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झारखंड में धान बेचनेवाले 31 हजार किसानों का पैसा सरकार के पास फंसा, दूसरी किस्त और बोनस का नहीं हुआ भुगतान

झारखंड के 31 हजार किसानों का लगभग 167 करोड़ रुपये बकाया है. धान बेचने के बाद अब तक भुगतान नहीं हुआ है. खरीफ मौसम 2022-23 में राज्य के किसानों ने राज्य सरकार को करीब 17 लाख क्विंटल धान बेचा है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 5, 2023 7:01 AM

रांची, सतीश कुमार : खरीफ मौसम 2022-23 में राज्य के 31,100 किसानों ने राज्य सरकार को 16.77 लाख क्विंटल धान बेचा है. सरकार की ओर से अब तक 27,485 किसानों को पहली किस्त के तौर पर 149.15 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. परंतु, तीन माह बीत जाने के बाद भी अब तक किसानों को दूसरी किस्त और बोनस का भुगतान नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार पर किसानों के लगभग 167 करोड़ रुपये बकाया हो गये हैं.

15 दिसंबर, 2022 से धान क्रय की शुरुआत

राज्य में सरकार की ओर से 15 दिसंबर, 2022 से धान क्रय की शुरुआत की गयी थी. इसके तहत धान क्रय के समय ही किसानों को पहली किस्त के तौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (2040 रुपये) का 50 प्रतिशत राशि के भुगतान का प्रावधान किया गया था. वहीं, तीन माह में न्यूनतम समर्थन मूल्य की 50 प्रतिशत राशि के साथ बोनस (10 रुपये प्रति क्विंटल की दर) का भुगतान करना था. हालांकि, अब तक किसानों को न तो दूसरी किस्त मिली और न ही बोनस का भुगतान किया गया है. सरकार को दूसरी किस्त के तौर पर किसानों को लगभग 150 करोड़ व बोनस के तौर पर लगभग 17 करोड़ रुपये का भुगतान करना है.

राज्य ने केंद्र को लिखा पत्र, पर नहीं आया जवाब

राज्य सरकार की ओर से 31 मार्च, 2023 को धान क्रय की अवधि समाप्त हो गयी है. इधर, खाद्य आपूर्ति विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर धान क्रय की अवधि एक माह बढ़ाने का आग्रह किया है. लेकिन, केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई निर्देश नहीं मिला है.

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सुखाड़ की वजह से घटाया गया धान क्रय का लक्ष्य

राज्य में सुखाड़ की वजह से सरकार ने धान क्रय का लक्ष्य 80 लाख क्विंटल से घटा कर 36.30 लाख क्विंटल कर दिया था. फिर भी सरकार लक्ष्य का सिर्फ 47 प्रतिशत ही धान किसानों से खरीद पायी है. साहिबगंज व दुमका के एक भी किसान ने धान नहीं बेचा. हालांकि, सरकार की ओर से साहिबगंज के 157 व दुमका के 567 किसानों को एसएमएस भेजा गया था.

जिलावार किसानों की स्थिति

जिला : धान बेचने वाले किसान : कितना धान बेचा (क्विंटल में)

गढ़वा : 455 : 23,992

चतरा : 1671 : 75,623

कोडरमा : 1705 : 63,161

गिरिडीह : 2024 : 1,08,955

देवघर : 148 : 6,777

गोड्डा : 79 : 2,059

साहिबगंज : 000 : 000

पाकुड़ : 84 : 6,356

जिला : धान बेचने वाले किसान : कितना धान बेचा (क्विंटल में)

धनबाद : 261 : 5,984

बोकारो : 937 : 40,761

लोहरदगा : 204 : 14,711

पूर्वी सिंहभूम : 7,097 : 5,74,582

पलामू : 204 : 11,868

लातेहार : 860 : 28,700

हजारीबाग : 6,766 : 3,31,358

रामगढ़ : 2,822 : 1,13,280

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जिला : धान बेचने वाले किसान : कितना धान बेचा (क्विंटल में)

दुमका : 000 : 000

जामताड़ा : 355 : 9,512

रांची : 1,271 : 80,291

खूंटी : 401 : 14,601

गुमला : 857 : 36,411

सिमडेगा : 533 : 19,871

पश्चिमी सिंहभूम : 1,519 : 73,915

सरायकेला-खरसावां : 847 : 34,403

कुल : 31,100 : 16,77,183

जल्द ही बोनस की राशि का भुगतान होगा : यतींद्र प्रसाद

इस संबंध में जेएसएफसी के प्रबंध निदेशक यतींद्र प्रसाद ने कहा कि दूसरी किस्त की राशि का भुगतान मिल में धान देने के बाद होता है. मिल में इस बार धान नहीं गया था, क्योंकि केंद्र सरकार ने कह दिया था कि चावल नहीं देंगे. कहा कि अब राज्य सरकार खुद मिल से चावल लेकर इसे पीडीएस को दे. केंद्र सरकार ने डिसेंट्रलाइज्ड प्रोक्यूरमेंट स्कीम (डीसीपी) की व्यवस्था लागू कर दी है. पहले नॉन डीसीपी मोड में होता था. डीसीपी मोड में करने की वजह से सरकार को निर्णय लेने में दो माह का समय लग गया. इस पर एक सप्ताह पहले ही निर्णय हुआ है. अब मिल से चावल आना शुरू हो गया है. जल्द ही बोनस की राशि का भुगतान होगा.

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