रांची : झारखंड में अब तक 160 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. इनमें से 78 स्वस्थ हो चुके हैं. राज्य सरकार आयु वर्ग और लिंग के आधार पर कोरोना वायरस से संक्रमित व ठीक होनेवालों के आंकड़े जारी करती है. इसका मकसद डाटाबेस तैयार कर यह पता लगाना है कि किस आयु वर्ग के कितने लोग संक्रमण के बाद स्वस्थ हुए हैं. विभिन्न आयु वर्ग के आधार पर जारी इन आंकड़ों से लगता है कि झारखंड के अधेड़ व बुजुर्गों की इम्युनिटी नौजवानों से बेहतर है.
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 11 से 30 आयु वर्ग के अब तक 77 नौजवान संक्रमित हुए. इनमें से 32 (41.5 फीसदी) स्वस्थ हो गये. वहीं, 31 से 50 आयुवर्ग (अधेड़) के 52 संक्रमित लोगों में से 28 (53.8 फीसदी) स्वस्थ हो गये. इसके बाद 51 से 70 वर्ग वाले 17 बुजुर्ग कोरोना से संक्रमित हुए. इनमें से अाठ (47.1 फीसदी) ठीक हो गये. यानी नौजवानों की अपेक्षा स्वस्थ होनेवाले अधेड़ व बुजुर्गों की संख्या 12 फीसदी अधिक है. यानी नौजवान पुरुषों से अधेड़ व बुजुर्गो की इम्युनिटी बेहतर है. 11 से 30 आयु वर्ग में नाैजवान पुरुष 36.9 प्रतिशत ठीक हुए. वहीं 31 से 50 आयु वर्ग में 57.8 फीसदी व बुजुर्ग 45.5 फीसदी ठीक हुए.
महिलाअों में नौजवानों की इम्युनिटी बेहतर नौजवान महिलाओं की इम्युनिटी अधेड़ व बुजुर्ग महिलाओं से बेहतर है. कोरोना संक्रमित 11 से 30 आयु वर्ग की 55 फीसदी महिलाएं ठीक हुई हैं. वहीं, 31 से 50 आयु वर्ग के स्वस्थ होने का आंकड़ा 28.6 फीसदी है. जबकि संक्रमित बुजुर्ग महिलाओं में 50 प्रतिशत ठीक हुई है. बच्चों में संक्रमित व स्वस्थ होनेवाले का हिसाब बराबर राज्य में कोरोना संक्रमित बच्चों की बात की जाये, तो अब तक नौ संक्रमित हुए, जिनमें से सात स्वस्थ हो गये हैं. यानी बच्चों के ठीक होने की दर 78.1 फीसदी है. यानी बच्चे संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन वह उसी गति से स्वस्थ भी हो रहे हैं. बेशक बच्चों की इम्यूनिटी सबसे बेहतर है.
विभिन्न अायु वर्ग में कोरोना संक्रमण की स्थिति
आयु वर्ग-संक्रमित हुए-ठीक हुए (फीसदी)
0 से 10-09-07 (78.1 )
11 से 30-77-32 (41.5)
31 से 50-52-28 (53.8)
51 से 70-17-08 (47.1)
विश्व का डाटा कहता है कि अधिक उम्र वाले व छोटे बच्चे की इम्युनिटी कमजोर होती है. राज्य का डाटा अभी सीमित है, इसलिए इस पर अभी कहना जल्दबाजी होगी. वैसे शरीर पर खानपान का इम्युनिटी पर असर पड़ता है. युवा जंक फूड ज्यादा खाते हैं व धूम्रपान का सेवन करते है, तो इम्युनिटी कमजोर होती है. अभी मिलावट का समय भी आ गया है.
-डॉ जेके मित्रा, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन, रिम्स
वैज्ञानिक डाटा ताे कहता है कि नौजवान लोगों में इम्युनिटी बेहतर होती है, लेकिन वर्तमान जीवनशैली व खानपान से युवाओं की इम्युनिटी कमजोर है. पहले पारंपरिक खाना लोग खाते थे. परिश्रम करते थे, इसलिए इम्युनिटी अच्छी होती थी. अभी राज्य में बहुत ज्यादा जांच भी नहीं हुई है, इसलिए संक्रमित भी कम हैं.
– डॉ विद्यापति, फिजिसियन, रिम्स\\B