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चार महीने से आरआरडीए में पास नहीं हो रहे छोटे नक्शे, बैरंग लौट रहे हैं लोग, जानिए क्या है नियम

नक्शा पास कराके अपना आशियाना बनाने के इच्छुक लोग रोज बैरंग लौटाये जा रहे हैं. दूसरी ओर आरआरडीए क्षेत्र में बनाये जा रहे भवनों की जांच शुरू कर दी गयी है. चार महीनों में 600 लोगों को नोटिस जारी कर स्वीकृत नक्शा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.

उत्तम महतो, रांची : रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में छोटे नक्शों को स्वीकृत करने का काम बंद है. पिछले चार महीने से छोटे नक्शों का निष्पादन नहीं हो रहा है. 350 से अधिक छोटे नक्शों के आवेदन लंबित हैं. नक्शा पास कराके अपना आशियाना बनाने के इच्छुक लोग रोज बैरंग लौटाये जा रहे हैं. दूसरी ओर आरआरडीए क्षेत्र में बनाये जा रहे भवनों की जांच शुरू कर दी गयी है. चार महीनों में 600 लोगों को नोटिस जारी कर स्वीकृत नक्शा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.

नगर आयुक्त को प्रभार मिलने के बाद से नक्शों को नहीं मिली स्वीकृति : आरआरडीए में छोटे नक्शों का निष्पादन रांची नगर निगम के आयुक्त मुकेश कुमार को आरआरडीए उपाध्यक्ष का प्रभार मिलने के बाद से ही बंद है. अगस्त में मुकेश कुमार ने सूडा को पत्र लिखकर छोटे नक्शों के निष्पादन के लिए बनाये गये नियमों में बदलाव की जरूरत बतायी थी.

उन्होंने बड़े नक्शों का निपटारा आरआरडीए के उपाध्यक्ष और छोटे नक्शों का निपटारा टाउन प्लानर के स्तर से कराने की बात कही थी. हालांकि, बिल्डिंग बाइलॉज में टाउन प्लानर को नक्शों की स्क्रूटनी व उपाध्यक्ष को नक्शा स्वीकृत करने का अधिकार दिया गया है. बाइलॉज में बदलाव किये बिना उक्त प्रस्ताव को लागू करना संभव नहीं है.

90 दिनों में नक्शा पास करने की है अनिवार्यता : राइट टू सर्विस एक्ट के तहत 90 दिनों में नक्शा पास करने का प्रावधान है.आर्किटेक्ट सुजीत भगत कहते हैं कि निर्धारित समय में नक्शा पास नहीं करने पर नक्शा स्वत: स्वीकृत माना जायेगा. उसके बाद नियमों के दायरे में रहते हुए निर्माण कार्य किया जा सकता है. हालांकि, स्वत: स्वीकृत माने गये नक्शों के आधार पर होनेवाले निर्माण के लिए बैंकों द्वारा लोन नहीं प्रदान किया जाता है.

  • 350 आवेदन लंबित हैं छोटे नक्शों के

  • 600 लोगों को नोटिस देकर मांगी गयी स्वीकृत नक्शे की प्रति

बिल्डिंग बायलॉज में टाउन प्लानर का काम नक्शे की जांच करना है. जबकि आरआरडीए उपाध्यक्ष का काम नक्शा स्वीकृत करना है. जांच और पास करने का काम एक ही व्यक्ति नहीं कर सकता है. -अमित कुमार, निदेशक सूडा

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Posted by: Pritish Sahay

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