिल-गुड़ के लड्डू व चिक्की तैयार करते हैं और पूजा के उपरांत इसका वितरण करते हैं. वहीं जम्मू ,कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी मकर संक्रांति के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है. राजस्थान में भी इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस दिन फीनी , तिल-पट्टी, गजक, खीर, घेवर, पकौड़ी, पुआ और तिल-लड्डू तैयार किये जाते हैं.
आंध्रप्रदेश व तेलंगाना में संक्रांति पर्व की धूम
इस अवसर पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग संक्रांति पर्व मनाते हैं, जो चार दिनों तक मनाया जाता है. लोग घरों के प्रवेश द्वार के सामने रंगोली बनाते हैं. इस मौके पर घरों में विशेष पकवान तैयार कर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं गोवा में इसे संक्रांत के नाम से जाना जाता है. इसमें कई तरह की परंपरागत मिठाइयां बनाायी जाती हैं. वहीं गुजराती समाज के लोग इस दिन उत्तरायण का त्योहार मनाते हैं.यह त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है. लोग पतंग उड़ाकर अपनी खुशी का इजहार करते है.
असम में बिहू संग शुरू होगा विवाह
असम के लोगों का प्रमुख त्योहार बिहू भी 15 को मनाया जायेगा.इस दिन से इन लोगों का नया साल शुरू हो जाता है. इसी दिन से उनके यहां शादी विवाह आदि भी शुरू हो जाता है. यह त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है. सबसे पहले माघ माह में इसे मनाया जाता है, जिसे भोगाली बिहू या माघ बिहू के नाम से भी जाना जाता है.इसके बाद यह त्योहार अप्रैल के मध्य में आता है, जिसे रोंगाली बिहू कहा जाता है. इसके अलावा अंतिम बार ये पर्व अक्टूबर में आता है, जो काती बिहू के नाम से जाना जाता है. यह त्योहार सात दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं. इसे भगवान को अर्पित करने के बाद स्वयं ग्रहण करते हैं और इसके बाद लोक गीत व नृत्य कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं. बिहू पर किसान भगवान से साल भर अनाज की बेहतर पैदावार की कामना करते हैं.
ओडिशा में मकर मेला होगा शुरू
ओड़िशा में मकर संक्रांति के दिन से मकर मेले की शुरुआत होती है और इस दिन घरों में कई विशेष पकवान तैयार किये जाते हैं. जिसमें नारियल से लेकर नया चावल, तिल, गुड़, छेना ,पक्का केला और दूध सहित अन्य कुछ से व्यंजन तैयार किये जाते हैं. इस दिन भगवान सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसके अलावा इसे दोस्ती दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. पुरी में जगन्नाथ, कटक में धबलेश्वर, बालासोर में मकर मुनि मंदिर और खोरधा में हटकेश्वर मंदिर में इस दिन पूजा-अर्चना के लिए काफी भीड़ रहती है.
पंजाब में मनाया जायेगा माघी पर्व
पंजाब में मकर संक्रांति को माघी पर्व के नाम से जाना जाता है. इस दिन प्रातः काल नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दिन हिंदू समाज के लोग तिल के तेल से दीपक जलाते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह समृद्धि देता है और सभी पापों को दूर करता है. इसके अलावा मुक्तसर साहिब में एक प्रमुख मेला लगता है. केरल में इसे संक्रांति व मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. सबरीमला में इस दिन पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इसे राज्य में उत्तरायणी, खिचरी संग्रांद, पुस्योदिया, घुघुतिया, घुघुति त्यार, काले कौवा सहित अन्य नामों से जाना जाता है.