Loading election data...

झारखंड में इस बार आम की बंपर फसल लेकिन किसानों नहीं मिल रहा सही दाम, जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

प्रदान समेत कई संस्थाओं ने स्कीम की शुुरुआत करायी थी. 2001-02 में आम का पौधा लगवाया था. कल्याण विभाग से मिलकर यह काम हुआ था. 2008-09 में भारत और केंद्र सरकार के विशेष परियोजना में खूंटी, चाईबासा, दुमका आदि में बागवानी करायी गयी. 2016 में स्कीम को ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से मनरेगा में शामिल कराया गया. इसमें कई अन्य संस्थाओं ने सहयोग किया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 24, 2021 11:41 AM
an image

Mango Farming In Jharkhand, Ranchi News रांची : झारखंड, बिहार और बंगाल में इस बार आम की अच्छी पैदावार हुई है. आम तौर पर झारखंड में जरूरत भर का आम नहीं होता था, लेकिन इस बार पांच-छह साल पहले करायी गयी आम की खेती का असर दिखने लगा है. छह साल पहले (2015-16) में झारखंड के कई जिलों में मनरेगा के तहत ग्रामीण विकास विभाग ने आम की खेती करायी थी. यही कारण है कि इस बार राज्य में आम की बंपर फसल आयी है. इससे झारखंड में दूसरे राज्यों से आम कम आ रहे हैं. वहीं, आम की अच्छी कीमत नहीं मिलने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. बेहतर आम की बिक्री बाजार में 40 से 50 रुपये प्रति किलो हो रही है. झारखंड के जंगलों के बीजू आम की भी बिक्री बाजार में हो रही है.

प्रदान सहित कई संस्थाओं ने 2001-02 में लाया था स्कीम :

प्रदान समेत कई संस्थाओं ने स्कीम की शुुरुआत करायी थी. 2001-02 में आम का पौधा लगवाया था. कल्याण विभाग से मिलकर यह काम हुआ था. 2008-09 में भारत और केंद्र सरकार के विशेष परियोजना में खूंटी, चाईबासा, दुमका आदि में बागवानी करायी गयी. 2016 में स्कीम को ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से मनरेगा में शामिल कराया गया. इसमें कई अन्य संस्थाओं ने सहयोग किया.

मनरेगा…पांच वर्ष में 35 लाख आम के पौधे लगे

मनरेगा में पिछले पांच वर्षों में 38062 परिवार के साथ 31816 एकड़ में आम बागवानी हुई है. इनमें 34.31 लाख 357 आम्रपाली एवं मल्लिका किस्म के पौधे लगे हैं. 24 जिलों के 263 प्रखंडों में पिछले वर्ष बागवानी की गयी. 2016 एवं 2017 में लगाये गये पौधों में फल आये. आम का कुल अनुमानित उत्पादन 750 मीट्रिक टन है. इसके अलावा सरकार की अन्य योजनाएं (विशेष स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना, वाड़ी एवं उद्यान विभाग) ली गयी. झारखंड में इस वर्ष कुल 1000 मीट्रिक टन आम के उत्पादन के आसार हैं.

नहीं उपलब्ध हो पाया बाजार

झारखंड के आसपास के राज्य को अभी यह पता नहीं है कि झारखंड में आम की अच्छी खेती होने लगी है. इस कारण थोक व्यापारी अभी झारखंड नहीं आ रहे हैं. स्थानीय थोक व्यापारी ही देहात से जाकर आम खरीद रहे हैं. इस वर्ष कोरोना के कारण बाहर के व्यापारियों से संपर्क नहीं हो पाया था. इस कारण ग्रामीण इलाकों (खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा) में आम की थोक कीमत काफी गिरी है. किसानों को सहयोग करने के लिए कुछ निजी संस्था और व्यक्ति मदद कर रहे हैं. शहर में लाकर आम बेचने की कोशिश कर रहे हैं.

कहते हैं विशेषज्ञ

बाजार व्यवस्था एवं विकेंद्रीकृत खरीद प्रणाली के साथ-साथ किसानों को फल की छंटाई एवं पैकेजिंग का प्रशिक्षण देना आवश्यक है. अगले दो वर्षों में झारखंड में आम का उत्पादन पांच गुना बढ़ने की संभावना है.संस्थाओं के साथ मिलकर सरकार को किसानों के उत्पादक समूहों के साथ इन मनरेगा के किसानों को जोड़ने की आवश्यकता है.

-प्रेम शंकर, प्रदान संस्था

कहते हैं व्यापारी

इस साल आम का उत्पादन अच्छा है. लोकल आम भी बाजार में है. लोकल आम की मांग ज्यादा है. भागलपुर वाले लंगड़ा से भी अधिक डिमांड लोकल का है. यहां से बाहर आम जा नहीं पाने के कारण कीमत कम है. अच्छा आम थोक मंडी में 40 से 50 रुपये तक है. कमजोर क्वालिटी का 25 से 30 रुपये किलो तक बिक रहा है.

-साजिद इस्लाम, थोक फल व्यापारी

Posted By : Sameer Oraon

Exit mobile version