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झारखंड के प्रवासी मजदूरों को अब नहीं करना पड़ेगा पलायन, रोजगार दिलाने में जुटी हेमंत सरकार

काफी संख्या में प्रवासी मजदूरों का राज्य में आने से रोजगार बड़ी समस्या बन कर उभरेगी. इसको ध्यान में रख कर हेमंत सरकार ने गंभीर प्रयास शुरू कर दिये हैं. उन्होंने रांची के नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद संस्थान में लाह की खेती व उससे निर्मित सामग्री की संभावनाओं को जानने का प्रयास किया. सरकार की कोशिश है कि लाह से निर्मित कार्यों से ग्रामीणों को जोड़ा जाये, जिससे उन्हें रोजगार मिल सके.

रांची : झारखंड के बाहर विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर हेमंत सरकार के प्रयास से अपने-अपने गांव वापस आ रहे हैं. काफी संख्या में प्रवासी मजदूरों का राज्य में आने से रोजगार बड़ी समस्या बन कर उभरेगी. इसको ध्यान में रख कर हेमंत सरकार ने गंभीर प्रयास शुरू कर दिये हैं. चार मई को ग्रामीण क्षेत्रों के लिए तीन नयी योजनाएं लोगों को समर्पित किया, वहीं पांच मई को रांची के नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद संस्थान में लाह की खेती व उससे निर्मित सामग्री की संभावनाओं को जानने का प्रयास किया. सरकार की कोशिश है कि लाह से निर्मित कार्यों से ग्रामीणों को जोड़ा जाये, जिससे उन्हें रोजगार मिल सके.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक रॉल और गोंद संस्थान द्वारा लाख का उत्पादन (production), प्रसंस्करण (Processing) और उत्पाद निर्माण (Product creation) की दिशा में किये जाने वाले कार्य और अनुसंधान का जायजा लिया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि झारखंड के मजदूरों व किसानों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़े. मजदूरों का पलायन रुके इस दिशा में सरकार ने पहल शुरू कर दी है.

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट को लेकर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को अपने ही गांव और पंचायत में रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा. झारखंड के परिपेक्ष में लाह की खेती और उससे तैयार होने वाले उत्पादों के क्षेत्र में लाह रोजगार का बेहतरीन माध्यम साबित हो सकता है. सरकार की कोशिश है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को लाह की खेती से जोड़ा जाये और इसके लिए सभी संसाधन उपलब्ध करायी जायेगी.

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इस संस्थान को पुनर्जीवित करने की होगी कोशिश

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संस्थान देश का इकलौता संस्थान है, जो लाह की खेती और अनुसंधान के लिए कभी पूरी दुनिया में जाना जाता था. लाह की खेती में काफी संख्या में ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिलता था, लेकिन है कि यह संस्थान और लाह की खेती आज विषम परिस्थितियों से गुजर रही है. लाह से उत्पाद बनाने की कला विलुप्त होती जा रही है, लेकिन इसे फिर से विकसित करते हुए रोजगार से जुड़ने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की कोशिश की होगी.

रोजगार सृजन की दिशा में पहल शुरू

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अधिक से अधिक रोजगार सृजन की दिशा में सरकार ने पहल शुरू कर दी है. इस सिलसिले में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित किये जाने वाले तीन योजनाओं का शुभारंभ हो चुका है. भविष्य में इसका दायरा तेजी से बढ़ेगा. इस सिलसिले में रोजगार के क्षेत्र में वैल्यू एडिशन का आकलन सरकार कर रही है और उसी के हिसाब से रोजगार के अवसर लोगों को उपलब्ध कराये जायेंगे.

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आंतरिक संसाधनों का हो रहा आकलन

श्री सोरेन ने कहा कि लाखों की संख्या में मजदूर वापस आ रहे हैं. ऐसे में उनको रोजगार उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इस चुनौती को हम एक अवसर के रूप में ले रहे हैं. हमने इस दिशा में अपने आंतरिक संसाधनों का आकलन करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में आज इस संस्थान की गतिविधियों और कार्यों का जायजा लिया गया. उन्होंने कहा कि राज्य में संसाधनों की कोई कमी नहीं है, बस उसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने की जरूरत है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि सरकार इस कार्य में पूरी तरह सफल साबित होगी और ना सिर्फ यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि दूसरे राज्यों से भी काम करने के लिए यहां मजदूर आयेंगे.

लाह की खेती को बिरसा हरित ग्राम योजना से जोड़ने की अपील

इस दौरान संस्थान के निदेशक डॉ केके शर्मा ने मुख्यमंत्री को बताया कि वन के साथ- साथ इसे कृषि से भी जोड़ा जाये, तो लोगों को अपने ही गांव और पंचायत में बड़े पैमाने पर रोजगार मिल सकेगा. इससे ना सिर्फ लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा. निदेशक ने मुख्यमंत्री लाह की खेती को बिरसा हरित ग्राम योजना से जोड़ने की अपील की. इस मौके पर विधायक राजेश कच्छप, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक राजीव लोचन बख्शी, मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद और मुख्यमंत्री के वरीय आप्त सचिव सुनील कुमार श्रीवास्तव प्रमुख रूप से मौजूद थे.

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