रांची की अधिकतर जलधाराएं गायब, बची हुईं नाले में हो रहीं तब्दील

दो दशक पहले तक रांची के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर कई छोटी-छोटी जलधाराएं थीं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 4, 2024 12:14 AM

रांची. दो दशक पहले तक रांची के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर कई छोटी-छोटी जलधाराएं थीं. ये जलधाराएं खेतों, टांड़ और खाली जमीनों के बीच से बहती हुईं सुंदर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती थीं. इनमें होते थे खेत, दलदली जमीनें और इनके साथ कई तरह की वनस्पतियां. जलधाराओं में छोटी मछलियां, केकड़े और कई अन्य छोटे जीव मिलते थे. यहां पर कई तरह के पक्षियों के लिए आश्रय और भोजन भी मिलता था. इन जलधाराओं के कारण आसपास का भूगर्भ जल का स्तर भी काफी अच्छा रहता था. दूसरी ओर शहर के विस्तार के साथ ही खेत, टांड़, मैदान और तालाब, सभी तरह की जमीनों पर निर्माण कार्य होने लगे और उसके साथ इन जलस्रोतों पर भी अतिक्रमण होने लगा. अब कई जलधाराएं या तो खत्म हो गयी हैं या फिर गंदे नाले में तब्दील हो गयी हैं. इसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है. रांची के अधिकांश क्षेत्र में भूगर्भ जल खतरनाक स्तर पर नीचे चला गया है. बोरिंग फेल होने लगी है और जलसंकट से लोगों को जूझना पड़ रहा है. रांची के आसपास के इलाकों में भूजल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है, जिससे समस्या गंभीर हो चली है.

ये नदी/जलधाराएं खत्म हो गयी हैं

हरमू नदी के सौंदर्यीकरण की योजना फेल हो चुकी है. इसके बारे में पिछले साल आयी एजी की रिपोर्ट में दर्ज है कि नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर करोड़ों रुपये की योजना यूजलेस हो चुकी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आज हरमू नदी किसी भी काम की नहीं रही है. करमटोली तालाब के पास से खेतों के बीच से होकर निकलनेवाली धारा कोकर डिस्टिलरी तालाब का निर्माण करती थी. वह पूरी तरह से खत्म हो गयी है. डिस्टिलरी तालाब को भरकर पार्क बना दिया गया है. बचे-खुचे हिस्से में शहर का गंदा पानी बहता है. जेल तालाब के पास से खेतों के बीच से होकर लालपुर, कुम्हारटोली होते हुए सामलौंग महुआटोली होकर स्वर्णरेखा में मिलनेवाली जलधारा भी अतिक्रमण का शिकार है.

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