रांची: झारखंड की माताएं पड़ोसी राज्यों की तुलना में मातृत्व प्रजनन स्वास्थ्य में मजबूत हैं. मेटर्नल मोर्टेलिटी इन इंडिया के स्पेशल बुलेटिन 2017-19 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में मातृ-मृत्यु दर (एमएमआर) पड़ोसी राज्यों से बेहतर है. वहीं राष्ट्रीय आंकड़ा भी हमारी स्थिति बेहतर है.
राज्य में मातृ-मृत्यु दर 61 प्रति लाख है, जबकि बिहार में यह 130, ओड़िशा में 136,उत्तर प्रदेश में 167, छत्तीसगढ़ में 160 और पश्चिम बंगाल में 109 है. वहीं राष्ट्रीय आंकड़ा 103 प्रति लाख है. झारखंड का गर्भावस्था के समय लाइफ टाइम रिस्क भी राष्ट्रीय औसत 0.2 फीसदी के बराबर है. इस आंकड़े में भी बिहार-0.4, छत्तीसगढ़-0.4,ओड़िशा-0.3,उत्तर प्रदेश-0.5 और पश्चिम बंगाल-0.2 फीसदी है.
स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें, तो मातृ-मृत्यु दर में झारखंड का लक्ष्य 70 निर्धारित किया गया था, जिसमें बेहतर करते हुए 61 पर पहुंच कर आ गया है. इसका सबसे बड़ा कारण संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना माना जा रहा है.
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं का प्रसव सरकारी अस्पतालों में बढ़ा है. अब गांव की महिलाओं का प्रसव भी नजदीकी सरकारी अस्पताल में हो रहा है. सरकार भी सरकारी अस्पताल में प्रसव को बढ़ावा देने के लिए प्रसव उपरांत प्रोत्साहन राशि देती है. पीएचसी और सीएचसी अस्पतालों में सिजेरियन की सुविधा है, जिससे सामान्य प्रसव की जटिलता पर सिजेरियन से प्रसव करा दिया जाता है.
राज्य में एनीमिया (खून की कमी) पीड़ित महिलाओं की ओवरऑल स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन कुछ जिलों में अभी और मेहनत करने की जरूरत है. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट की मानें तो राज्य में एनीमिया पीड़ित 65.3% महिलाएं हैं, जबकि एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 65.2% था. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में 66.7 % और शहर में 61.1 % महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं. वहीं 15 से 19 साल की महिलाओं का आंकड़ा भी एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट में बेहतर नहीं हुआ है. एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 65% था, लेकिन एनएफएचएस-5 में यह 65.8 % हो गया है.
जिला एनएफएचएस-4 एनएफएचएस-5
रांची 64.4 58.3
पश्चिमी सिंहभूम 72.7 72.5
बोकारो 72.4 68.8
हजारीबाग 60.8 56.1
गिरिडीह 68.5 64.7
जिला एनएफएचएस-4 एनएफएचएस-5
देवघर 55.3 70.1
दुमका 63.7 73.4
गढ़वा 60.1 62.7
साहिबगंज 51.2 63.6
राज्य एमएमआर
केरल 30
महाराष्ट्र 38
तेलंगाना 56
आंध्रप्रदेश 58
तमिलनाडु 58
Posted By: Sameer Oraon