100 करोड़ रुपये के मिड डे मील घोटाले का आरोपी सुनील तिवारी जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है, जिसमें उसने अपने कर्मचारी के नाम जारी सिम कार्ड लगा रखा है. इसके अलावा उसने सरकारी एजेंसियों को धोखा देने के लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के अधिकारी का आइ कार्ड बनाया था.
इस पर उसने अपना नाम सरोज सिंह प्रिंट करा रखा था. इडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इन तथ्यों का खुलासा किये जाने के बाद सुनील तिवारी ने इडी के अधिकारियों के खिलाफ मारपीट का मुकदमा कोर्ट में दर्ज कराया है.
इडी ने मिड डे मील घोटाले की जांच के दूसरे चरण में ‘भानु कंस्ट्रक्शन’ के कर्मचारी सुभाष गांगुली को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ में उसने इडी को बताया कि जेल में बंद सुनील तिवारी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है. बिरसा मुंडा जेल में उसके द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे मोबाइल फोन में लगा सिम कार्ड गांगुली के नाम पर भी जारी किया गया है.
उसने यह सिम तिवारी के निर्देश पर उसे उपलब्ध कराया था. गांगुली ने भानु कंस्ट्रक्शन द्वारा की गयी हेराफेरी की भी जानकारी दी. इडी ने गांगुली द्वारा दी गयी जानकारी की सत्यता की जांच की. इसमें उसके नाम पर जारी सिम कार्ड ‘एक्टिव’ पाया गया. साथ ही उसके सिम कार्ड का लोकेशन बिरसा मुंडा जेल मिला.
जांच एजेंसियों की नजर से बचने के लिए बना रखा था एनएचएआइ अधिकारी का आइडी कार्ड : सुनील तिवारी जांच एजेंसियों से बचने के लिए नाम बदल कर एनएचएआइ का अधिकारी बना फिरता था. उसने एनएचआइए का एक फर्जी आइडी कार्ड (इंप्लाइमेंट नंबर-NHAIPIU0001-RNC) बना रखा था. इस आइडी कार्ड पर सुनील ने अपनी तस्वीर लगायी थी, नाम सरोज सिंह प्रिंट करा रखा था.
आइडी कार्ड में उसने अपना पद नाम ‘पीआइयू हेड’ यानी एनएचआइए के प्रोजेक्ट इंप्लिमेंटेशन यूनिट का सबसे बड़ा अधिकारी लिख रखा था. दिल्ली स्थित एजुकेटिंग अथॉरिटी ने मनी लाउंड्रिंग के सहारे खरीदी गयी गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दिया था. सुनील तिवारी ने जब्ती के आदेश से बचने के लिए गाड़ियों पर फर्जी नंबर प्लेट का भी इस्तेमाल कर रहा था.
मिड डे मील घोटाले की जांच के दौरान इडी ने 23 नवंबर 2011 को सुनील तिवारी को गिरफ्तार किया था. निचली अदालतों द्वारा उसकी जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है. इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है. इडी ने जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपना शपथ पत्र दायर किया है.
इसमें गांगुली द्वारा दी गयी जानकारी और जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल सहित अन्य बिंदुओं की जानकारी दी गयी है. इडी द्वारा कोर्ट में इन तथ्यों की जानकारी देने के बाद सुनील तिवारी की ओर इडी के खिलाफ एक शिकायतवाद याचिका दायर की गयी है. इसमें यह दावा किया गया है कि इडी ने उसके कर्मचारी को मारपीट कर उसके खिलाफ बयान दिलवाया है.