झारखंड: ऐतिहासिक मुड़मा मेले का बाबूलाल मरांडी ने किया उद्घाटन, सरना कैलेंडर का भी किया विमोचन
दो दिवसीय मुड़मा जतरा के उद्घाटन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, लोहरदगा सांसद सुदर्शन भगत, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, बीजेपी नेता सन्नी टोप्पो, नेपाल से आए संविधान सभा के सदस्य सूरजदेव दास उरांव समेत अन्य शामिल थे.
मांडर (रांची), तौफिक आलम: चालीस पाड़हा के पहान, महतो, पुजार, मुंडा, पैनभरा व विभिन्न राज्यों के सरना धर्म गुरुओं द्वारा शक्ति खूंटा की पूजा-अर्चना के साथ झारखंड का ऐतिहासिक मुड़मा जतरा सोमवार से शुरू हो गया. इससे पहले बाजे-गाजे व पाड़हा के झंडे के साथ जतरा स्थल पर पहुंचे पाहन महतो, पुजार व धर्मअगुवा ने परंपरा के अनुसार सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा की अगुवाई में जतरा स्थल पर स्थित अधिष्ठात्री शक्ति के प्रतीक शक्ति खूंटा की परिक्रमा व पूजा-अर्चना की और यहां 40 पाड़हा के प्रतीक स्वरूप कंड़सा में दीप जलाया. रांची जिले के मांडर में आयोजित दो दिवसीय मुड़मा जतरा के उद्घाटन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, लोहरदगा सांसद सुदर्शन भगत, कोकराझार (असम) के सांसद नबा कुमार सरानिया, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, बीजेपी नेता सन्नी टोप्पो, नेपाल से आए संविधान सभा के सदस्य सूरजदेव दास उरांव सहित ध्यानी उरांव, मोतीलाल उरांव मुख्य रूप से शामिल थे.
सांस्कृतिक भवन बनाने की मांग पर दिया आश्वासन
झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हम आदिवासी हैं. अपनी संस्कृति और परंपरा ही हमारी पहचान है. हमें पुरखों से विरासत के रूप में जो संस्कृति व परंपरा मिली है, उसे आने वाली पीढ़ियों को देकर जाएं. उसके लिए प्रयास होना चाहिए. उन्होंने धर्मगुरु बंधन तिग्गा के द्वारा जतरा में आने वाले मेहमानों के लिए जतरा स्थल में सांस्कृतिक भवन बनाने की मांग पर आश्वासन देते हुए कहा कि वह इसके लिए केंद्र सरकार से बात करेंगे और भविष्य में झारखंड में उनकी सरकार बनी तो जतरा स्थल को लेकर जो भी मांग होगी, उसे पूरा कर दिखाएंगे.
अब तक नहीं मिल पाया सरना कोड
कोकराझार (असम) के सांसद नबा कुमार सरानिया ने कहा कि हम आदिवासी लोगों की विडंबना है कि हमारे सरना धर्म को जो सम्मान मिलना था, वह नहीं मिल पाया है. हमें सरना कोड भी नहीं मिला है. आदिवासियों की सरना कोड की लड़ाई में वह सबके साथ हैं.
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40 पाड़हा व्यवस्था व महत्व को समझने का आह्वान
लोहरदगा सांसद सुदर्शन भगत ने भी विचार व्यक्त किए. संचालन शिव उरांव व वीरेंद्र उरांव ने किया. इससे पहले सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने मुड़मा जतरा के ऐतिहासिक, धार्मिक व सामाजिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और लोगों को 40 पाड़हा की व्यवस्था व महत्व को समझने का आह्वान किया. जतरा की शुरुआत से ही यहां लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है. जतरा में खेल तमाशे, बिजली चालित झूले, मौत का कुआं, सर्कस, झूला, जादू के खेल व मनोरंजन के कई अन्य साधनों की भरमार है. सौंदर्य प्रसाधन, पारम्परिक वाद्य यंत्र ढाक, मांदर, नगाड़ा, कृषि उपकरण, अस्त्र शस्त्र, शृंगार प्रसाधन, खिलौने, फ़ास्ट फूड, ईख, मिठाई व खाने-पीने की सैकड़ों दुकानें लगी हुई हैं.
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समापन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुख्य अतिथि
जतरा में उमड़नी वाली भीड़ को लेकर प्रशासन की ओर से विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए व्यापक इंतजाम किये गये हैं. आदिवासियों की परंपरा व संस्कृति से ओत-प्रोत इस मेले का मुख्य आकर्षण समापन के दिन होता है. जब पाड़हा के लोग अपने परंपरागत पाड़हा निशान रम्पा चम्पा, लकड़ी के हाथी, घोड़े, मगरमच्छ, मछली, कंड़सा व झंडों के साथ नाचते गाते हुए मेला में शामिल होने आते हैं. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने बताया कि जतरा के समापन समारोह में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. उन्होंने दो दिवसीय जतरा में शामिल होने वाले लोगों से आपसी भाईचारे व सौहार्द के प्रतीक इस मुड़मा जतरा का शांतिपूर्ण माहौल में आनंद लेने की अपील की है.
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जतरा के उद्घाटन समारोह में ये थे मौजूद
सुंदरलाल केरकेट्टा, मणिलाल केरकेट्टा, भगवानदास मुंडा, विद्यासागर केरकेट्टा, रवि तिग्गा, प्रदीप कुमार एक्का, संगम उरांव, एस अली, चारो उरांव, कमले किस्पोट्टा, शीला उरांव, जगराम उरांव, अनिल उरांव, रंथू उरांव, वीरेंद्र उरांव, चितरंजन उरांव, बिहारी उरांव, लक्ष्मण उरांव, जतरु उरांव, सुशील उरांव, बाबू पाठक, रंजन उरांव, सुका उरांव, सहदेव उरांव, मनोज उरांव, प्रभात तिर्की, संदीप उरांव, जिपस परमेश्वर भगत, एतवारी उरांव, रबुल अंसारी, हाजी शाकिर इस्लाही, शमीम अख्तर आजाद, आबिद अंसारी आदि मौजूद थे.
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