महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (MNREGA) झारखंड में रोजगार की गारंटी दे रहा है. राजधानी रांची के कांके प्रखंड अंतर्गत उपरकोनकी गांव में एक मनरेगा पार्क विकसित किया गया है, जो ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है. मनरेगा के तहत स्थायी परिसंपत्तियों का भी निर्माण हो रहा है.
आपने फ्लावर पार्क या फूड पार्क के बारे में जरूर सुना होगा. देखा भी होगा. अगर बात मनरेगा पार्क की करें, तो शायद आप सोचने लगेंगे कि ये कैसा पार्क है. आपको बता दें कि मनरेगा पार्क लोगों के लिए रोजगार का सृजन कर रहा है. एक ऐसा पार्क, जहां सरकार की योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं, जो ग्रामीणों के वर्तमान से लेकर भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभायेगी.
ग्रामीणों की मदद से सरकार ने मनरेगा की 37 से ज्यादा योजनाओं को यहां लागू किया है. सिंचाई कूप, दीदी बाड़ी, वर्मी कम्पोस्ट, टीसीबी, शेड सहित मनरेगा से संचालित अन्य योजनाएं यहां धरातल पर उतर चुकी हैं. मनरेगा पार्क का निर्माण 19 परिवारों को मिलाकर 20.5 एकड़ भूमि पर किया गया है.
ग्राम उपरकोनकी के ग्रामीणों को यहां महीने में कम से कम 20 दिन रोजगार की गांरटी है. 20.5 एकड़ में यह पार्क न सिर्फ ग्राम विशेष में स्थायी परिसंपत्ति का सृजन करेगा, बल्कि संबंधित प्रखंड में रोजगार मांगने वाले श्रमिकों को रोजगार की गारंटी भी सुनिश्चित करेगा. मनरेगा पार्क योजनाओं को ग्राम स्वराज का सशक्त मॉडल माना जा रहा है.
मनरेगा अंतर्गत विभिन्न परिसंपत्तियों का निर्माण कर उन्हें एक स्थल पर प्रदर्शित करने के लिए मनरेगा पार्क का निर्माण किया गया है. मनरेगा पार्क में कम से कम 37 प्रकार की परिसंपत्तियां एक ही जगह देखी जा सकती हैं. पार्क का निर्माण होने से परिसंपत्तियों का बेहतर उपयोग एवं उचित प्रबंधन किया जा सकेगा. साथ ही सालों भर उस स्थान पर रोजगार का सृजन हो सकेगा एवं लाभुकों को रोजागर से जोड़ा जा सकेगा.