Animal Husbandry Department News : फोटो के चक्कर में मोबाइल वेटनरी क्लीनिक पर ब्रेक
हाल ही में झारखंड की राजनीति ने तेजी से करवट ली और नयी सरकार का गठन हो गया. इसमें मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री बदल गये. इस बदलाव ने पशुपालन विभाग की ‘मोबाइल वेटनरी क्लीनिक योजना’ पर ब्रेक लगा दिया है.
मनोज सिंह (रांची). हाल ही में झारखंड की राजनीति ने तेजी से करवट ली और नयी सरकार का गठन हो गया. इसमें मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री बदल गये. इस बदलाव ने पशुपालन विभाग की ‘मोबाइल वेटनरी क्लीनिक योजना’ पर ब्रेक लगा दिया है. विभाग पशोपेश में हैं, क्योंकि योजना को शुरू करने के लिए जो मोबाइल वैन तैयार किये गये हैं, उन पर तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और तत्कालीन कृषि मंत्री बादल का फोटो लगा हुआ है. अब वैन पर चंपाई सोरेन की जगह मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन और बादल की जगह मौजूदा कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह का फोटो लगाना होगा. दिक्कत यह है कि इस तरह का बदलाव एक-दो नहीं, बल्कि 70 वैन में करना है. यानी अपने निर्धारित समय से साल भर की देरी से चल रही योजना के शुरू होने में कुछ और वक्त लग सकता है.
70 मोबाइल वैन की आपूर्ति विभाग को कर दी है कंपनी ने
गौरतलब है कि पशुपालन विभाग ने राज्य के कुल 236 प्रखंडों के लिए मोबाइल वेटनरी क्लिनिक सेवा शुरू करने का निर्णय लिया है. इसके लिए टाटा कंपनी से 236 मोबाइल वैन खरीदे जाने हैं. कंपनी ने इनमें से 70 मोबाइल वैन की आपूर्ति विभाग को कर दी है. ये वैन तैयार होकर विभाग के एक कार्यालय में महीनों से खड़ी हैं. इस योजना की पूरी राशि केंद्र सरकार की ओर से गयी है. केंद्र ने प्रति मोबाइल वैन 16 लाख रुपये की दर से भुगतान किया है. वैन के पीछे चंपाई सोरेन और बादल का फोटो लगा हुआ है. जबकि, एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो लगाया गया है. मुख्यमंत्री और मंत्री के बदल जाने के बाद विभाग अब वैन पर लगी फोटो बदलने की तैयारी में लगा है. अधिकारी इस पर मंथन कर रहे हैं.एक साल पहले हुआ है संचालन के लिए एमओयू
योजना के संचालन के लिए साल भर पहले 10 अगस्त 2023 को तत्कालीन कृषि मंत्री बादल की मौजदूगी में इएमआरआइ ग्रीन हेल्थ सर्विसेस के साथ एमओयू हुआ था. मोबाइल वेटनरी क्लीनिक में पशुओं के इलाज की पूरी सुविधा मौजूद होगी. पूरा काम झारखंड स्टेट इम्पीलिमेंटिंग एजेंसी (जेएसआइए) की देखरेख में हो रहा है. इसके लिए कॉल सेंटर भी बनाया जा रहा है. कॉल सेंटर में फोन कर किसान अपने पशुओं की जांच या इलाज की गुहार लगा सकेंगे. वहां से संबंधित क्षेत्र के मोबाइल यूनिट को सूचना जायेगी. इसमें पदस्थापित पशु चिकित्सक और पारा वेटनरी स्टाफ जानवरों को डोर स्टेप इलाज की सुविधा उपलब्ध करायेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है