Ranchi News: झारखंड सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में असंवैधानिक ढंग से सामान्य पंचायत और नगर निगम स्थापित कर दिया है. इससे जनजातियों के कस्टमरी लॉ, परंपरागत रीति-रिवाज और प्रशासनिक व्यवस्था पर संकट उत्पन्न हाे गया है. यह बात संविधान दिवस के अवसर पर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के संयोजक विक्टर माल्टो, प्रभाकर कुजूर, मेडलिन तिर्की व रतन मुंडा ने प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कही. उन्होंने कहा कि संविधान के भाग नौ के अनुच्छेद 243 एम (1) और नौ ‘ए’ के अनुच्छेद 243 (जेडसी) द्वारा क्रमश: पंचायत राज व्यवस्था और नगर पालिकाओं की स्थापना पर संवैधानिक रोक लगायी गयी है. इस कारण संसद ने अनुच्छेद 243 एम (46) द्वारा प्राप्त शक्ति द्वारा भाग नौ के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में अपवादों और उपांतरणों के अधीन विस्तार किया, जिसे पी-पेसा 1996 या पंचायत के उपबंधों अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996 कहा गया.
Also Read: झारखंड में शिक्षा विभाग का आदेश ताक पर, 18000 स्कूल नहीं दे रहे बच्चों की उपस्थिति की रिपोर्ट
इस अधिनियम द्वारा 23 प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों पर अपवादों और उपांतरणों के अधीन विस्तार किया गया. इस पर राष्ट्रपति ने 24 दिसंबर 1996 को अपनी सहमति दी. इस अधिनियम की धारा चार में उल्लेख है कि राज्य इन 23 प्रावधानों के असंगत कोई भी कानून नहीं बनायेगा. पर राज्य सरकार ने ऐसे सभी प्रावधानों को हटा दिया, जिससे आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन, वन संपदा, रीति- रिवाज, खनिज की रक्षा हो सकती थी.
इस अधिनियम की धारा चार (ओ) और चार (एम) में यह स्पष्ट उल्लेख है कि अनुसूचित क्षेत्रों में जिले के स्तर पर स्वशासी जिला परिषद/क्षेत्रीय परिषद और निचले स्तर पर परंपरागत ग्राम सभा (धारा – डी) की स्थापना अनिवार्य है. वहीं, संसद ने भाग नौ ए के अनुच्छेद 243 (जेडसी) (3) के तहत अनुसूचित क्षेत्राें पर नगर पालिकाओं के प्रावधानाें को आज तक विस्तार नहीं किया है. अधिनियम 1996 की धारा चार (ओ) ही नगर निगम नगर पालिका के कार्यों का संचालन करेगा. सरकार अविलंब पी-पेसा 1996 की नियमावली तैयार करें.