चिलचिलाती धूप और लू की लपट में संभाल रहे ट्रैफिक
राजधानी का पारा लगातार दूसरे दिन (गुुरुवार) भी 42 डिग्री के ऊपर रहा. इस तपती गर्मी में हर कोई घरों में ठिठका हुआ है.
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को लोहे के शेड में बैठना हुआ दुश्वार रांची. राजधानी का पारा लगातार दूसरे दिन (गुुरुवार) भी 42 डिग्री के ऊपर रहा. इस तपती गर्मी में हर कोई घरों में ठिठका हुआ है. सिर्फ आवश्यक काम के लिए राजधानीवासी घरों और दफ्तरों से बाहर निकल रहे हैं. दूसरी तरफ ट्रैफिक पुलिस के जवान अपनी ड्यूटी पर सजग दिख रहे. कड़ी धूप में खुले आसमान के नीचे ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में जुटे हुए हैं. चिलचिलाती धूप और लू की लपट के बीच ट्रैफिक के महिला और पुरुष जवान 60 से अधिक प्रमुख चौक-चौराहों पर तैनात है़ं हर वर्ष विभाग की ओर छाता, ग्लूकोज, ओआरएस, गलब्स, सन ग्लासेस दिया जाते थे, लेकिन इस वर्ष अभी तक ये चीजें नहीं दी गयी हैं. वर्तमान में 350 अधिकारी और जवान कार्यरत है़ंं
लोहे के शेड में बैठना दुश्वार
अलबर्ट एक्का चौक, सर्जना चौक, लालपुर चौक, सहजानंद चौक, न्यू मार्केट चौक, कचहरी चौक, रतन टाॅकिज पुलिस पोस्ट, सिरमटोली चौक, बहुबाजार चौक, बूटी मोड़ और खेलगांव चौक सहित कुछ चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के लिए लोहा का शेड बनाया गया है. लेकिन सभी शेड इतने नीचे हैं कि तपती धूप में उसके नीचे रहना मुश्किल हो गया है. दूसरी तरफ कोकर चौक, डंगराटोली चौक, मिशन चौक आदि पर शेड की व्यवस्था नहीं होने से पुलिसकर्मी दुकान या आसपास के किसी पेड़ के छांव के नीचे राहत पाते दिख रहे हैं.दुकानदारों की छतरी बन रही सहारा
सर्जना चौक पर तैनात पुलिसकर्मियों ने बताया कि लोहे का ट्रैफिक पोस्ट इतना नीचे है कि उसमें बैठना मुश्किल हो गया है. विवश होकर फुटपाथ पर जूस, चाय आदि बेेच रहे दुकानदारों की छतरी के नीचे जाना पड़ जाता है. विभिन्न चौक-चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस गर्मी में कोई भी सुविधा नहीं मिली है. अपने पैसे से घड़ा, पानी का जार, ओआरएस का घोल खरीद कर रहे हैं, ताकि डिहाइड्रेशन से बच सकें.महिला पुलिसकर्मी को शौच के लिए होती है सबसे अधिक परेशानी
उर्दू लाइब्रेरी चौक के पास ट्रैफिक जवान कड़ी धूप में डयूटी पर तैनात हैं. यहां पोस्ट की व्यवस्था नहीं है. इसलिए धूप से थोड़ी राहत पाने के लिए इधर-उधर का सहारा लेना पड़ रहा है. साथ ही विभाग की ओर से अभी तक जरूरी चीजें नहीं दी गयी हैं. सबसे अधिक परेशानी शौचालय को लेकर होती है. खासकर महिला सिपाहियों के लिए भारी मुश्किल हो जाती है. विवश होकर उन्हें मॉल और बड़ी दुकानों के शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता है. पीने के पानी के लिए भी दूसरे पर ही निर्भर रहना पड़ता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है