आखिर क्या बला है मानसून, हर नजर आसमां की ओर…कब बरसेगा मेघ
Monsoon 2023: मानसून पर रिपोर्ट इसलिए क्योंकि गर्मी से राहत मिलती है. विकास की दर तय होती है. देश में 84 फीसदी बारिश मानसून के सीजन में ही होती है. मानसून की बारिश किसानों की उम्मीद लेकर आती है. आखिर क्या बला है मानसून, पढ़ें पूरी रिपोर्ट...
Monsoon 2023: हर कोई मानसून का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. आखिर कब बारिश की बूंदे राहत देंगी. यह सिर्फ गर्मी से ही राहत नहीं दिलाता, बल्कि खेती-किसानी के लिए भी खुशखबरी लेकर आता है. इसलिए मानसून को अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा गया है. विकास दर तय होती है. मानसून की चर्चा हर साल होती है. यह हिंद और अरब सागर से आनेवाली हवा है, जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में बारिश कराती है.
भारत में मानसून का पीरियड जून से सितंबर तक रहता है. हालांकि, देश के कोने-कोने से अक्तूबर तक मानसून की वापसी होती रहती है. यह आता केरल से है. देश में करीब चार-पांच माह हवा दक्षिण से उत्तर की ओर जाती है. करीब उतना ही समय हवा उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है. जब हवा की दिशा समुद्र से जमीन की ओर होती है, तो यह बारिश लेकर आती है. हवा की दिशा जमीन से समुद्र की ओर होती है, तो ठंड लेकर आती है. देश में 84 फीसदी बारिश मानसून के सीजन में ही होती है. मौसम केंद्र रांची के प्रभारी वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के सहयोग से मनोज सिंह की यह रिपोर्ट इसी मानसून पर आधारित है. यह समझने के लिए कि आखिर मानसून बला क्या है.
मानसून का मतलब होता है : हवाओं का मिजाज
मानसून, अरबी शब्द मौसिम से निकला हुआ शब्द है, जिसका अर्थ होता है हवाओं का मिजाज. शीत ऋतु में हवाएं उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बहती हैं, जिसे शीत ऋतु का मानसून भी कहा जाता है. वहीं, ग्रीष्म ऋतु में हवाएं इसके विपरीत दिशा में बहती हैं, जिसे दक्षिण-पश्चिम मानसून या गर्मी का मानसून कहा जाता है. चूंकि, पहले के समय में इन हवाओं से व्यापारियों को नौकायन में सहायता मिलती थी, इसीलिए इन्हें व्यापारिक हवाएं या ‘ट्रेड विंड’ भी कहा जाता है.
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