भाकपा (माले) लिबरेशन के विधायक व प्रात्युक्त विधान समिति के सभापति विनोद सिंह ने 7 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर तुरंत कैबिनेट बैठक कर लैंड बैंक नीति व भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन रद्द करने की मांग की है.
विधायक विनोद सिंह ने क्या लिखा पत्र में
पत्र में कहा गया है कि पूर्व की भाजपा-आजसू सरकार ने 2016 में लैंड बैंक बनाया था जिसके तहत राज्य के 22 लाख एकड़ सामुदायिक व गैर-मजरुआ ज़मीन को चिन्हित कर लैंड बैंक में पंजीकृत किया गया था. इसके तहत कोई भी कंपनी किसी भी समय लैंड बैंक में डाले गए जमीन को चिन्हित कर बिना ग्राम सभा की सहमती के अधिग्रहण की मांग कर सकती है. सामुदायिक भूमि को लैंड बैंक में डालने से पहले ग्राम सभाओं की सहमती भी नहीं ली गयी थी. यह भी कहा गया है कि रघुवर दास सरकार ने 2018 में भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 बनाकर भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में अहम संशोधन किया था.
बिना ग्राम सभा की सहमति से न हो जमीन अधिग्रहण
भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 के तहत निजी व सरकारी परियोजनाओं के लिए बिना ग्राम सभा की सहमति व सामाजिक प्रभाव आंकलन के बहुफसलीय भूमि समेत निजी व सामुदायिक भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा सकता है.
भूमि अधिग्रहण कानून से हो रहा सीएनटी और एसपीटी कानून का उल्लंघन
विनोद सिंह ने यह भी कहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 व लैंड बैंक नीति स्पष्ट रूप से पेसा कानून एवं CNT-SPT कानून का उल्लंघन करते हैं. साथ ही, राज्य के आदिवासी-मूलवासियों का सामुदायिक जल, जंगल, ज़मीन के साथ आजीविका के अलावा सांस्कृतिक जुड़ाव है. यह दोनों नीति व कानून किसी भी तरीके से झारखंड के आदिवासी-मूलवासी, किसान व वंचितों के पक्ष में नहीं हैं.
सीएम को याद दिलाया हम पहले करते थे विरोध
विधायक ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि गठबंधन दलों ने इन दोनों नीतियों का व्यापक विरोध किया था और इन्हें रद्द करने का वादा किया था. पिछले पांच सालों में राज्य के आदिवासी-मूलवासी व विभिन्न जन संगठन लगातार इसका विरोध करते रहे हैं और इन्हें रद्द करने की मांग करते रहे हैं. इसलिए इन्हें रद्द करना जन अपेक्षा अनुरूप कार्यवाई होगी. गौर करने की बात है कि वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव व सरकार के सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने भी लैंड बैंक नीति और भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 को तुरंत रद्द करने की मांग की है.