अजय दयाल, रांची. बेड़ो जोन के पीएलएफआइ एरिया कमांडर शमशाद उर्फ मौलवी की हत्या का आरोप उसी के ग्रुप के उग्रवादी विकास उरांव उर्फ विक्की पर लगा था. लेकिन पुलिस यह साबित नहीं कर पायी कि वह शव एरिया कमांडर का था, क्योंकि शमशाद उर्फ मौलवी का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला था. मामला नौ साल पुराना वर्ष 2015 का है. मामले की सुनवाई अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत में चल रहा था. बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी को एक अज्ञात शव की हत्या के लिए दोषी ठहराना उचित नहीं है. अज्ञात शव की पहचान शमशाद अंसारी उर्फ मौलवी के रूप में उसके परिवार के सदस्यों ने भी नहीं की थी. अदालत में पुलिस द्वारा प्रस्तुत किये गये 12 गवाह और साक्ष्य भी आरोपी को दोषी साबित नहीं कर सके. उसके बाद अदालत ने उग्रवादी विकास उरांव उर्फ विक्की को दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया. घटना बेड़ो थाना क्षेत्र में 16 जनवरी 2015 को हुई थी. बेड़ो के शौका जंगल से शव बरामद किया गया था. मैट्रिक परीक्षा के लिए छुट्टी नहीं देने पर पत्थर से सिर कूच कर हत्या करने का था आरोप : मामले के जांच अधिकारी ने कोर्ट को दिये बयान में बताया था कि उन्होंने आरोपी विकास उरांव को गिरफ्तार किया था. उसने कबूल किया था कि उसने शमशाद उर्फ मौलवी की हत्या की थी, क्योंकि वह मैट्रिक की परीक्षा देने के लिए छुट्टी मांगने मौलवी के पास गया था. उसने जब छुट्टी देने की बात कही, तो मौलवी ने उसे धमकी दी थी. इसके बाद वह उसके घर गया और सोये हालत में मौलवी के सिर में पत्थर से कूच कर उसकी हत्या कर दी. पुलिस ने खून से सना एक पत्थर भी जब्त किया था. जिरह के दौरान गवाह ने स्वीकार किया कि जब सामग्री जब्त की गयी थी, तब आरोपी वहां मौजूद नहीं था. यह भी स्वीकार किया कि आरोपी की उपस्थिति में कोई सामग्री जब्त नहीं की गयी थी. उसने यह भी कहा कि साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत पत्थर पर कोई फिंगर प्रिंट नहीं है. बहस के दौरान आये उक्त साक्ष्य के आधार पर उग्रवादी विकास उरांव को दोषी साबित नहीं किया जा सका. इसके बाद उसे बरी कर दिया गया.
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