नक्शा स्वीकृति का मामला : लगान तय नहीं होना सिस्टम की कमी – महाधिवक्ता
भुंइहरी जमीन के लगान निर्धारण की शक्ति केवल विशेष आयुक्त को ही है. विशेष आयुक्त को छोड़ कर कोई अन्य अधिकारी भुंइहरी जमीन का लगान निर्धारित नहीं कर सकता है.
विवेक चंद्र, रांची : भुंइहरी जमीन के लगान निर्धारण की शक्ति केवल विशेष आयुक्त को ही है. विशेष आयुक्त को छोड़ कर कोई अन्य अधिकारी भुंइहरी जमीन का लगान निर्धारित नहीं कर सकता है. राज्य के महाधिवक्ता ने नगर विकास विभाग को भुंइहरी जमीन पर नक्शा स्वीकृत करने के मामले में सलाह दी है.
महाधिवक्ता ने कहा है कि भुंइहरी भूमि का लगान निर्धारित नहीं किया जाना सिस्टम की कमी (लैकुना) है. इसे तुरंत जांचने और ठीक करने की आवश्यकता है. महाधिवक्ता ने यह भी कहा है कि भुंइहरी जमीन के विवरण दर्ज करते समय प्रासंगिक समय पर लागू प्रावधानों को सख्ती से अमल में लाना चाहिए.
सीएनटी एक्ट में नहीं है विशेष आयुक्त का प्रावधान : 1908 में बने छोटानागपुर टेनेंसी (सीएनटी) एक्ट में विशेष आयुक्त का कोई प्रावधान नहीं है. 1869 में बने छोटानागपुर टेन्योर्स एक्ट में विशेष आयुक्त का पद बनाया गया था. विशेष आयुक्त को भुंइहरी जमीन का लगान निर्धारित करने के अलावा भी कई तरह की शक्तियां प्रदान की गयी थीं. लेकिन, बाद में इसे संशोधित कर टेनेंसी एक्ट में बदला गया. टेनेंसी एक्ट में विशेष आयुक्त का पद विलोपित कर दिया गया. साथ ही भुंइहरी भूमि के बारे में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया.
कहा : इस मामले में तुरंत जांच और इसे ठीक करने की जरूरत : बिना लगान निर्धारण के नहीं पास हो सकता नक्शा : महाधिवक्ता ने कहा है कि किसी भी भूमि पर बिना लगान निर्धारित किये नक्शे को स्वीकृति नहीं प्रदान की जा सकती है. राज्य में लागू बिल्डिंग बाइलॉज के मुताबिक नक्शा स्वीकृति के लिए मालगुजारी की रसीद, होल्डिंग टैक्स की रसीद, जमीन का खाता, खेसरा, होल्डिंग नंबर, खतियान और म्यूटेशन रिकार्ड अनिवार्य है. इन कागजातों के नहीं होने पर नक्शे को स्वीकृति नहीं प्रदान की जा सकती है.
क्या है भुंइहरी जमीन : भुंइहरी जमीन अब तक सरकार में निहित नहीं की गयी है. ऐसी जमीन का मालिकाना हक आदिवासी जमींदार के पास होता था, जो ज्यादातर पाहन या उन जैसे ही लोग होते थे. दस्तावेजों के मुताबिक भुंइहरी जमीन दान के रूप में जोत के लिए दी गयी थी. छोटानागपुर क्षेत्र में विशेष रूप से शहरी इलाकों में भुंइहरी प्रकृति की जमीनें हैं. इनसे सरकार को राजस्व की प्राप्ति आज तक नहीं हो रही है. लगान निर्धारित नहीं होने की वजह से जमीन पर नक्शों को स्वीकृति नहीं प्रदान की जाती है.
Post by : Pritish Sahay