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Metabolic Syndrome की वजह से होती हैं कई गंभीर बीमारियां, डॉ हिमालय झा ने बताये बचाव के उपाय

मेटाबॉलिक सिंड्रोम (What is Metabolic Syndrome) का मतलब है कुछ आंतरिक मेटाबॉलिक स्थितियों का समूह, जिनसे आपको भविष्य में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

By Mithilesh Jha | October 12, 2022 8:13 PM

मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) की वजह से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. इसकी वजह से डायबिटीज (Diabetes), हृदय रोग (Heart Disease) और स्ट्रोक (Stroke) जैसे रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है. यह सिंड्रोम जानलेवा भी हो सकता है. इसलिए इससे बचने की जरूरत है. केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य सेवा लाभार्थी कल्याण संघ के तत्वावधान में बुधवार को आयोजित एक वेबिनार में डॉ हिमालय कुमार झा ने ये बातें कहीं. मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बारे में उन्होंने इस वेबिनार में विस्तार से जानकारी दी.

ब्लड शुगर और प्रेशर की कराते रहें जांच

डॉ हिमालय कुमार झा (Dr Himalaya Kumar Jha) ने इससे बचने के लिए लोगों को नियमित रूप से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच कराने की सलाह दी. साथ ही कहा कि कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol Level) की भी समय-समय पर जांच करवाते रहें. समारोह की अध्यक्षता संस्था के केंद्रीय अध्यक्ष विश्वनाथ पांडे, संचालन डॉ दिलीप गांगुली और स्वागत भाषण गणेश प्रसाद चौधरी दिया. वेबिनार में अतिरिक्त निदेशक सोनाली भट्टाचार्य, डॉ शिल्पा मिंज, डॉ सुंदरम आदि शामिल थे.

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मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्या है?

मेटाबॉलिक सिंड्रोम (What is Metabolic Syndrome) का मतलब है कुछ आंतरिक मेटाबॉलिक स्थितियों का समूह, जिनसे आपको भविष्य में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर हाई ब्‍लड प्रेशर (High Blood Pressure), हाई ब्‍लड शुगर (High Blood Sugar), कमर के पास चर्बी (Belly Fat) का जमा होने के साथ असामान्‍य कोलेस्‍ट्रॉल लेवल (Cholesterol Level) तीनों की स्थिति एक साथ बन जाये, तो इसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहते हैं.

मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण

  • पेट या पेट के आसपास बहुत अधिक मात्रा में फैट का जमाव होना.

  • टाइप-2 मधुमेह होने का रिस्क या घर में पहले से ही किसी को डाइबिटीज होना.

  • हाई ब्लड प्रेशर होना.

  • -आपके शरीर में हाई ट्रीग्लिसराइड्स (एक प्रकार का फैट) होना.

  • खून में गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल का कम होना.

मेटाबॉलिक सिंड्रोम से कैसे बचें

यह सिंड्रोम जानलेवा भी हो सकता है. इसलिए इससे बचाव बहुत जरूरी है. इसके लिए नियमित रूप से ब्लड शुगर व ब्लड प्रेशर चेक करवाते रहें. कोलेस्ट्रॉल लेवल का ध्यान रखिए. सिंड्रोम का पता लगाने के लिए समय-समय पर जांच जरूरी है.

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डायट में बदलाव जरूरी

यदि आप अपनी डायट में फाइबर व अच्छे फैट्स को शामिल करते हैं, तो आप इस सिंड्रोम से बच सकते हैं. ज्यादा से ज्यादा होल ग्रेन, पत्तेदार सब्जियां, लीन मीट व मछली खाना शुरू करें. ज्यादा नमक खाने से बचें, क्योंकि ज्यादा नमक ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है.

गतिविधियों में बदलाव करें

नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. खुद को एक्टिव रखें, ताकि आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ सके. इससे आपका हृदय अच्छे प्रकार से काम करेगा और आपका वजन भी नियंत्रित रहेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सप्ताह में 3 घंटे एरोबिक्स करना चाहिए. यह आपकी सेहत के लिए बढ़िया रहेगा. यदि आप दिल और ब्लड प्रेशर की बीमारी से बचना चाहते हैं, तो योग व सांस संबंधी कसरत जरूर करें. बहुत अधिक स्ट्रेस में हैं, तो मेडिटेशन भी ट्राई कर सकते हैं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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