रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में मशीनें खराब, तीन साल से जटिल सर्जरी बंद

लेजर मशीन नहीं रहने से मरीजों की नयी विधि से सर्जरी नहीं हो पा रही है. विभाग में डॉक्टरों की भी कमी है, यहां सिर्फ दो सीनियर डॉक्टर हैं. वार्ड में 36 बेड स्वीकृत हैं, जबकि 50 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 6, 2024 12:06 AM

रांची. रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में जरूरी और अत्याधुनिक मशीनों की काफी कमी है. वहीं, विभाग में सीआर्म, टेलीस्कोप और नेफ्रोस्कोपी मशीन खराब है. इस कारण लगभग तीन साल से जटिल सर्जरी नहीं हो पा रही है. इसके अलावा लेजर मशीन नहीं रहने से मरीजों की नयी विधि से सर्जरी नहीं हो पा रही है.

ज्ञात हो कि विभाग में जो मशीनें हैं, वह 10 से 12 साल पुरानी हैं और कंपनी से एएमसी-सीएमसी (एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट व कॉम्प्रिहेंसिव मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट) का करार भी खत्म हो चुका है. ऐसे में नयी मशीनों की खरीदारी ही अंतिम विकल्प है. वहीं, ओटी में दो एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन है, जिसमें से एक खराब है. वहीं, दूसरे में मशीनें जर्जर अवस्था है. ऐसे में डॉक्टर पुरानी मशीनों से ही ऑपरेशन करने को मजबूर हैं.

इधर, विभाग में डॉक्टरों की भी कमी है. यहां सिर्फ दो सीनियर डॉक्टर हैं, जो छह दिन ओपीडी में मरीजों को परामर्श देते हैं और सर्जरी भी करते हैं. विभाग में सीनियर रेजीडेंट एक भी नहीं है. वहीं, एमसीएच की पढ़ाई नहीं होने की वजह से विभाग में पीजी स्टूडेंट नहीं हैं. ऐसे में सर्जरी विभाग से आग्रह कर दो पीजी स्टूडेंट को बुलाया गया है, जो इलाज में सहयोग करते हैं. वहीं, वार्ड में 36 बेड स्वीकृत हैं, जबकि 50 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं. मरीजों के हिसाब से नर्स और टेक्नीशियन की संख्या भी बहुत कम है.

पीसीएनएल विधि से सर्जरी चार साल से बंद

रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में पीसीएनएल विधि से किडनी स्टोन की सर्जरी होती थी, लेकिन यह चार साल से बंद है. नेफ्रोस्कोपी और सीआर्म मशीन खराब होने से यह सर्जरी नहीं हो रही है. पीसीएनएल विधि से सर्जरी होने पर छोटे छिद्र से डॉक्टर किडनी स्टोन तक पहुंच जाते थे और सर्जरी कर लेते थे. इस विधि से सर्जरी करने पर रक्तस्त्राव कम होता है और अस्पताल में मरीजों को कम दिन तक रहना पड़ता है.

प्रतिदिन 50-60 मरीजों को परामर्श, हर माह 100 सर्जरी

यूरोलॉजी विभाग के ओपीडी में प्रतिदिन 50-60 मरीजों को परामर्श दिया है. वहीं, हर माह 90 से 100 मेजर और माइनर सर्जरी होती है. पेशाब की सामान्य सर्जरी, पेशाब की नली में रुकावट, किडनी में स्टोन आदि की सर्जरी होती है.

यूरोलॉजी विभाग में फैकल्टी

डॉ अरशद जमाल, एडिशनल प्रोफेसर

डॉ राणा प्रताप सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर

बोले अधिकारी

सीआर्म मशीन अधिकांश विभाग में खराब है, लेकिन इसकी खरीदारी आवश्यकता के हिसाब से प्रर्याप्त मात्रा में की जा रही है. वहीं, टेलीस्कोप और नेफ्रोस्कोपी मशीन खरीदने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए आवेदन निकाला गया है.

डॉ राजीव कुमार, पीआरओ, रिम्सB

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