रांची : झारखंड में पीजी की मेडिकल सीटों की कमी की समस्या लगातार बरकरार है. इसकी बड़ी वजह सीमित ओपीडी, आधारभूत संरचना की कमी और पर्याप्त फैकल्टी का नहीं होना है. इस कारण एमसीआइ (वर्तमान में एनएमसी) पीजी की सीटें नहीं बढ़ा रहा है. रिम्स के एक पूर्व विभागाध्यक्ष ने बताया कि उनके विभाग में 12 सीटों की मान्यता थी.
वहीं, तीन सीट पर अनुमति नहीं मिली थी. इसके बाद एमसीआइ से निरीक्षण कराया गया. इससे विभाग की पीजी सीट बढ़कर 15 हो गयी. ऐसे ही सभी विभागों को फैकल्टी और ओपीडी की संख्या का आकलन कर पीजी सीट बढ़ाने का आग्रह करना होगा. उन्होंने कहा कि एक यूनिट में एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट और एक असिस्टेंट प्रोफेसर होते हैं. इसके आधार पर पीजी की तीन सीटें आवंटित होती हैं.
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रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि पीजी का विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करना उद्देश्य होता है. हमें यह ध्यान देना होगा कि जो विशेषज्ञ डॉक्टर हम तैयार कर रहे हैं, वह पढ़ाई कर समाज की बेहतर सेवा कर पायें. इसके लिए फैकल्टी को ज्यादा से ज्यादा समय मरीजों पर देना होगा. बीमारी का हर स्तर पर मंथन करें, जिससे मरीज और सीखनेवाले डॉक्टर, दोनों को लाभ हो. शिक्षक स्टूडेंट के लिए रोल मॉडल बनें.
Posted By: Sameer Oraon