मनोज सिंह
Jharkhand News: राज्य में वज्रपात या बिजली गिरने से मरनेवाले लोगों में करीब 68 फीसदी जनजातीय आबादी होती है. जबकि, मात्र 32 फीसदी ही गैर जनजातीय की मौत होती है. झारखंड में हर साल वज्रपात से करीब 350 लोगों की मौत होती है. क्लाइमेट रिजिलियेंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) और भारत सरकार के मौसम विज्ञान विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है.
रिपोर्ट बताती है कि वज्रपात के मामले में झारखंड सबसे अधिक खतरे वाले राज्यों में से एक है. 2021-22 में यहां 4.40 लाख से अधिक बार बिजली गर्जन या वज्रपात हुआ था. इसमें करीब 322 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 96 फीसदी ग्रामीण थे. वज्रपात से मरनेवालों में 66 फीसदी पुरुष और 32 फीसदी महिलाएं थीं. मरनेवालों में 62 फीसदी वयस्क और 38 फीसदी बच्चे थे. वहीं, वज्रपात में मरनेवाले 77 फीसदी लोग खेती-किसान करनेवाले थे. वहीं, 23 फीसदी अन्य लोगों की मौत वज्रपात या बिजली गिरने से हुई है.
झारखंड में वज्रपात रोकने के लिए कोई स्टेट एक्शन प्लान नहीं है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग भविष्यवाणी तो कर रहा है, लेकिन यह पंचायत स्तर या गांव स्तर पर नहीं पहुंच पा रहा है. यहां संस्थानों में करीब 10 साल पहले तड़ित चालक लगे थे. उसकी स्थिति दुरुस्त नहीं है. हाल में मौसम विभाग ने एसएमएस अलर्ट देना शुरू किया है. इसका असर भी जनजीवन पर दिख रहा है.
पूरे देश में हर साल करीब 36 लाख से अधिक बार बिजली गिरती है. इसमें सबसे अधिक बिजली मध्य प्रदेश में गिरती है. यहां करीब 6.5 लाख बार लाइटनिंग होती है. इसके बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है. झारखंड बिजली गिरने वाले राज्यों में पांचवें स्थान पर है. सबसे कम बिजली दिल्ली में गिरती है. झारखंड में निचले स्तर से बादल से बिजली गिरती है. इस कारण झारखंड में जानमाल को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
राज्य में वज्रपात से सबसे अधिक मौत गुमला जिले में होती है. यहां 2018 से 2021 तक करीब 89 लोगों की मौत हुई थी. सीआरओपीसी की वार्षिक रिपोर्ट में जिक्र है कि गुमला के बाद पलामू में करीब 85 लोगों की मौत इस अवधि में हुई थी. वहीं सबसे कम मौत कोडरमा जिले में होती है.
जिला मौत
गुमला 89
पलामू 85
बोकारो 56
गढ़वा 50
चतरा 50
लोहरदगा 46
लातेहार 45
रामगढ़ 41
गिरिडीह 40
देवघर 37
रांची 32
पू सिंहभूम 31
हजारीबाग 29
प सिंहभूम 28
जामताड़ा 28
दुमका 27
गोड्डा 26
जिला मौत
खूंटी 20
धनबाद 19
सरायकेला 17
साहिबगंज 14
कोडरमा 13
सीआरओपीसी के अध्यक्ष कर्नल संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि बिजली जब ऊपर से गिरती है तो चारों ओर फैलती है. ग्रामीण इलाकों में बिजली गिरने के बाद ज्यादा फैलती है. शहरी इलाकों में गिरने के बाद यह बहुत नहीं फैलती है. इस कारण शहर में नुकसान कम होता है. झारखंड में ग्रामीण इलाकों में जनजातीय आबादी अधिक होने के कारण नुकसान ज्यादा जनजातीय को होता है. जनजातीय जीवन प्रकृति के ज्यादा करीब रहते हैं. वे कृषि या जंगल, जानवर, मछली पालन आदि पर निर्भर करते हैं. इस कारण वज्रपात का जोखिम भी उन पर अधिक होता है. पक्का घर के मुकाबले कच्चे घर में वज्रपात का नुकसान ज्यादा होता है. दक्षिणी और पूर्वी झारखंड में सबसे अधिक बिजली गिरता है.