रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अनगड़ा में 80 डिसमिल पत्थर उत्खनन का लीज लेने के मामले में चुनाव आयोग ने श्री सोरेन को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है़ आयोग ने सोमवार को सीएम श्री सोरेन को नोटिस भेज कर पूरे मामले में 10 मई तक स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है़ चुनाव आयोग ने कहा है कि माइनिंग लीज लेने का मामला सामने आया है.
ऐसे में क्यों नहीं जनप्रतिनिधित्व कानून के 9 ए के तहत कार्रवाई की जाये़ अब मुख्यमंत्री को पूरे मामले में आयोग के समक्ष अपनी स्थिति साफ करनी होगी. बताते चलें कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर मुख्यमंत्री श्री सोरेन द्वारा माइनिंग लीज लेने के मामले में शिकायत पत्र सौंपा था़ राज्यपाल से मिल कर ऑफिस ऑफ प्रोफिट के मामले में 9ए के तहत सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया था़ इसके बाद राज्यपाल श्री बैस ने शिकायत पत्र भेजकर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था़
इस मामले में फिर चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर माइंस लीज से जुड़े दस्तावेज मांगे थे़ चुनाव आयोग ने पूरे मामले की सत्यतता की जांच करने के लिए मुख्य सचिव से सर्टिफाइड दस्तावेज मांगे थी.
26 अप्रैल को सीएस ने आयोग को भेज दिये थे दस्तावेज : मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज प्रकरण से जुड़े दस्तावेज 26 अप्रैल को ही चुनाव आयोग को भेज दिये थे़ इसमें लीज के लिए दिये गये आवेदन पर संबंधित कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा लिखी गयी टिप्पणी से संबंधित कागजात शामिल थे. चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को 15 दिनों का समय दिया था़
आयोग ने सीएस द्वारा दस्तावेज भेजने के एक सप्ताह के अंदर ही सीएम को भेजा नोटिस
अब मुख्यमंत्री को पूरे मामले में आयोग के समक्ष अपनी स्थिति साफ करनी होगी
पूर्व सीएम रघुवर दास की शिकायत पर राज्यपाल ने चुनाव आयोग को भेजा था पूरा मामला
चुनाव आयोग ने सीएस को पत्र भेजकर माइनिंग लीज से संबंधित दस्तावेज मांगे थे
जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 9 ए के तहत सदस्यता रद्द करने की हो रही मांग
लोकसेवक के रूप में मुख्यमंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग किया है़ पत्थर का माइनिंग लीज लिया है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के तहत कार्रवाई हो.
मुख्यमंत्री का माइनिंग लीज लेना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के दायरे में है. इस प्रावधान के तहत इनकी सदस्यता समाप्त हो सकती है़
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मुख्यमंत्री व मंत्रियों के लिए बनाये गये कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता के प्रावधान के तहत कोई मुख्यमंत्री व मंत्री व्यवसाय नहीं कर सकता है
Posted By :Sameer Oraon