Martyrs Day 2021, Jharkhand News, रांची न्यूज : आज बापू (राष्ट्रपिता महात्मा गांधी) की पुण्यतिथि है. मोहनदास करमचंद गांधी को पूरी दुनिया अहिंसा के पुजारी के रूप में पूजती है. उनकी ताकत थी सादा जीवन, उच्च विचार और प्रकृति के प्रति अटूट प्रेम. इसी के बल पर भारतीयों के बापू बन गये. उनका प्रकृति और मनुष्यों के प्रति प्रेम जग जाहिर है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण अहिंसा का मार्ग है. गांधीजी प्रकृति से प्रेम करते थे और उसे मानने वाले शख्स थे. आज जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, तब फिर गांधी की अहमियत समझ में आने लगी है. यही कारण है कि कोरोना से लड़ने के लिए भारतीयों ने चिकित्सा की देसी पद्धति को अपनाया. गांधी की राह पर सस्ती और सहज पद्धति को अपनाया. जिस तरह गांधी जी शरीर की रोग प्रतिरोधक नैसर्गिक क्षमता पर भरोसा रखते थे, उसी तरह आम लोगों ने भी अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने पर जोर दिया.
Mahatma Gandhi Death Anniversary 2021 : गांधीजी हमेशा से देसी चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करते थे. कोरोना काल में लोगों ने गांधी के स्वास्थ्य दर्शन को अपनाया. इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए प्राणायाम वरदान बना. कोरोना काल में पूरी दुनिया ने प्राणायाम को लंग इंफेक्शन दूर करने का सबसे बेस्ट थेरेपी माना. जिस तरह बापू आहार की शुद्धता पर विश्वास करते थे, कोरोना काल में आम लोग भी काफी सजग दिखे. योग पद्धति, आयुर्वेदिक मसाले, अदरक, तुलसी, गिलोय और गोलमिर्च का महत्व समझ में आया.
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Mahatma Gandhi Death Anniversary 2021 : बापू जब दक्षिण अफ्रीका गये, तो उन्हें भी कब्ज की शिकायत रहती थी. खासी-जुकाम की समस्या रहती थी. इसे ठीक करने के लिए गांधीजी ने प्राकृतिक चिकित्सा अपनाया. कोरोना काल में पूरी दुनिया ने बीमारी से लड़ने की जगह इससे बचने पर जोर दिया. हमारा वैदिक चिंतन भी यही है. गांधीजी ने वैदिक दर्शन स्वास्थ्य को अपनाया़ औषधि से ज्यादा प्राकृतिक चिकित्सा पर जोर देते थे. जल चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा से खुद को ठीक करते थे. आयुर्वेद के तीन स्तंभ आहार, निंद्रा और ब्रह्मचर्य का अनुपालन करते थे. गांधी का यही स्वास्थ्य दर्शन हम चिकित्सकों को प्रेरणा देता है. बापू राजनीति और देश सेवा में व्यस्त रहते हुए भी पैदल मार्च करते थे. उपवास रखते थे. यह सब आज के युवाओं के लिए चुनौती है. उन्होंने आहार की शुद्धता के बारे में बताया. इंद्रियों पर संयम करने की प्रेरणा दी. कोरोना काल में भी यही देखा गया. इम्यून सिस्टम को ठीक करने के लिए प्राणायाम को वरदान माना गया. गांधी भी प्राणायाम में पूरा विश्वास करते थे.
Posted By : Guru Swarup Mishra