रांची में मुस्लिम समाज ने की बैठक, निशिकांत दुबे के संसद में दिए बयान को बताया विभाजनकारी
रांची में झारखंड अंजुमन के बैनर तले मुस्लिम समाज के लोग जुड़े. इस दौरान सभी ने मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे मॉब लिंचिंग को लेकर आवाज उठाई. निशिकांत दुबे के संसद में दिए गए बयान पर भी आपत्ति जताई और बयान को विभाजनकारी ही नहीं बल्कि घृणा का गंगोत्री बताया.
रांची में मेन रोड स्थित सरताज होटल में मुस्लिम समाज की राज्यस्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में झारखंड के कई जिलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी और ‘माही’ के संरक्षक जुनैद अनवर ने की. इस बैठक का मुद्दा देश और झारखंड में चल रहे मुसलमानों के खिलाफ हिंसा रहा. वक्ताओं ने इस राज्य स्तरीय बैठक में कई गंभीर मुद्दे उठाए जिनमें प्रमुख रूप से निशिकांत दुबे द्वारा संसद में उठाये गए सवाल को घोर साम्प्रदायिक बताया. कहा गया कि निशिकांत दुबे का बयान न केवल विभाजनकारी है बल्कि घृणा फैलाने वाला है.
निशिकांत दुबे के बयान की होनी चाहिए कड़ी निंदा
मुस्लिम समाज के नेताओं ने कहा, सांसद निशिकांत दुबे के बयान की कड़ी निंदा की जानी चाहिए और संसद की कार्यवाही पंजी से इसे निकाल देना चाहिए. वक्ताओं ने मंचों से नेताओं द्वारा घुसपैठिया बोलकर मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है. देश और झारखंड में कोई भी मुसलमान घुसपैठिया नहीं है. घुसपैठिया शब्द केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
मॉब लिंचिंग पर हो सभी देशवासी एकजुट
वक्ताओं ने मॉब लिंचिंग पर देशवासियों से एक-जुट होने के लिए कहा है और इसपर कठोर कानून बनाने की मांग की जिसमें सजा-ए-मौत का प्रावधान हो. वक्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज मुसलमान राजनीतिक रूप से हाशिये पर है, फिर भी इसे निशाना क्यों बनाया जा रहा है? हमें राजनीति का मोहरा न बनाया जाए और हमारे विकास के रास्ते को अवरुद्ध न किया जाए. हम देश के सभी नागरिकों के साथ सौहार्द और भाईचारे का रिश्ता चाहते हैं. एक साथ मिलकर देश के विकास के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं.
मुसलमानों के राजनीति में मोहरा बनाकर होता है इस्तेमाल
इस बैठक में विशेषकर इस बात पर चिंता जाहिर की गई कि चुनावों में मुसलमानों को राजनीति के केंद्र में रखकर उनका इस्तेमाल किया जा रहा है. मुसलमानों के नाम पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है. देश व राज्य की राजनीति में पहले से मुसलमान हाशिये पर है. देश में मुसलमान कहीं भी प्रभावी नहीं है और तथाकथित वोट बैंक भी बिखर चुका है.
मुसलमाल शिक्षा से विकास की जा सकते हैं
बैठक में कहा गया कि मुसलमान पहले से ही अपनी समस्याओं में घिरा हुआ है. मुसलमान उस रास्ते को खोज रहा है जिससे कि वह शिक्षा से विकास की ओर जा सके. बैठक में यह आरोप लगाया गया कि देश की कुछ पार्टियां के नेता मुसलमानों को बदनाम करते हैं. मुसलमानों की लिंचिंग पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि उनके खिलाफ वैमनस्य और उन्माद का वातावरण बनाया जा रहा है. मुसलमानों को घुसपैठिए का नाम देकर दहशत पैदा किया जा रहा है.
मुसलमानों का रोजगार छीनने की हो रही साजिश
बैठक में कहा गया कि मुसलमानों का रोजगार छीनने की साजिश की जा रही है. मुसलमानों के विकास के रास्ते को रोका जा रहा है. इससे मुसलमानों के बीच गुस्सा और बेचैनी है. बताया गया कि मुसलमानों ने इन सबके बावजूद संयम और भाईचारे की मिसाल पेश की है.
झारखंड में फिर से हुआ मॉब लिंचिंग
बैठक में राज्य में हुए मॉब लिंचिंग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि एक बार फिर से लिंचिंग गैंग सक्रिय हो गया है. इस बारे में उदाहरण देते हुए बताया गया कि रांची के महिलोंग, कोडरमा और दुमका में तीन मुसलमानों की हत्या की गई थी. कोडरमा के बारे में बोलते हुए बताया गया कि यहां तो पुलिस की मौजूदगी में मॉब लिंचिंग को अंजाम दिया गया. इस बैठक में राज्य के अन्य जिलों और कई अंजुमनों के अध्यक्ष और सचिवों ने अपनी बातें रखी.
अध्यक्ष ने क्या कहा
बैठक की अध्यक्षता कर रहे जुनैद अनवर ने कहा कि इस बैठक की मकसद ये है कि पूरे झारखंड की तंजीमें व सामाजिक लोग संगठित होकर अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाया जाए. जब राजनीति में हमारी कोई भागीदारी नहीं है तो सभी पार्टियां हमें अपनी राजनीति का केंद्र क्यों बनाती हैं? हमें गालियां क्यों दी जाती है? हमपर ज़ुल्म क्यों किये जाते हैं? आये हम सभी लोग एकजुट होकर उस चिड़िया के मानिंद काम करे जो दहकती हुई आग को अपने चोंच से पानी लेकर बुझाने की कोशिश कर रही थी.
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इस्लाम और राष्ट्रीयता में नहीं है अंतर्विरोध : संयोजक इबरार अहमद
माही व साझा मंच के संयोजक इबरार अहमद ने कहा कि इस्लाम व राष्ट्रीयता में कोई अंतर्विरोध नहीं है. अगर सियासत हमें प्रभावित कर रही है तो हम भी सियासत को प्रभावित करेंगे. उन्होंने कहा कि आम मेहनतकश मुहब्बत करने वाले मुसलमान हैं वो हमेशा ठगे गये हैं, उन्हें न केवल नेताओं ने बल्कि अपने लोगों ने भी ठगा है. ऐसे लोगों की आवाज बनकर ईमानदारी से, मिल्ली दर्द लिए संगठित होकर समस्याओं के समाधान के लिए जम्हूरी तरीके से संघर्ष किया जाना चाहिए. नफरत की सियासत देश को वैचारिक रूप से विभाजित करती है जिसका लाभ राजीनीतिक रूप से तात्कालीन तो मिल जाता है लेकिन यह अंततः देश की एकता व अखंडता के लिए नासूर है. अंजुमन इस्लामिया रांची के महासचिव डॉक्टर तारिक़ हुसैन ने कहा कि आज के इस नफरती माहौल में मुसलमानों को एक चुनावी मोहरा बनाकर रख दिया गया है. पक्ष या विपक्ष दोनों अपनी राजनीति मुसलमानों पर ही कर रहा है.