रांची: झारखंड को औषधीय क्षेत्र में विशिष्ट पहचान दिलाने की ओर अग्रसर बीएयू वानिकी वैज्ञानिक डॉ कौशल कुमार ने मिलेट्स (मोटा अनाज) के आयुर्वेदिक गुणों की विवेचना और वैज्ञानिक पुनरुद्धार व सत्यापन पर आधारित पुस्तक को प्रकाशित कर वैश्विक स्तर पर पहल की है. इनके प्रयासों से मिलेट्स : साइंटिफिक रिवाइवल ऑफ एंसिएंट भारतीय विजडम नामक पुस्तक प्रकाशित की गयी है. यह मिलेट्स के विस्तृत आयुर्वेदिक गुणों एवं सिद्धांतों की विवेचना और वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर करने वाली दुनिया की पहली पुस्तक है. इस पुस्तक को उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा अधिकारी डॉ ज्ञान चन्द मौर्य, राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय पीलीभीत के सहायक प्राध्यापक डॉ हरिशंकर मिश्र एवं वनोत्पाद एवं उपयोगिता विभाग, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ कौशल कुमार ने संयुक्त रूप से लिखा है. इस पुस्तक में मिलेट्स के उपयोग में प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के ज्ञान एवं विज्ञान के अनुभूत स्वास्थ्यपरक सभी पहलुओं को दर्शाया गया है.
लेखकों में बीएयू वैज्ञानिक डॉ कौशल कुमार भी हैं शामिल
लेखकों ने बताया कि मोटे अनाज हमारी प्राचीन जीवनशैली के प्रमुख खाद्यान्न रहे हैं. इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 के परिपेक्ष्य में इस पुस्तक के प्रकाशन के विषय में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय को भी अवगत कराया गया है. इससे भारतीय ज्ञान परंपरा एवं मिलेट्स के उपयोग का व्यापक प्रसार को मदद मिलेगी. आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो डॉ अवधेश कुमार सिंह ने इस पुस्तक की प्रस्तावना में कहा है कि इस प्रस्तुति से विश्व स्तर पर मिलेट्स (मोटा अनाज) की व्यापक सार्वग्रहिता होगी. उन्होंने लेखकों के मिलेट्स आधारित अनुसंधान एवं आयुर्वेदिक संदर्भ की वैज्ञानिक विवेचना हेतु कठिन परिश्रम और लगन की सराहना की. आपको बता दें कि स्थानीय बीएयू वैज्ञानिक डॉ कौशल कुमार ने पूर्व में झारखंड को एलोवेरा विलेज और गिलोय क्षेत्र के अलावा औषधीय उत्पादों के पेटेंट के माध्यम से देश में मान बढ़ाकर बीएयू का नाम रौशन किया है.
डॉ कौशल कुमार ने दी जानकारी
डॉ कौशल कुमार ने बताया कि इस पुस्तक में मिलेट्स का भारतीय संस्कृति में प्रागैतिहासिक महत्ता एवं स्थान और भारत में प्रमुख रूप से उपयोग में लाई जाने वाली नौ मिलेट्स फसलों पर चर्चा की गई है. इनमें सांवा, कोदो, गोवेधुक, कंगुनी, चीनक, जुरना, मधुलिका (रागी), बाजरा और नेवाड का औषधीय महत्व एवं उपयोग की विधि बताई गई है. पोषण से भरपूर ये सभी मिलेट्स को आज वैश्विक तौर पर सुपर फुड एवं श्री अन्न कहा जाने लगा है. जिसका प्रयोग प्राचीन काल से भारत वर्ष में गुणों के आधार पर मधुमेह , मोटापा, कोलेस्ट्राल, शुक्राणु वर्धक , जलोदर, सुजन, दुर्बलता, बच्चों का सुखा रोग, पाइल्स, पाचन तंत्र एवं मुत्र रोग व विकार आदि रोगों के निदान में होता है. पुस्तक में मिलेट्स उत्पादन की वैज्ञानिक कृषि तकनीक की भी जानकारी दी गयी है.