हमें कहानियां सुननी चाहिए. अलग-अलग देश और उनके संघर्ष की सच्ची कहानियां. दुनिया को आज कुछ सच्ची, कुछ काल्पनिक कहानियां ही चला रही हैं. ऐसी काल्पनिक कहानियां जिन्हें मनुष्यों ने गढ़ा है. पर कुछ सच्ची कहानियां भी हैं जिन्हें हम इतिहास कहते हैं. कभी-कभी इतिहास हमें भविष्य का रास्ता दिखाता है. अपनी कमियों और शक्तियों को देखने-समझने में हमारी मदद करता है.
ऐसा ही एक इतिहास अमेरिका के मूलनिवासियों का है. अक्तूबर 2022 में इंग्लैंड जाने पर कुछ दिन ऑक्सफोर्ड में रुकना हुआ. जिस शोधार्थी मित्र मालविका गुप्ता के घर पर थी, वह लंबे समय से लैटिन अमेरिका में रहकर वहां के लोगों के संघर्ष को निकट से देख रही हैं. मेरे पहुंचने से पहले वह एक्वाडोर से ऑक्सफोर्ड लौट आयीं थीं. वह बताती हैं कि एक्वाडोर में देशज लोगों ने अपनी पूरी तरह लुप्त हो चुकी भाषा को फिर से जिंदा किया है. अपने समाज और नई पीढ़ी के युवाओं के बीच इस तरह काम कर रहे हैं कि आज हर युवा अपने इतिहास, अपनी भाषा-संस्कृति के साथ राजनीतिक चेतनासंपन्न हुआ है. उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भी ध्यान दिया है. इस दृष्टि से देखें तो भारत में आदिवासियों की स्थिति अलग है. पर, इससे पहले मूल वासियों के प्रारंभिक साम्राज्यों के उत्थान और पतन की कहानी सुननी चाहिए.
वर्ष 1492 में कोलंबस के अमेरिका पहुंचने के बाद 1517 के आस-पास स्पेन के कुछ उपनिवेशवादियों को मेक्सिको के इलाकों में कहीं एक शक्तिशाली साम्राज्य के होने की खबर मिली. यह एज्टेक साम्राज्य था. वर्ष 1519 में स्पेन से हर्नेन कोर्तेस नामक एक व्यक्ति मुट्ठी भर लोगों के साथ इस साम्राज्य के तट पर पहुंचा. वे बड़े से जहाज से एज्टेक साम्राज्य में आये थे. मूलनिवासियों ने चकित होकर उनके साजो-सामान को देखा, क्योंकि वे बाहरी दुनिया के बारे कुछ नहीं जानते थे. उन्हें लगता था कि दुनिया उतनी ही है, जिसके बारे वे जानते हैं. स्पेन से आये उन नये लोगों ने उन्हें प्रभावित किया. कुछ मूलनिवासी तो उन्हें देवता की तरह देखने लगे. पर कोर्तेस और उसका अभियान दल इतना जानता था कि धरती अज्ञात मनुष्यों से भरी हुई है. और वे हर जोखिम उठाने के लिए तैयार थे. उनके पास अपने हथियार और रणनीति थी.
कोर्तेस ने एज्टेक साम्राज्य में घुसते ही लोगों से कहा कि वे वहां शांतिपूर्वक आये हैं और उनके मुखिया से मिलना चाहते हैं. मूल निवासियों ने उन पर यकीन कर लिया. पहले उन्हें अपने मुखिया से मिलवाया. फिर कोर्तेस और उनके अभियान दल ने राजा से मिलने का रास्ता तैयार किया. मूल निवासियों ने उन्हें रास्ता सुझाने के साथ-साथ उनके भोजन-पानी की व्यवस्था की. उन्हें सैन्य सहायता भी दी. इसके बाद कोर्तेस राजा से मिलने गये. उन्होंने उनसे झूठ कहा कि वे स्पेन के सम्राट की तरफ से एक शांतिदूत की तरह आये हैं. राजा से मिलते ही कोर्तेस ने उसके अंगरक्षकों की हत्या कर दी और राजा को बंदी बना लिया. एज्टेक के साधारण और संगठित लोगों के हमलों से बचने के लिए उन्होंने ऐसा प्रकट किया कि सबकुछ ठीक है. राजा आजाद हैं और उनके संबंध ठीक हैं.
