24 घंटे में 6.1 डिग्री गिरा राजधानी का पारा, 15 से फिर चढ़ेगा

बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने का आंशिक असर झारखंड पर भी पड़ा है. गुरुवार को राजधानी सहित आसपास के इलाके में बादल छाये रहे.

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2024 12:47 AM

बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने का आंशिक असर झारखंड पर भी पड़ा है. गुरुवार को राजधानी सहित आसपास के इलाके में बादल छाये रहे. वहीं, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह आदि इलाके में हल्की बारिश भी हुई है. बादल छाये रहने व हल्की बारिश होने से राजधानी के अधिकतम तापमान में पिछले 24 घंटे में 6.1 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आयी है. 10 अप्रैल को राजधानी का अधिकतम तापमान 34.7 डिग्री सेल्सियस था. वहीं, 11 अप्रैल को अधिकतम तापमान 28.6 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया. मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया झारखंड के दक्षिणी व पश्चिमी इलाके में 12 अप्रैल की सुबह मौसम शुष्क रहेगा, जबकि दोपहर बाद मौसम में एक बार फिर बदलाव आने की संभावना है. गर्जन, वज्रपात व हवा के साथ हल्की बारिश हो सकती है. 13 अप्रैल को मौसम साफ रहेगा, जबकि 14 अप्रैल को बादल छाये रहेंगे व कहीं-कहीं गर्जन के साथ बारिश हो सकती है. 15 से 17 अप्रैल तक मौसम शुष्क रहेगा व अधिकतम तापमान में चार से पांच डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है. 18 अप्रैल से एक बार फिर मौसम में बदलाव संभव है. श्री आनंद ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बने दबाव का व्यापक असर मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में पड़ा है. 24 घंटे में सबसे अधिक बारिश सिमडेगा में 12 मिमी दर्ज की गयी है. श्री आनंद ने वज्रपात की आशंका को देखते हुए लोगों को पेड़ के नीचे, खेतों में नहीं जाने व बिजली पोल के नीचे नहीं रहने की सलाह दी है.

किसानों के लिए सलाह :

हर दिन बदल रहे मौसम को देखते हुए बिरसा कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है. वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि आनेवाले दिनों में हल्की बारिश तथा बदल छाये रहने की स्थिति में किसी भी तरह की दवा का छिड़काव नहीं करें. मौसम साफ होने पर ही छिड़काव करें. इस तरह के मौसम में बीमारी का प्रकोप अधिक रहता है. इसलिए किसान खड़ी फसलों की नियमित निगरानी करते रहें. भंडारण से पहले अनाज को ठीक से साफ करें. नमी की मात्रा को सुखायें. ग्रीष्मकालीन मक्के की फसल में मिट्टी चढ़ायें. फसल में प्रति एकड़ 26 किलोग्राम यूरिया डालें.

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