पद का दुरुपयोग : सीयूजे के पूर्व वीसी ने नियम तोड़ कर रिश्तेदारों व करीबियों की नियुक्ति की
झारखंड का एकमात्र केंद्रीय विवि (सीयूजे) फिर आरोपों के घेरे में आ गया है. निशाने पर हैं पूर्व कुलपति डॉ एनके यादव इंदू. आरोप है कि डॉ यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान स्वयं और विवि में कार्यरत अधिकारियों के रिश्तेदारों व करीबियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति की थी.
संजीव सिंह, रांची : झारखंड का एकमात्र केंद्रीय विवि (सीयूजे) फिर आरोपों के घेरे में आ गया है. निशाने पर हैं पूर्व कुलपति डॉ एनके यादव इंदू. आरोप है कि डॉ यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान स्वयं और विवि में कार्यरत अधिकारियों के रिश्तेदारों व करीबियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति की थी. इसे लेकर झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है, जिससे इस मामले का खुलासा हुआ है.
जनहित याचिका अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से संजय कुमार शर्मा बनाम भारत संघ व अन्य के विरुद्ध दायर की गयी है. अधिवक्ता राजीव कुमार के अनुसार, विवि में डॉ नंद कुमार यादव ने दर्जन भर लोगों की नियुक्ति की है. जो किसी न किसी रूप में कुलपति/उनकी बहन या फिर विवि के अधिकारियों के रिश्तेदार हैं. याचिका में आरोप पत्र कई अनुलग्नकों के साथ दायर किया गया है. इसमें पूर्व कुलपति पर यूजीसी के नियमों का उल्लंघन कर गैर शैक्षणिक नियुक्तियों के लिए कैडर रिक्रूटमेंट रूल्स बिना गठित किये नियुक्ति करने का आरोप लगाया गया है.
नियुक्ति में उम्रसीमा व केटोगरी का भी नहीं रखा गया ख्याल : पूर्व कुलपति डॉ यादव की नियुक्ति 2015 में की गयी. कोर्ट को बताया गया है कि विवि में मल्टी टास्किंग स्टाफ पद पर नियुक्ति के लिए दो अनारक्षित पदों की रिक्ति निकाली गयी. इसमें उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा कुलपति ने 42 वर्ष रख दी, जबकि भारत सरकार के नियमों के अनुसार आयु सीमा अधिकतम 25 वर्ष है. डॉ यादव द्वारा बनाये गये ड्राफ्ट में अधिकतम उम्र सीमा 30 वर्ष रखी गयी है, लेकिन उन्होंने साढ़े 44 साल के भगीना की नियुक्ति कर ली. वह भी अनारक्षित पद के विरुद्ध अोबीसी केटोगरी में कर ली है.
यूजीसी ने अपने अॉब्जर्वेशन में यह भी कहा है कि सिक्यूरिटी इंस्पेक्टर की उम्र अधिकतम 32 साल होनी चाहिए, जबकि डॉ यादव ने अपने भगीना की उम्र 35 साल थी, जब उन्होंने उन्हें सिक्यूरिटी इंस्पेक्टर बनाया. बाद में उसी भगीना को 2019 की रिक्ति के आलोक में सिक्यूरिटी अफसर बना दिया. मालूम हो कि विवि की स्थापना 2009 के बाद से 2013 के बीच 75 नन टीचिंग पदों पर नियुक्ति पूर्व कुलपति डॉ डीटी खटिंग ने किया, लेकिन यूजीसी ने 2014-15 में पाया कि बिना नियुक्ति नियमावली के रजिस्ट्रार, एफअो, परीक्षा नियंत्रक, लाइब्रेरियन, अॉडिट अफसर, हिंदी अफसर की नियुक्ति कर ली गयी.
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अधिवक्ता राजीव कुमार के जरिये दायर की गयी है जनहित याचिका
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डॉ यादव के कार्यकाल में दर्जन भर लोगों की नियुक्ति
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नियुक्ति पानेवालों में डॉ यादव का साढ़े 44 साल
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का भगीना भी शामिल
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राजनीतिक संगठन से जुड़े पदाधिकारी के रिश्तेदार भी किये गये हैं नियुक्त
सीयूजे के रजिस्ट्रार सहित 22 लोगों की नियुक्ति पर भी प्रश्न चिह्न : याचिका में विवि में रजिस्ट्रार सहित 22 लोगों की नियुक्ति पर भी प्रश्न चिह्न लगाये गये हैं. साथ ही इससे संबंधित साक्ष्य भी हाइकोर्ट में प्रस्तुत किये गये हैं. नियुक्त होनेवाले रिश्तेदारों में रामनिवास, आशीष रंजन, नरेंद्र कुमार, सुमित राज, रितु राज पांडेय, चिन्मय कुमार तिवारी, कौशल सिंह चौहान, सिंधु सिंह, सुधा जी, मो शोएब अंसारी व अन्य शामिल हैं. इसमें 13 से अधिक व्यक्ति पूर्व कुलपति डॉ एनके यादव के रिश्तेदार या फिर करीबी हैं.
इनकी नियुक्ति की गयी : याचिका में बताया गया है कि कुलपति ने अपनी बहन के बेटे नीरज कुमार को एमटीएस, गौरव कुमार को लैब असिस्टेंट, नेहा को जूनियर इंजीनियर, नूतन भारती को फार्मासिस्ट, तरुण कुमार को सिक्यूरिटी इंस्पेक्टर, पुस्तकालय अध्यक्ष सुजीत कुमार पांडेय के रिश्तेदार ताराशंकर तिवारी को एमटीएस, मनमीत कुमार, हिमांशु, अश्विनी कुमार, विजय विश्वकर्मा, मुकेश विश्वकर्मा, निशा रॉय, सुधीर राय आदि की नियुक्ति बिना सीआरआर गठन के ही की. ये सभी कुलपति और विवि में कार्यरत अधिकारियों के रिश्तेदार बताये गये हैं. इनमें से कुछ व्यक्ति उस राजनीतिक संगठन के पदाधिकारी के रिश्तेदार भी हैं, जिनसे डॉ यादव की करीबी रही है. याचिका में बताया गया है कि विवि में पूर्व में ही गड़बड़ी की जांच सीबीआइ द्वारा की जा रही है.
Post by : Pritish Sahay