वरीय संवाददाता, (रांची). ‘यूनाइटेड मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन’ की ओर से रविवार को रांची प्रेस क्लब में राज्यस्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न संगठनों के मुस्लिम बुद्धिजीवियों, सामाजिक-शैक्षिक और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे. साथ ही राज्य के 4.8 लाख मुसलमानों की शिक्षा, रोजगार, संवैधानिक अधिकार, उर्दू और मदरसा के मामले उठाये. परिचर्चा में संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया. बैठक में कहा गया कि राजनीतिक मकसद साधने के लिए संताल परगना के मुसलमानों को बांग्लादेशी कह कर प्रताड़ित किया जा रहा है. आमया के अध्यक्ष एस अली ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया.
राजनीतिक पार्टियों के लिए हम महज वोट बैंक बनकर रह गये
परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए एदार-ए-शरिया के नाजिम-ए-आला कुतुबुद्दीन रिजवी ने मौजूदा सरकार को आगाह किया. कहा कि जागरूकता की कमी से राजनीतिक पार्टियों के लिए हम महज वोट बैंक बनकर रह गये हैं. मुस्लिम समुदाय के मसले हल होने चाहिए, नहीं तो हम कठोर निर्णय लेने को बाध्य हो जायेंगे. हाइकोर्ट के अधिवक्ता मोख्तार खान ने कहा कि सामाजिक विकास और जनसंख्या के अनुपात में लोकसभा और विधानसभा में राजनीतिक भागीदारी नहीं दी जा रही है.
मॉब लिंचिंग सहित मेन रोड गोलीकांड पर चर्चा
परिचर्चा के दौरान मॉब लिंचिंग कानून को आवश्यक संशोधनों के साथ पास कराने और रांची के मेन रोड गोलीकांड पर चर्चा की गयी. झारखंड सरकार से पत्थलगड़ी मामले की तर्ज पर गोलीकांड में दर्ज 22 नामजद व्यक्तियों के केस को समाप्त करने की मांग की गयी. 544 उर्दू स्कूलों की स्टेटस बहाली, उर्दू शिक्षकों के 3,712 पदों को भरने, प्लस टू स्कूलों में नियुक्ति, उर्दू को द्वितीय भाषा के तौर पर लागू करने, आलिम-फाजिल की परीक्षा रांची विश्वविद्यालय से कराने, मदरसा बोर्ड व अल्पसंख्यक निदेशालय की स्थापना, अल्पसंख्यक छात्रों को प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप शुरू करने, झारखंड वक्फ और झारखंड हज नियमावली बनाने, बंद पड़ी वधशाला को शुरू करने, डेली मार्केट फल-सब्जी थोक विक्रेताओं के लिए 15 एकड़ भूमि का बंदोबस्त करने सहित कई अन्य मांगें रखी गयीं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है