झारखंड में अब तक धरातल पर नहीं उतरीं कई पुरानी योजनाएं, ना बना तारामंडल और ना ही साइंस सिटी
योजनाओं में गरीबों के लिए दाल वितरण, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभुकों को अतिरिक्त कमरे के लिए 50 हजार रुपये की राशि देने की योजना, एग्री स्मार्ट विलेज, गोधन न्याय योजना, बिरसा फसल विस्तार योजना और स्कूलों में शिक्षकों को टैब देने जैसी योजना भी धरी की धरी रह गयीं.
वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त हो गया. राज्य सरकार ने बीते वित्तीय वर्ष के बजट में कई योजनाओं को शामिल किया था. इनमें से कई पूरी हुईं, जबकि कई योजनाएं घोषणा के बाद भी धरातल पर नहीं उतर सकीं. इन योजनाओं में गरीबों के लिए दाल वितरण, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभुकों को अतिरिक्त कमरे के लिए 50 हजार रुपये की राशि देने की योजना, एग्री स्मार्ट विलेज, गोधन न्याय योजना, बिरसा फसल विस्तार योजना और स्कूलों में शिक्षकों को टैब देने जैसी योजना भी धरी की धरी रह गयीं. दुमका में तारामंडल भी नहीं खुल सका. रांची और देवघर में आवास बोर्ड से जुड़ी परियोजनाएं भी लटक गयीं. रांची, जमशेदपुर और धनबाद में आधुनिक सिटी बसें भी नहीं चलीं.
उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग की कई योजनाएं लटकी
उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग की कई योजनाएं लटक गयीं. रांची के चेरी-मनातू स्थित केंद्रीय विवि, झारखंड (सीयूजे) के परिसर निर्माण के लिए रांची जिला अंतर्गत कांके अंचल में कुल 500 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. इसमें लगभग 139.17 एकड़ रैयती भूमि भी शामिल हैं. इसके लिए 35 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, लेकिन अब तक न तो भूमि का अधिग्रहण हुआ और न ही राशि खर्च हो सकी है. इसी प्रकार रांची में तारामंडल कोरोना काल के बाद खुला ही नहीं. वहीं, घोषणा के बाद भी दुमका में तारामंडल की शुरुआत नहीं हो सकी.
रांची में कोलकाता की तर्ज पर साइंस सिटी बनाने की योजना पिछले बजट में की गयी, लेकिन यह अब तक क्रियान्वित नहीं हो सकी. रांची, गिरिडीह एवं साहिबगंज में इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण अधूरा है. चाईबासा, जमशेदपुर व खूंटी में राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज भी नहीं बन सका. वर्ष 2022-23 तक राज्य के सभी इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेज में शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक रिक्तियों को भरने की घोषणा की गयी, लेकिन अब तक यह कार्य नहीं हो सका. रांची में 100 एकड़ भूमि में बननेवाले राष्ट्रस्तरीय इंजीनियरिंग कॉलेज का मामला भी अटक गया. रांची विवि के नये परिसर का निर्माण भी शुरू नहीं हो सका है. सभी विवि को पेपरलेस बनाने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो सकी. महिला महाविद्यालयों में 300 शय्यावाले छात्रावास निर्माण की योजना भी पूरी नहीं हो सकी है. सभी कॉलेजों में उच्च श्रेणी के लाइब्रेरी व लेबोरेट्री की स्थापना नहीं हो सकी है. विधेयक पास होने के बाद भी कौशल विवि की स्थापना नहीं हो सकी है.
65 लाख गरीबों को नहीं मिली दाल
वित्तीय वर्ष 2022-23 में सरकार की ओर से 65 लाख गरीबों के बीच दाल वितरण योजना शुरू करने की घोषणा की गयी थी. एक वर्ष बीत जाने के बाद भी यह योजना शुरू नहीं हो पायी है. सरकार की ओर से लाभुकों को प्रति परिवार एक रुपये की दर से एक किलो दाल वितरण करने की योजना थी. इसको लेकर बजट में 490 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया था, लेकिन यह राशि भी खर्च नहीं हो सकी. इधर, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के लिए 555 करोड़ के व्यय का प्रावधान किया है.
आधुनिक सिटी बस की योजना भी पड़ी रह गयी
नगर विकास विभाग के बजट में रांची, जमशेदपुर व धनबाद में आधुनिक सिटी बस सेवा शुरू करने की योजना थी. राज्य गठन के 20 वर्षों बाद भी अब तक इन बड़े शहरों में सुचारू रूप से सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था विकसित नहीं की गयी है. बीते वित्तीय वर्ष में इन शहरों में मॉडर्न अंतराज्यीय बस अड्डों का निर्माण भी पीपीपी मोड पर कराने की बात कही गयी थी, लेकिन सिटी बसों के परिचालन में सफलता नहीं मिली. अंतरराज्यीय बस अड्डों के निर्माण के लिए जरूरी कार्रवाई भी पूरी नहीं की जा सकी है. बस अड्डों के लिए जमीन चिह्नित करने का कार्य भी नहीं किया गया है.
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