May Day 2023: आज मजदूरों का दिन है और पूरी दुनिया में मई दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी सभी मजदूरों को श्रमिक दिवस की बधाई दी है. सीएम ने ट्वीट किया, ‘देश-विदेश का दूरस्थ स्थान हो या फिर कोई गांव या शहर, हमारे वीर श्रमिक अपनी मेहनत, लगन और शक्ति से देश की अर्थव्यवस्था का पहिया चला रहे हैं.’
सीएम ने आगे लिखा, ‘कोरोना काल में श्रमिकों की विकट समस्याओं को देख पूरा देश स्तब्ध रह गया था. आज झारखंड सरकार द्वारा राज्य के श्रमिक भाई-बहन और परिवार को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है. राज्य के सभी मेहनतकश श्रमिक हमारी प्राथमिकता में हैं. विश्व श्रमिक दिवस के अवसर पर श्रम जीवन और श्रम शक्ति को अनेक-अनेक शुभकामनाएं और जोहार.’
देश-विदेश का दूरस्थ स्थान हो या फिर कोई गांव या शहर, हमारे वीर श्रमिक अपनी मेहनत, लगन और शक्ति से देश की अर्थव्यवस्था का पहिया चला रहे हैं।
कोरोना काल में श्रमिकों की विकट समस्याओं को देख पूरा देश स्तब्ध रह गया था। आज झारखण्ड सरकार द्वारा राज्य के श्रमिक भाई-बहन और परिवार को हर… pic.twitter.com/JqykhKxfPC— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) May 1, 2023
बोकारो में मना श्रमिक दिवस
इधर झारखंड के अलग-अलग हिस्सों में श्रमिक दिवस मनाया जा रहा है. श्रमिक दिवस पर बोकारो में कारो विस्तार प्रोजेक्ट द्वारा निर्मित पौधशाला का लोकार्पण किया गया. यह पौधशाला क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिए बनाया गया है, जिससे सभी हितधारक और उनके परिवार एक संतुलित जीवनयापन कर सके. मौके पर उपस्थित निर्देशक तकनीकी, साईराम ने क्षेत्र में इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि विस्थापित भी कोल परिवार का एक अभिन्न हिस्सा है और उनके बिना खदान विस्तारीकरण संभव नहीं है. इसके अलावा अप्रैल माह में सेवानिवृत हुए 10 कर्मचारियों को विदाई दी गई. सभी ने सभी सेवानिवृत कर्मियों को उनकी अगली पारी की शुभकामनाएं दी.
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1 मई यानी मजदूर दिवस. दरअसल, आज ही के दिन 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया था. मांग थी कि मजदूरी का समय आठ घंटे निर्धारित हो. सप्ताह में एक दिन अवकाश मिले. क्योंकि इससे पहले मजदूरों के लिए कोई समय-सीमा नहीं थी. इसी का परिणाम था कि शिकागो का प्रदर्शन काफी उग्र हो गया. आंदोलन में चार मजदूरों की जान चली गयी. दर्जनों घायल हो गये, लेकिन आंदोलन नहीं थमा. यही कारण है कि 1889 में जब पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस हुई, तो एक मई को मजदूर दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. वहीं भारत में 01 मई 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास (चेन्नई) में इसकी शुरुआत की. पहली बार लाल रंग का झंडा मजदूरों की एकजुटता और संघर्ष के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया.