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city news : आदिवासी नीति बनाने के लिए दिल्ली में बैठक आज से, प्रतिनिधि होंगे शामिल

प्रतिनिधियों ने कहा : सही नीति के बिना नहीं मिल रहे संवैधानिक अधिकार

संवाददाता, रांची. राष्ट्रीय आदिवासी नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए दिल्ली में 27 और 28 अगस्त को देश के कई राज्यों के आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों की बैठक रखी गयी है. सोमवार को झारखंड से प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की, वासवी तथा छत्तीसगढ़ की ममता कुजूर सेवा विमान से दिल्ली के लिए रवाना हुए. आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा-स्वास्थ्य में बजट बढ़ाने पर जोर : रवानगी से पूर्व प्रतिनिधियों ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नीति के बिना आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं. आदिवासी नीति में विशेष रूप से आदिवासी इलाके में शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाने, साक्षरता दर बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाने, आदिवासी आबादी की सुरक्षा और सही गणना, आदिवासी दर्शन को संस्थागत रूप देने, आदिवासी भाषाओं और साहित्य के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए भारतीय आदिवासी साहित्य अकादमी की स्थापना की मांग को शामिल किया जायेगा. आदिवासियों का विस्थापन बंद करने की मांग : बैठक में इसके अलावा विकास के नाम पर आदिवासियों का विस्थापन बंद करने और आदिवासी को जमीन वापस करने के लिए ट्रिब्यूनल बनाने की मांग प्रारूप में शामिल कराने पर चर्चा होगी. अन्य मुद्दों में जंगल में आदिवासियों का पूरा अधिकार देने पर भी चर्चा होगी, ताकि पांचवीं और छठी अनुसूची के प्रावधानों की रक्षा हो सके. आदिम जनजातियों का परिवार नियोजन बंद करने तथा उनके भौगोलिक इलाके में नागरिक सुविधाएं बहाल करने पर भी विचार होगा. संविधान में आदिवासियों के लिए दिये गये सभी अधिकारों को पूर्णत: लागू करने की बात पर भी विमर्श होगा. 2006 में बना था ड्राफ्ट, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा प्रतिनिधियों ने बताया कि साल 2006 में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नीति पर चर्चा हुई थी. चर्चा के आधार पर ड्राफ्ट भी बना और उसे संसद में रखा गया था, लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. 2015 में भी एक बार ड्राफ्ट को लेकर पहल हुई थी, लेकिन वह भी आगे नहीं बढ़ा. इस बार ड्राफ्ट तैयार कराकर केंद्र तथा राज्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश होगी कि राष्ट्रीय आदिवासी नीति अस्तित्व में आये.

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