रांची. सेवा क्षेत्र में मिसाल कायम करते हुए अपने निजी जीवन में भी सफलता के झंडे गाड़े. सफलता की यह कहानी एक ऐसी मां की है, जो सर्वाधिक व्यस्त रहनेवाले पेशे मेडिकल लाइन में हैं. एएनएम रंजू कुमारी के विश्वास और लगातार प्रोत्साहन ने उनके बेटे को यूपीएससी में सफलता दिलायी. लगातार पांच प्रयास में असफल रहने पर भी रंजू अपने बेटे की हिम्मत बनी रहीं और उसे कामयाबी दिलायी. ओरमांझी पीएचसी के कुरुम सब-सेंटर पर कार्यरत रंजू कुमारी बतौर एएनएम अपनी सेवा दे रही हैं. सिस्टर रंजू के बेटे बिपिन कुमार सिंह ने हाल ही में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की और देशभर में 838 रैंक हासिल किया.
मां को शुरू से काम के प्रति समर्पित देखा
बिपिन कहते हैं कि बचपन में मां गुमला के एक अस्पताल में कार्यरत थी. मां को शुरू से कर्तव्यनिष्ठा से काम करते देखा है. ग्रामीण इलाके में घर था. कभी-कभी गंभीर रूप से बीमार मरीज के इलाज के लिए मां को देर रात में भी ड्यूटी पर जाना पड़ता था. तब मां मौसम की परवाह किये बिना अपनी सेवा के लिए निकल पड़ती थीं. उनकी मां ने कभी भी तेज धूप और मूसलाधार बारिश की परवाह नहीं की. ड्यूटी को अपनी पहली पूजा माना. इसके साथ ही परिवार को भी संभाला. एक समय ऐसा था, जब पोस्टिंग गुमला के एक ऐसे गांव में मिली, जहां तक पहुंचने का कोई साधन नहीं था. ऐसे में ड्यूटी के लिए मां बॉक्साइड ढोनेवाले ट्रक में बैठकर भी मरीज तक पहुंच जाती थी. यहीं से सेवा और कर्तव्यनिष्ठा की सीख मिली.
मां के विश्वास पर है गर्व
बिपिन कहते हैं कि उत्पाद विभाग में नौकरी मिल चुकी थी, पर इससे संतुष्ट नहीं था. लक्ष्य यूपीएससी था, तब मां ने हिम्मत दी और कहा ”बिना झिझक के नौकरी छोड़ो, जाओ और तैयारी करो”. इसके बाद लगातार पांच प्रयास में असफल रहा. उस समय केवल मां ही थी, जिन्होंने लगातार हिम्मत बढ़ायी. सकारात्मक रहने की सीख ने अंतिम लक्ष्य को हासिल करने में मदद की. मां का विश्वास आज उनके गर्व का कारण बना है.
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