व्यापारियों का आंदोलन लंबा चला तो झारखंड में हो सकती है खाद्यान्न की किल्लत, मंडी शुल्क का हो रहा विरोध

झारखंड में मंडी शुल्क लागू किये जाने का विरोध चल रहा है, इसके तहत दूसरे राज्यों से खाद्यान्न की आवक रोक दी है. ऐसे में आंदोलन लंबा चला, तो राज्य में खाद्यान्न की किल्लत हो सकती है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 17, 2022 1:33 PM

रांची: झारखंड में मंडी शुल्क लागू किये जाने के विरोध में राज्य भर में व्यापारियों ने आंदोलन तेज कर दिया है. इसके मद्देनजर दूसरे राज्यों से खाद्यान्न की आवक रोक दी है. सिर्फ 15 मई को बुक सामग्री का ही उठाव करेंगे. इधर, झारखंड चेंबर व उससे संबद्ध संस्थाओं ने दावा किया है कि सोमवार से कोई भी व्यवसायी बाहर से किसी भी प्रकार का खाद्यान्न नहीं मंगा रहा है. ऐसे में आंदोलन लंबा चला, तो राज्य में खाद्यान्न की किल्लत हो सकती है.

इन व्यावसायिक संगठनों का मिला समर्थन :

आंदोलन को झारखंड चेंबर व इससे जुड़ीं संस्थाएं, राज्य के सभी जिलों के चेंबर, खाद्यान्न व्यवसायी, दाल मिल, तेल मिल, राइस मिलर्स एसोसिएशन, फ्लावर मिलर्स, आलू-प्याज थोक बिक्रेता संघ, फल व सब्जी विक्रेता संघ सहित अन्य संस्थाओं का समर्थन मिल रहा है.

मंडी शुल्क से नहीं, इंस्पेक्टर राज से सहमे हैं व्यवसायी :

अपर बाजार के थोक कारोबारियों का कहना है कि वे मंडी शुल्क से नहीं, बल्कि इंस्पेक्टर राज से सहमे हैं. बाजार समितियों में माल उतारने और स्टॉक करने के दौरान भ्रष्टाचार व अधिकारियों का अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ेगा. इसका खामियाजा अंतत: छोटे व्यवसायियों और ग्राहकों को ही भुगतना पड़ेगा.

व्यापारियों ने कहा कि झारखंड में मंडी शुल्क के प्रभावी होने से खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी. व्यवसायियों का कहना है कि सरकार और इनके अधिकारी अभी भी पंडरा और अपर बाजार तक ही सिमटे हुए हैं. शुल्क का भार भी यहीं लगाया गया है. जबकि, दो दशकों के दौरान थोक का कारोबार इन मंडियों से बाहर निकल कर पास के चुटिया, हटिया, रातू, बेड़ो और नगड़ी के बाजारों में भी हो रहा है. इन क्षेत्रीय मंडियों में भी लाखों का कारोबार रोजाना हो रहा है.

Posted By: Sameer Oraon

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