झारखंड कैबिनेट से स्थानीयता का प्रस्ताव पारित होने पर कई ने जताए आभार, तो कई राजनेताओं ने उठाए सवाल

झारखंड कैबिनेट से 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति का प्रस्ताव पारित होने के बाद कहीं खुशी का माहौल है, तो कई राजनेता अब हेमंत सरकार से सवाल पूछने लगे हैं. पूर्व सीएम मधु कोड़ा, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, निर्दलीय विधायक सरयू राय सरीखे नेताओं ने सही तरीके से लागू करने संबंधी कई सवाल पूछे हैं.

By Samir Ranjan | September 16, 2022 6:38 AM

Jharkhand news: झारखंड कैबिनेट से 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति के प्रस्ताव को पारित किया गया. इस प्रस्ताव के पारित होते ही कई आदिवासी संगठनों समेत अन्य नेताओं ने हेमंत सरकार का आभार जताया, वहीं, कई राजनेताओं ने इस पर सवाल भी उठाए. आइये जानते हैं कि स्थानीयता के मुद्दे पर राजनेताओं की क्या रही प्रतिक्रिया.

बरही विधायक उमाशंकर अकेला ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिल कर बधाई दी. उनके साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता सह मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री सत्यानंद भोक्ता शामिल थे. उन्होंने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट से 1932 खतियान और ओबीसी को 27% आरक्षण के प्रस्ताव की मंजूरी पर हर्ष जताया. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार जनता की सरकार है. मुख्यमंत्री ने वर्षों से बंद पुरानी पेंशन योजना को लागू किया. सेविका सहायिका के मानदेय में वृद्धि किया.

हेमंत सरकार ने झारखंड वासियों का सपना पूरा किया : भाकपा माले

भाकपा माले की डाड़ी प्रखंड स्तरीय बैठक गुरुवार को हेसालौंग स्थित पार्टी कार्यालय में हुई. अध्यक्षता अशोक गुप्ता व संचालन गोविंद राम भुइयां ने किया. मौके पर वक्ताओं ने कहा कि झारखंड सरकार ने 1932 के खतियान को मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले को पार्टी समर्थन करती है. भाकपा माले के जिला सचिव पच्चू राणा ने कहा कि हेमंत सरकार ने झारखंड वासियों का सपना पूरा किया है. भाकपा माले विधायक विनोद सिंह की भूमिका इसमें अहम रही है. उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को हेसालौंग में जयंत गांगुली स्मृति दिवस का आयोजन किया जायेगा. इसमें बगोदर विधायक विनोद सिंह व राजकुमार यादव उपस्थित रहेंगे. बैठक में सोहराय किस्कू, रामप्रवेश गोप, विनोद प्रसाद, महेंद्र प्रसाद, महेश गोप, मदन प्रजापति, रमेश प्रसाद, बबलू गोप, धनंजय सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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सरयू राय ने हेमंत से पूछे सवाल

निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ट्विटर कर हेमंत सरकार से सवाल पूछे हैं. कहा कि हेमत सोरेन ने पिछले विधानसभा में कहा कि 1932 खतियान आधारित स्थानीयता संभव नहीं. अब इसे लागू कर दिया. दो माह में ऐसा क्या हुआ? हाईकोर्ट के पांच जजों का निर्णय (2002) रहते हुए यह 9वीं अनुसूची में कैसे शामिल होगा? जबकि आधा झारखंड इसकी परिधि में नहीं आता. नीयत सही है तो सर्वेक्षण करा लें.

कोल्हान में 1964-65 के सर्वे के आधार पर बना खतियान

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोल्हान प्रमंडल के तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां के लाखों लोग अपना अधिकार पाने से वंचित रह जायेंगे. क्योंकि यहां पर 1964-65 में हुए सर्वे के आधार पर खतियान बना है. कहा कि आजादी के बाद वर्ष 1958 में रि-सेटेंलमेंट कर वंचित भूमिहीनों को अधिकार दिया गया. ऐसे में सरकार 1932 के खतियान को वापस लेते हुए वर्ष 1964-65 के खतियान को आधार बनाए.

पूर्णिमा नीरज सिंह ने उठाये सवाल

पूरे राज्य के लिए एक मान्य सर्वे हो, मैं 1985 की बात नहीं कर रही, लेकिन कोई मान्य कट ऑफ डेट हो, जिसमें कोई न छूटे. झारखंड में अलग-अलग समय पर सर्वे हुए हैं. वर्तमान फैसला जल्दबाजी में लिया गया है. इस मामले में पूरे अध्ययन के बाद निर्णय होना चाहिए.

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स्थानीय नीति जल्द उतारे धरातल पर : सुदेश महतो

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने स्थानीय नीति को जल्द धरातल पर उतारने की बात कही है. कहा कि राज्य सरकार राजनीतिक दबाव यह फैसला ली है. कहा कि स्थानीयता को लेकर आजसू सड़क से सदन तक संघर्ष करती रही है. आजसू इसपर पैनी निगाह रखेंगे.

एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाकर विधानसभा से पारित कराये सरकार : ललित

आजसू के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष ललित कुमार महतो ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पर कहा कि अगर झारखंड सरकार को स्थानीय(खतियान आधारित) नीति लागू करने की इच्छा है तो अतिशीघ्र विधान सभा में पारित करे. और महामहिम राज्यपाल और केंद्र को बाध्य होना पड़े इसको लागू करने के लिए. जिस प्रकार एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर (बिना जरूरत का)विश्वास मत हासिल किये. उसी प्रकार स्थानीय नीति पर भी सरकार को प्रयत्नशील (एक्टिव) होना चाहिए, न कि सदस्यता समाप्त होने से पहले एक शिगूफा(ढोंग) के रूप में प्रचार का माध्यम सिर्फ हो. यही सरकार पिछला सत्र में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति नहीं बन सकता है कहा था, सरकार सदन में अलग कहती है और केबिनेट में अलग, अगर सरकार का मंशा साफ है तो विशेष सत्र बुलाए. जनता को धोखा में ना रखें.

गोड्डा सांसद ने किये सवाल

गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दूबे ने सवाल पूछा कि पलामू कमिश्नरी के अलावा कोल्हान, संताल परगना के अधिकतर हिस्से और धनबाद 1932 के सर्वे में चिह्नित नहीं है. अधिकतर अनुसूचित जाति के लोगों के पास घर भी नहीं है. 1947 में बंटवारे के बाद लोग यहां आकर बसे हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें कैसे लाभ मिलेगा.

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