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मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी ने फर्जी कोविड सर्टिफिकेट और दूसरे की जमीन का कोर्ट में दिया ब्योरा

मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी ने पीएमएलए कोर्ट में कोविड-19 का फर्जी सर्टिफिकेट जमा कर खुद को बीमार बताया. और दूसरे की जमीन का कोर्ट में ब्योरा दिया. फिलहाल, ईडी की टीम संजय तिवारी और प्रवीण सिन्हा की तलाश कर रही है.

रांची, शकील अख्तर : 100 करोड़ के मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी ने पीएमएलए कोर्ट में कोविड-19 का फर्जी सर्टिफिकेट जमा कर खुद को बीमार बताया. सिर्फ इतना ही नहीं उसने सुप्रीम कोर्ट में जिस जमीन को बेच कर बैंक का पैसा चुकाने के नाम पर दो दिन की अंतरिम जमानत हासिल की, वह फ्लैट प्रवीण सिन्हा के नाम पर है. संजय तिवारी द्वारा की गयी इस जालसाजी की पुष्टि के बाद इडी की टीम संजय तिवारी और प्रवीण सिन्हा की तलाश कर रही है.

मीड डे मील घोटाले में मनी लाउंड्रिग के आरोपी संजय तिवारी को इडी ने नवंबर 2021 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. 15 माह जेल में रहने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने की सशर्त जमानत दी थी. जमानत की शर्त के हिसाब से उसे एक माह में बैंक का बकाया 16.35 करोड़ रुपये चुकाना था. इससे संबंधित दस्तावेज के साथ पीएमएलए कोर्ट में नियमित जमानत अर्जी देनी थी. लेकिन पैसा नहीं चुका पाने की वजह से उसने पीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. इसके बाद उसे कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया था. दूसरी बार उसने सुप्रीम कोर्ट में फिर अर्जी डाल कर जमीन और फ्लैट बेच कर बैंक का पैसा चुकाने के नाम पर अंतरिम जमानत मांगी.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बद न्यायाधीश केएल जोसेफ और न्यायाधीश बीबी नागरथना की पीठ ने इसे दो दिनों की अंतरिम जमानत दी, ताकि वह संपत्ति बेच कर बैंक का पैसा चुका सके. सुप्रीम कोर्ट से दो दिनों की अंतरिम जमानत मिलने के बाद वह जेल से निकला. लेकिन दो दिन बाद कोर्ट में हाजिर होने के बदले उसने पीएमएलए कोर्ट को यह सूचित किया कि उसे कोविड हो गया है. उसने रिम्स द्वारा जारी कोविड-19 का सर्टिफिकेट भी कोर्ट में जमा किया. उसकी गतिविधियों पर शक होने की वजह से इडी ने संजय तिवारी द्वारा कोर्ट में जमा की गयी कोविड-19 के सर्टिफिकेट की जांच की. रिम्स ने सर्टिफिकेट को फर्जी करार दिया. इडी ने उसके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में बेच कर बैंक का पैसा चुकाने के लिए जिन संपत्तियों का ब्योरा दिया था, उसकी भी जांच की. इसमें पाया गया कि संबंधित संपत्ति दूसरों की है.

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संजय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में कडरू स्थित शिवम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 301 को 70 लाख रुपये में और असम की एक चाय बगान को गिरवी रख कर करीब 16 करोड़ रुपये जुटा पाने में सक्षम होने का दावा किया था. इडी ने इन संपत्तियों की जांच शुरू की. कडरू़ स्थित फ्लैट नंबर 301 की जांच के दौरान यह पाया गया कि हिनू निवासी दुर्गा झा (पति- अनिल झा) ने नौ दिसंबर 2000 में यह फ्लैट प्रवीण सिन्हा (पिता- स्वर्गीय रामानंद सिन्हा) को 18.70 लाख में बेची. सरकार के दस्तावेज के अनुसार, वर्ष 2000 के बाद यह फ्लैट किसी और के नाम पर बिक्री नहीं हुई है. यानी इसका मालिकाना हक अब भी प्रवीण सिन्हा के पास है. लेकिन संजय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में इसे बेच कर पैसा चुकाने की बात कही है. असम के जिस चाय बगान को उसने 16 करोड़ रुपये में गिरवी रखने की बात कही है, वह भी दूसरे की बतायी जाती है. चाय बगान के मामले में इडी द्वारा अभी जांच जारी है. संजय तिवारी द्वारा की गयी जालसाजी की पुष्टि होने के बाद इडी संजय तिवारी और प्रवीण सिन्हा को तलाश रही है.

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