वे कई माह तक वहां रुके. एज्टेक साम्राज्य एक बहुत केंद्रीकृत हुकूमत थी. लोग संगठित थे. तब कुलीन वर्ग ने एज्टेक के राजा और कोर्तेस दोनों के संबंध को नापसंद करते हुए, उनके खिलाफ विद्रोह किया और उन दोनों को साम्राज्य से बाहर कर दिया. तब कोर्तेस ने एज्टेक के निम्न वर्गों को संपन्न लोगों के खिलाफ खड़ा किया. लोगों में संपन्न लोगों के प्रति कुछ न कुछ असंतोष का भाव था ही. उन्हें लगा स्पेनी, उनकी मदद कर रहे हैं. वे स्पेनियों के साथ मिलकर अपने ही लोगों के खिलाफ खड़े हो गये. जब वे सब कमजोर हुए तो कोर्तेस ने एज्टेक साम्राज्य को जीत लिया. बाद में जब लोगों को अपने गलत आकलन का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी. उन्होंने खुद को एक लालची और नस्लवादी हुकूमत के नियंत्रण में पाया. और महज चार साल के भीतर पूरा एज्टेक साम्राज्य एक खंडहर में तब्दील हो गया.
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कोर्तेस के मेक्सिको उतरने के ठीक दस साल बाद फ्रांसिस्को पिजारो अमेरिका में मूल निवासियों के दूसरे साम्राज्य इंका के तट पर बहुत कम लोगों के साथ पहुंचा. उसके पास कोर्तेस से भी कम सैनिक थे. पर वह उन तरीकों को जानता था जो कोर्तेस और उनके दल ने एज्टेक साम्राज्य में अपनाया था. पर इंका के मूलनिवासी अपने पड़ोसी साम्राज्य एज्टेक की कहानी से वाकिफ नहीं थे. पिजारो हूबहू कोर्तेस की ही शैली में खुद को स्पेन के सम्राट का शांतिदूत बताते हुए इंका के राजा से मिला. मिलते ही उसके अंगरक्षकों की हत्या कर दी और राजा को कैदी बना लिया. जनसाधारण के सामने ऐसा प्रदर्शित करता रहा कि सबकुछ ठीक है और वे उनके हितैषी हैं. फिर वहां के मूल निवासियों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया, जिनके बीच किसी न किसी तरह का मतभेद था. आपसी भिड़ंत से लोगों की एकता कमजोर हुई. तब जल्द ही पिजारो ने उस साम्राज्य को जीत लिया. और मूलनिवासी आपसी मतभेदों के कारण एक लंबी गुलामी में चले गये, जो उनके पहले की स्थिति से कहीं ज्यादा बद्तर थी.
यदि इंका के लोगों को अपने पड़ोसी मूलनिवासियों के संघर्ष के बारे पता होता तो उनकी रणनीति कुछ और हो सकती थी. अमेरिका के मूलनिवासियों ने आपसी असंतोष के कारण आपस में लड़ते हुए, शत्रुओं की चाल को न समझ पाने की वजह से अपने अस्तित्व को खुद ही संकट में डाला.
यहां के आदिवासियों का वर्तमान, अमेरिका के मूलनिवासियों के इतिहास से अलग नहीं है. आदिवासियों के आपसी संघर्ष, आपसी मतभेद, लंबी रणनीति का न होना, राजनीतिक चेतना का अभाव, आस-पास के राज्यों में आदिवासियों और पिछड़े तबकों के संघर्ष से अनभिज्ञ रहना, उनके साथ खड़े न होना यह सबकुछ उन्हें निरंतर कमज़ोर कर रहा है. वे शत्रुओं के साजो सामान से चकित हैं और उन्हें देवता की तरह देख रहे हैं. उनके पैदल सेना बन रहे हैं. उन्हें लगता है कि वे उन्हें बचा लेंगे. पर यह भी सच है कि हर काल में आदिवासी एक ही तरह के हथियार और रणनीति से मारे गये हैं.
( एज्टेक और इंका साम्राज्य का इतिहास ‘सेपियंस मानव-जाति का संक्षिप्त इतिहास’ पुस्तक से है. इसके लेखक युआल नोवा हरारी हैं.)